Tata Group : पद्मभूषण एन चंद्रशेखरन की टीसीएस ट्रेनी से लेकर टाटा संस के चेयरमैन बनने की कहानी आपको प्रेरित कर देगी
Tata Group Padma Bhushan टाटा ग्रुप में ही ऐसा होता है एक अदना सा कर्मचारी भी चेयरमैन तक का सफर तय कर सकता है। रूसी मोदी से लेकर चंद्रशेखरन तक दर्जनों नाम है जिन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया। जानिए चंद्रशेखरन की संघर्ष की कहानी...
जमशेदपुर। यह टाटा समूह की संस्कृति है कि एक आम कर्मचारी भी चेयरमैन के पद तक पहुंच सकता है। टाटा स्टील के पूर्व चेयरमैन रूसी मोदी कभी 50 रुपए मासिक वेतन पर कंपनी में काम करते थे। जेआरडी टाटा ने उन्हें देश की सबसे पुरानी स्टील कंपनी की जिम्मेवारी सौंपी और आज पूरा जमशेदपुर इस शख्स को नमन करता है। ठीक उसी तरह टीसीएस में कभी इंटर्नशिप से शुरुआत करने वाले एन चंद्रशेखरन को रतन टाटा ने टाटा समूह का चेयरमैन बना दिया।
यह वह विपरीत परिस्थिति था, जब रतन टाटा का साइरस मिस्त्री से विवाद चल रहा था। केंद्र सरकार ने टाटा समूह के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन को पद्मभूषण सम्मान दिया है। चंद्रशेखरन को इस साल व्यापार और उद्योग श्रेणी में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार मिला, जिसमें साइरस पूनावाला, सुंदर पिचाई और अन्य शामिल हैं।
मैराथन मैन के नाम से विख्यात हैं चंद्रशेखरन
मैराथन मैन के रूप में लोकप्रिय चंद्रशेखरन ने 1987 में टाटा कंसल्टेंसी ग्रुप में एक इंटर्न (प्रशिक्षु) के रूप में शामिल हुए और टाटा समूह में सर्वोच्च स्थान हासिल करने के लिए वहां से 30 वर्षों तक यात्रा की। उनकी नेतृत्व में टाटा समूह ने एयर इंडिया का अधिग्रहण करके विमानन क्षेत्र में इतिहास रच दिया। हालांकि, यह टाटा समूह में अपने कार्यकाल के लिए चंद्रशेखरन की कई उपलब्धियों में से एक है।
टीसीएस में इंटर्न से कैरियर की शुरुआत करने वाले एन चंद्रशेखरन आज टाटा समूह के सर्वोच्च पद पर हैं। वह अक्टूबर 2016 में टाटा संस के बोर्ड में शामिल हुए और जनवरी 2017 में उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तीस साल बाद जब सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कारों की घोषणा की, तो एन. चंद्रशेखरन ने अपने गुरु एस रामादुरई और दिवंगत एफ सी कोहली की बराबरी कर ली।
सरकारी स्कूल में की पढ़ाई
चंद्रशेखरन का जन्म 1963 में तमिलनाडु में हुआ था और उन्होंने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एप्लाइड साइंसेज में स्नातक की डिग्री हासिल करने से पहले राज्य के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी। इसके बाद, उन्होंने 1987 में टीसीएस में शामिल होने से पहले तिरुचिरापल्ली में क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज से अपना मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) पूरा किया। अगले दो दशकों में उन्होंने कंपनी में अपनी स्थिति मजबूत की और देश में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले टीसीएस के उच्च पद तक पहुंचे। आज टीसीएस न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व की मूल्यवान कंपनी है।
चंद्रा के नाम से बुलाते हैं दोस्त व सहकर्मी
टीसीएस में 30 साल के व्यावसायिक कैरियर के बाद अध्यक्ष के रूप में उनकी (चंद्रशेखरन की) नियुक्ति हुई, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय से निकलने के बाद ज्वाइन किया था। चंद्रा टीसीएस के सीईओ और प्रबंध निदेशक के पद तक पहुंचे। टाटा समूह के साथ लंबे करियर ने उन्हें मुंबई में टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में चंद्रा का नाम दिया।
उनके नेतृत्व में, टीसीएस ने 2015-16 में कुल 16.5 अरब अमेरिकी डॉलर का राजस्व अर्जित किया और भारत में सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ता और देश की सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि चंद्रा ने टीसीएस में ग्राहक-केंद्रित और नवाचार की संस्कृति को शामिल किया।
रिजर्व बैंक के लिए भी कर चुके हैं काम
चंद्रशेखरन को 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपने बोर्ड में भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया और जापान सहित भारत के द्विपक्षीय व्यापार मंचों में एक सक्रिय सदस्य होने के अलावा, 2013-13 में NASSCOM के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
जब चंद्रशेखरन ने टाटा समूह के चेयरमैन का कार्यभार संभाला था तब कहा था, तेजी से बदलाव की दुनिया में फलने-फूलने के लिए, हमें व्यवसायों में जटिलता को कम करने और सरल बनाने की आवश्यकता है। इससे हमें प्रतिक्रिया देने और तेजी से प्रतिक्रिया करने में मदद मिलेगी। चंद्रेशखरन अपनी पत्नी ललिता के साथ मुंबई में रहते हैं।