प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए टाटा के उद्यमी तैयार, नहीं होंंगे घर वापसी से बेराजगार Jamshedpur News
प्रवासी मजदूरों को कोल्हान में रोजगार मिलने की प्रबल संभावना है। राज्य सरकार व जिला प्रशासन के साथ उद्यमी भी माहौल का इंतजार कर रहे हैं।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 03:21 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 03:21 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। लॉकडाउन मेंं प्रवासी मजदूरों का आना जारी है। हालांकि, राज्य सरकार ने अभी इनके लिए राशन-पानी की व्यवस्था करने की बात कही है, तो रोजगार देने का भरोसा भी दिलाया है। इसके साथ ही जिला प्रशासन भी मनरेगा समेत तमाम उद्योगों में इनके लिए रोजगार की संभावना तलाश रहा है। कोशिश है कि कुशल व अकुशल दोनों स्तर के श्रमिकों को झारखंड में रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसकी असीम संभावना भी है। उनके आने के बाद औद्योगिक क्षेत्र में भी विकास और विस्तार होगा, बशर्ते उद्योगों के अनुकूल माहौल बने। यहां के उद्यमी की संभावना बढ़ेगी क्योंकि उनमें अधिकतर मजदूर कुशल कारीगर होंगे।
रोजगार की असीम संभावनाएं
जब टाटा मोटर्स खुल जाएगी तो प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की असीम संभावना खुद ब खुद पैदा हो जाएगी। यहां के जो मजदूर दूसरे प्रदेश में गए थे, उन्हें ज्यादा आमदनी की उम्मीद थी, लेकिन अब उन्हें समझ में आ रहा होगा कि वहां उन्हें जो अतिरिक्त रुपये मिलते थे, उससे ज्यादा उनका खर्च हो जाता था। जो मजदूर यहां आ रहे हैं, वे निश्चित रूप से अपने काम में निपुण होंगे। उसका लाभ यहां के उद्योग को अवश्य मिल सकता है।
- इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष, एसिया
- प्रवासी मजदूरों के आने से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र को पर्याप्त संख्या में कुशल कामगार मिलेगा। इससे कंपनी मालिक को उद्योग चलाने में काफी मदद मिलेगी। यहां प्रवासी मजदूर के रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।
-संतोष खेतान, उपाध्यक्ष, एसिया
- झारखंड में स्किल्ड वर्कर की कमी हमेशा रही है। हालांकि यह अलग बात है कि यहां के स्किल्ड वर्कर दूर के ढोल सुहाने समझकर चले गए थे। अब वे अपना घर छोड़कर नहीं जाने की बात कह रहे हैं। यदि यह सोच बन गई तो निश्चित रूप से उनका और यहां की कंपनियों को भी लाभ मिलेगा।
- आलोक चौधरी, अध्यक्ष, जमशेदपुर चैंबर
- सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए चिंता कर रही है, अच्छी बात है। हम भी चाहते हैं कि यहां के मजदूर, खासकर स्किल्ड वर्कर यहीं रहें, लेकिन मौजूदा स्थिति में यह संभव नहीं दिख रहा है। यदि सरकार बंद कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन दे तो सबकुछ संभव है।
- रूपेश कतरियार, प्रदेश उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती
- अभी प्रवासी मजदूरों का जो आंकड़ा मिल रहा है, वह करीब डेढ़ लाख है। इतनी संख्या में आने वाले लोगों को फिलहाल रोजगार देना संभव नहीं है। जब ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी आएगी, तभी अनुकूल स्थिति बनेगी। खासकर टाटा मोटर्स के उत्पादन में तेजी आएगी, तभी प्रवासी लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सकेगा।
- समीर सिंह, जिला महासचिव, लघु उद्योग भारती
- फिलहाल मंदी का जो दौर चल रहा है, उसमें ऑटोमोबाइल सेक्टर इतने लोगों को रोजगार नही दे पाएगा। जब टाटा मोटर्स पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करने लगेगी, तभी यह संभव है।
- एसएन ठाकुर, पूर्व अध्यक्ष, एसिया
- यहां की कंपनियां फिलहाल टाटा मोटर्स पर आश्रित हैं, इसलिए सबकुछ टाटा मोटर्स की स्थिति पर निर्भर है। यदि लॉकडाउन के बाद परिस्थिति बदली और वाहन उद्योग में तेजी आई, तभी प्रवासी मजदूरों को पर्याप्त रोजगार मिल सकेगा।
- -सुधीर सिंह, सचिव, एसिया
- प्रवासी मजदूर के आने से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र को कुशल कामगार मिलेंगे, इसमें कोई शक नहीं। इसका सही उपयोग करके ना केवल राज्य सरकार, बल्कि उद्यमी भी विकास कर सकते हैं।
- आरके सिन्हा, संस्थापक अध्यक्ष, सरायकेला-खरसावां चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री
- आदित्यपुर समेत पूर्वी सिंहभूम जिले में जिस तेजी से उद्योगों का विस्तार हो रहा है, उससे रोजगार के काफी अवसर बढ़ेंगे। झारखंड से जो भी मजदूर बाहर गए हैं, खासकर स्किल्ड वर्कर, उनमें से 20 फीसद भी यहां आ गए तो यहां उद्योग की स्थिति में चमत्कारिक बदलाव देखने को मिलेगा।
- ललन चौधरी
- हमें कुशल कामगार का हमेशा अभाव रहता था। जो लोग बेहतर काम करते थे, वे पैकेज के आकर्षण में दूसरे प्रदेश चले जाते थे, लेकिन अब वही प्रवासी हमारे उद्योग के सबसे बड़े सहायक बनेंगे। झारखंड में उनके लिए रोजगार की असीम संभावना है।
- दिनेश कुमार उर्फ बबलू सिंह
प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा जुटा रहा प्रशासन
प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन जुट गया है। इस संबंध में अनुमंडल अधिकारी, धालभूम चंदन कुमार ने सोमवार को बैठक बुलाई थी, जिसमें एनइपी निदेशक ज्योत्सना सिंह व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अजय कुमार समेत टाटा समूह की कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। एसडीओ ने बताया कि हम प्रखंडवार यह आंकड़ा जुटा रहे हैं कि किस प्रखंड में कितने प्रवासी मजदूर आए हैं। उनमें से कितने और किस तरह के स्किल्ड हैं। हमने कंपनियों से भी आंकड़ा मांगा है कि उन्हें कितनी संख्या में किस ट्रेड के कितने स्किल्ड या सेमी स्किल्ड कामगार की आवश्यकता है। यह आंकड़ा जुटाने के बाद हम उन्हें रोजगार देने की शुरुआत करेंगे। फिलहाल सभी प्रवासी मजदूर 14 दिन के क्वारंटाइन में रहेंगे। तब तक हम इस दिशा में काफी आगे बढ़ जाएंगे। प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
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