कोरोना काल में मजदूर बेहालः Tata Motors का उत्पादन घटा, काम से बैठाए गए सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी
Lockdown Effect.कोरोना को लेकर एक बार फिर टाटा मोटर्स के अस्थायी कर्मियों को काम से बैठाने का सिलसिला शुरू हो गया। छह दिन की बंदी के बाद कंपनी खुली। उसमें करीब एक साल बाद एक सौ पचास अस्थायी कर्मचारी काम पर नहीं आए।
जमशेदपुर, जासं। कोरोना को लेकर एक बार फिर टाटा मोटर्स के अस्थायी कर्मियों को काम से बैठाने का सिलसिला शुरू हो गया। गुरुवार को छह दिन की बंदी के बाद कंपनी खुली। उसमें करीब एक साल बाद एक सौ पचास अस्थायी कर्मचारी काम पर नहीं आए। पता चला कि उनका सेपरेशन कर दिया गया है।
अब जब उत्पादन बढ़ेगा तब ही उनकी वापसी हो पाएगी। ऐसे में जैसे-जैसे कंपनी की उत्पादन कम हो रहा है, कंपनी में कार्यरत ठेका मजदूर व अस्थायी कर्मी काम से बैठाए जा रहे हैं। कंपनी में अस्थायी कर्मियों की संख्या करीब चार हजार है। इन्हें कोरोना की पहली लहर के दौरान भी लाॅकडाउन की मार झेलनी पडी थी। हालात सामान्य होने लगे थे कि फिर आफत आ गइ।
रॉ-मेटैरियल की कमी
रॉ-मेटैरियल की कमी से आर्डर रहने के बावजूद कंपनी में उत्पादन कार्य बंद है। कंपनी में शिड्यूल के मुताबिक काम नहीं हो पा रहा है। यहीं वजह है कि अस्थायी कर्मियों को काम से बैठाया गया है। इधर, कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या ने भी मुश्किल खड़ा कर दिया है। इस वजह से स्थायी कर्मियों की संख्या भी कंपनी में कम हो गई है। जिस विभाग में कर्मी पॉजिटिव पाए जा रहे हैं वहां कुछ दिनों के लिए कर्मचारियों को सेपरेशन कर दिया जा रहा है। कुछ जरूरी विभाग ही खुले रहते हैं जहां काफी कम संख्या में कर्मचारियों को बुलाया जाता है। ऐसे में विभाग में सबसे पहले अस्थायी कर्मियों का सेपरेशन होता है। कंपनी के हरेक विभाग में 40 फीसद अस्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं। ऐसे में पहले इन कर्मचारीपुत्रों पर ही गाज गिरती है।