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डुमकाकोचा व टेरापानी गांव के बच्चों ने नहीं देखा हाई स्कूल का चेहरा

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखंड के डुमकाकोचा व टेरापानी गांव के बच्चे भौगोलिक परिस्थिति के कारण हाईस्कूल नहीं पहुंच पाते। इन गांवों की बच्चियां तो कस्तूरबा के सहारे किसी तरह पढ़ भी लेती है लेकिन बच्चे हाई स्कूल का चेहरा देख नहीं पाते..

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 01:32 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 01:32 AM (IST)
डुमकाकोचा व टेरापानी गांव के बच्चों ने नहीं देखा हाई स्कूल का चेहरा

जासं, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला प्रखंड के डुमकाकोचा व टेरापानी गांव के बच्चे भौगोलिक परिस्थिति के कारण हाईस्कूल नहीं पहुंच पाते। इन गांवों की बच्चियां तो कस्तूरबा के सहारे किसी तरह पढ़ भी लेती है, लेकिन बच्चे हाई स्कूल का चेहरा देख नहीं पाते। दरअसल इन गांवों से हाई स्कूल 11-12 किमी की दूरी पर स्थित है। जंगलों से घिरा गांव होने के कारण यहां पांचवीं तक ही बच्चे गांव के स्कूल में पढ़ पाते हैं, जो बच्चियां कस्तूरबा विद्यालय जानी चाहती है, उनका नामांकन कस्तूरबा विद्यालयों मे हो जाता है। बच्चे तो हाई स्कूल का चेहरा ही नहीं देख पाते हैं। ये गांव भूमिज बहुल गांव है। दोनों गांव बंगाल सीमा से सटे हुए है।

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बाघुड़िया पंचायत स्थित डुमकाकोचा प्राथमिक विद्यालय बाघुड़िया बंगाल सीमा से सटा हुआ है। डुमकाकोचा से हाई स्कूल की दूरी 11 किमी है। यह हाई स्कूल बाघुड़िया में हैं। इस विद्यालय में प्राइमरी स्कूल है। एक से पांच तक 17 बच्चे यहां अध्ययनरत। भूमिज गांव है। 85 परिवार का गांव है। गांव की आबादी 340 है। गांव की 9 की बच्ची कस्तूरबा में पढ़ती है। कस्तूरबा में पढ़ाई होती है। टेरापानी में 30 घर में लगभग 150 आदिवासी व भूमिज रहते हैं। इस गांव में प्राइमरी स्कूल भी नहीं है। इस कारण दस बच्चे यहां से किसी तरह आठ किलीमीटर दूर स्थित गांव में बासाडेरा में पढ़ने जाते हैं। उसके बाद हाई स्कूल का चेहरा नहीं देख पाते। ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर पाती बच्चियां : कोरोना के कारण में गांव में रह रही कस्तूरबा विद्यालय घाटशिला की छात्राएं रमणी सिंह व खीरा सिंह ने बताया कि वे ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर पाती। उनके पास मोबाइल नहीं है। गांव में किसी के पास मोबाइल है भी तो नेटवर्क के लिए पहाड़ के उपर चढ़ना पढ़ता। इस कारण वे ऑनलाइन शिक्षा से महरूम हो रहे हैं। हमारे भाइयों ने तो हाई स्कूल का चेहरा ही नहीं देखा। गांव में शिक्षा की स्थिति बहुत खराब है। शिक्षा से ही विकास संभव है। यह ही यहां के बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार एवं प्रशासन को इन गांवों की शिक्षा व्यवस्था के लिए वैकल्पिक उपाय करना चाहिए।

- श्यामल सिंह, ग्राम प्रधान, डुमकाकोचा।


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