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Tata Sons Vs shpoorji palonji : जाने टाटा संस के वकील ने कोर्ट को क्या दिया जवाब

Tata Sons Vs shpoorji palonji .टाटा संस और शापूर जी पालोन जी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में जबदस्त बहस हुई। इस मामले में टाटा संस के वकील हरीश साल्वे ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। साल्वे ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि...

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 07:19 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 07:19 AM (IST)
Tata Sons Vs shpoorji palonji  : जाने टाटा संस के वकील ने कोर्ट को क्या दिया जवाब
मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी टाटा समूह में वर्ष 1965 में 69 करोड़ रुपये थी ।

जमशेदपुर, जासं।  टाटा संस और शापूर जी पालोन जी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में जबदस्त बहस हुई। इस मामले में टाटा संस के वकील हरीश साल्वे ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। साल्वे ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी टाटा समूह में वर्ष 1965 में 69 करोड़ रुपये थी जो 2016 में बढ़कर 58 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसके बावजूद मिस्त्री परिवार शिकायत कर रहे हैं कि पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने कंपनी का परिचालन इतने खराब तरीके से किया कि वर्ष 2016 में कंपनी बंद हो जानी चाहिए थी।

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साल्वे ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि टाटा समूह की सभी कंपनियां बेहतर काम करते हुए अच्छी कमाई कर रही है। जबकि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं। मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस के 18.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। लेकिन उन्हें पद से हटाए जाने के बाद वे टाटा संस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं इसलिए टाटा संस पर प्रबंधन की शिकायत की है। उन्होंने बताया कि टाटा संस में 66 प्रतिशत मालिकाना हक टाटा ट्रस्ट का है जबकि बाकी की हिस्सेदारी टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों की है। साल्वे ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि टाटा संस पर कुप्रबंधन की शिकायत करने वाले व्यक्ति को निश्चित रूप से यह बताना चाहिए कि प्रबंधन के किस व्यवहार से शेयरधारक के तौर पर उनके कानूनी या प्रोपाइटरी अधिकार पर क्या असर पड़ा।

 टाटा संस को निजी कंपनी बताने पर ये तर्क

वहीं, टाटा संस को निजी कंपनी बनाने पर साल्वे ने कहा कि यह शेयरों के हस्तांतरण और सदस्यों की संख्या 50 तक रखने की सीमा तय करती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 के अधिनियम के बाद हम निजी कंपनी बन चुके हैं। मिस्त्री को शुरू में रतन टाटा के मातहत डिप्टी कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर शामिल किया गया था। एक साल के बाद उन्होंने रतन टाटा की जगह ली। उन्होंने बताया कि टाटा संस के लिए यह पहला मौका था जब ट्रस्ट के बाहर किसी बाहरी व्यक्ति को टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था। इस मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।


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