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डिजिटल स्टील मेकिंग की ओर बढ़ रहा है टाटा स्टील - चेयरमैन Jamshedpur News

टाटा स्टील ने डिजिटल स्टील मेकिंग के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी बनने की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमने अपने पूरे वैल्यू चेन को डिजिटल तकनीक को इस्तेमाल करने की पहल शुरू कर दी है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 05:33 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 05:33 PM (IST)
डिजिटल स्टील मेकिंग की ओर बढ़ रहा है टाटा स्टील - चेयरमैन Jamshedpur News

जमशेदपुर (जासं) । टाटा स्टील ने डिजिटल स्टील मेकिंग के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी बनने की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। हमने अपने पूरे वैल्यू चेन को डिजिटल तकनीक को इस्तेमाल करने की पहल शुरू कर दी है। फिर वह चाहे स्टील या आयरन मेकिंग का क्षेत्र हो या फिर लॉजिस्टिक व कनेक्टेड वर्कफोर्स। इस पहल की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में टाटा स्टील को गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। उक्त बातें टाटा समूह सह टाटा स्टील के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने टाटा स्टील की 113वीं वार्षिक आमसभा के दौरान कही। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस आमसभा का ऑनलाइन आयोजन किया गया था।

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चेयरमैन ने अपने संबोधन में मुख्यत: पांच विषयों को शेयरधारकों के बीच रखा। उन्होंने बताया कि हमने डिजिटल में काफी निवेश किया है। इसमें डिजिटल नेटवर्किंग, क्लाउड, क्नेटिविटी, मल्टी क्लाउड इनवायरमेंट, एनालिटिस्क, आर्टिफिशियल इंटीलेजेंस जैसे चीजों पर निवेश के साथ उन्हें आत्मसात कर रहे हैं। आयरन मेकिंग, स्टील मेकिंग, लॉजिस्टिक सभी क्षेत्रों में हमने डिजिटल का इस्तेमाल किया है। इससे उत्पादकता बढ़ेगी। कंपनी ज्यादा आत्मनिर्भर बनेगी, काम जल्दी होगा। समय की भी बचत होगी और हमारे पास ज्यादा आइडिया होगा। हमारी कार्यक्षमता, दक्ष्ता और निपुणता बढ़ेगी और हम बड़े से बड़ा निर्णय आसानी से ले पाएंगे। हम कनेक्टेड वर्कफोर्स से कर्मचारियों को जोड़ रहे हैं। इसी पहल का ही नतीजा है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में टाटा स्टील देश की एकमात्र ऐसी कंपनी बनी जो वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के लाइट हाउस द्वारा हमारी दो प्लांट भारत की कलिंगनगर और नीदरलैंड की इजुमिडेन प्लांट को डिजिटलाइजेशन के लिए मान्यता मिली है।

भारत में बढ़ा व्यापार

चेयरमैन ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में जहां टाटा स्टील का एक तिहाई व्यापार भारत से जबकि दो तिहाई व्यापार विदेश से आता था। लेकिन स्थिति उल्ट चुकी है। अब दो तिहाई व्यापार भारत से जबकि एक तिहाई व्यापार विदेश से आ रही है। इसे देखते हुए समूह ने अपने भारतीय परिचालन पर ज्यादा फोकस किया है। हमने यहां निवेश को बढ़ाते हुए उत्पादों की संख्या भी बढ़ाई। इसके कारण ही टाटा स्टील दुनिया की सबसे कम लागत और सबसे अधिक लाभदायक स्टील उत्पादक कंपनियों में से एक बन गई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कंपनी ने पिछले चार वर्षो में (वित्तीय वर्ष 2017-20) के बीच हमने शिखर 25 के तहत 13 हजार करोड़ रुपये की बचत की। हमारी बेहतर पहल का ही नतीजा है कि कोरोना वायरस के बीच कंपनी ने पिछली तिमाही में सकारात्मक नगदी प्रवाह रहा।

चार वर्षो में किया 75 हजार करोड़ निवेश

चेयरमैन ने अपने संबोधन में बताया कि टाटा स्टील ने कलिंगनगर के जैविक विकास के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। साथ ही भूषण स्टील, उषा मार्टिन जैसी स्टील कंपनियों का भी अधिग्रहण किया। इस पर कंपनी ने 40 हजार करोड़ रुपये निवेश किए। इसके अलावे कई प्लांट के विकास पर निवेश किया गया। टाटा स्टील रिटेल मार्केट में ऑयल एंड गैस, लिस्टिंग एंड इंक्वेशन, प्री इंजीनियरिंग बिल्डिंग जैसे क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति को बेहतर करेगी।

व्यापार को चार भागों में बांटा 

चेयरमैन ने बताया कि भारतीय परिचालन में हमने अपनी सभी कंपनियों और उनकी अनुषंगी सहायक इकाइयों को चार भागों में बांटा। इनमें खनन, लांग प्रोडक्ट, डाउन स्ट्रीम और इंफ्रास्ट्रक्चर एंड यूटिलिटीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस साल टाटा स्टील बीएसएल का टाटा स्टील लिमिटेड के साथ विलय कर दिया जाएगा। इसके अलावे जमशेदपुर, कलिंगनगर और ढ़ेकनाल के तीन बड़े विनिर्माण केंद्रों भी एक कंपनी बनेंगे।

स्थिरता

कंपनी ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए नई तकनीक अपनाई है। कंपनी ने हाइड्रोजन आधारित स्टील मेकिंग व आयरन ओर को गलाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है ताकि कम से कम उत्सर्जन हो। कंपनी 180 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा वाले प्रोजेक्ट को इसी वित्तीय वर्ष में शुरू करने पर काम कर रही है। कंपनी ने विभिन्न पैमानों पर जैसे कोक रेट, सीओ 2 उत्सर्जन, जल की खपत कम करने में भी बेंचमार्क स्थापित कर चुकी है। टाटा स्टील हरियाणा के रोहतक में पांच लाख टन प्रतिवर्ष स्टील री-साइकिलिंग बिजनेस की स्थापना पर काम कर रही है।


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