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टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री परिवार से मिले प्रस्ताव को ठुकराया, जाने क्या था प्रस्ताव

Tata Sons Vs shpoorji palonji.टाटा समूह ने मिस्त्री परिवार से विवाद सुलझाने के लिए मिले प्रस्ताव को ठुकरा दिया। मिस्त्री परिवार ने विवाद सुलझाने के एवज में टाटा संस की परिसंपत्तियों को बांटने की पेशकश की थी। जिसमें सूचीबद्ध कंपनियों में टाटा संस की हिस्सेदारी भी शामिल है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 09:07 AM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 09:07 AM (IST)
टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री परिवार से मिले प्रस्ताव को ठुकराया, जाने क्या था प्रस्ताव
टाटा समूह और मिस्‍त्री परिवार विवाद की सुनवाई कोर्ट में हो रही है।

जमशेदपुर, जासं। टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री का परिवार लगातार मामले को कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं। आपको बता दें कि इसमें अब तक नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने पिछले वर्ष दिसंबर माह में ही मामले में सुनवाई के दौरान साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने जाने को असंवैधानिक करार देते हुए साइरस को फिर से चेयरमैन पद पर बहाल करने और वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को गैर कानूनी करार दिया था।

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इस आदेश को टाटा समूह ने फिर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायााधिकरण में चुनौती दी तो मामले में टाटा समूह के पक्ष में फैसला आया। लेकिन अब यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। गुरुवार को इस मामले डबल बेंच में सुनवाई हुई। लेकिन टाटा समूह ने मिस्त्री परिवार से विवाद सुलझाने के लिए मिले प्रस्ताव को ठुकरा दिया। मिस्त्री परिवार ने विवाद सुलझाने के एवज में टाटा संस की परिसंपत्तियों को बांटने की पेशकश की थी। जिसमें सूचीबद्ध कंपनियों में टाटा संस की हिस्सेदारी भी शामिल है।
ये कहा टाटा समूह के वकील ने 
सुनवाई के दौरान टाटा समूह के वकील हरीश साल्वे ने टाटा समूह का पक्ष रखते हुए मिस्त्री परिवार का प्रस्ताव नकार दिया। जिसमें टाटा की सूचीबद्ध कंपनियों, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टाटा मोटर्स और टाटा स्टील में हिस्सेदारी के बदले टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी। मिस्त्री परिवार ने अपनी हिस्सेदारी की कीमत 1.75 लाख करोड़ रुपये लगाई थी। जबकि कुछ दिन पहले ही टाटा समूह ने टाटा संस में मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी का आकलन 18.4 प्रतिशत यानि 80 हजार करोड़ रुपये किया था। साल्वे का कहना है कि मिस्त्री ने टाटा ब्रांड को नुकसान पहुंचाया। इसके लिए उन्हें पुरस्कार तो दिया नहीं जा सकता है। न्यायालय टाटा को केवल उचित बाजार मूल्य पर मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए कह सकता है। 
किसी एक पक्ष को हटना होगा पीछे
साल्वे का कहना है कि परिसंपत्त‍ियों को विभाजित करने की मिस्त्री परिवार की मांग टाटा संस को बंद करने के बराबर है। इस विवाद का एकमात्र समाधान है कि किसी एक पक्ष को पीछे हटना होगा। इसलिए जिस शेयरधारक के शेयर कम हैं उसे ही झुकने को कहा जा सकता है। इसलिए केवल मिस्त्री परिवार को अपनी हिस्सेदारी बेचने को कहा जा सकता है। हालांकि, सुनवाई के दौरान मिस्त्री परिवार से वकील सीए सुंदरम ने न्यायपीठ से कहा कि साइरस मिस्त्री को केवल इसलिए चेयरमैन के पद से हटाया गया क्योंकि वे कंपनी प्रबंधन का ऐसा प्रस्ताव लाने जा रहे थे जिससे टाटा संस में टाटा ट्रस्ट की भूमिका सीमित हो जाती।
फैसले लेने का अधिकार दो निदेशकों को
सुंदरम ने सवाल उठाया कि टाटा समूह की सभी कंपनियों के हर फैसले में निर्णय लेने का अधिकार केवल टाटा ट्रस्ट द्वारा नामित दो निदेशकों के पास है। लेकिन साइरस के नए प्रबंधन से उनके पास ये अधिकार नहीं रहते। सुंदरम ने पूछा कि यदि टाटा समूह व्यापक प्रबंधन वाली कंपनी है तो टाटा ट्रस्ट द्वारा नामित दो निदेशक ही यदि उसे चला रहे हैं तो कोई भी  यदि टाटा संस व्यापक प्रबंधन वाली कंपनी है मगर टाटा ट्रस्‍ट द्वारा नामित दो निदेशक ही यदि उसे चला रहे हैं तो कोई भी मामला किसी कंपनी के निदेशक मंडल के पास लाने का क्या तुक है।

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