अपराध बोध में पढिय़े जमशेदपुर के दस नंबर बस्ती की कहानी
जमशेदपुर शहर की पृष्ठभूमि पर लिखे गए इस उपन्यास में आप एक औद्योगिक शहर में जन्मी किरदारों की एक सशक्त कहानी पढ़ पायेंगे ।
जमशेदपुर, जेएनएन। पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के सिदगोड़ा के दस नंबर बस्ती की कहानी पढऩी है तो पुस्तक मेला पहुंचे। इस पुस्तक का नाम अपराध बोध रखा गया है। यह उपन्यास है। इसे जाने माने चिकित्सक डॉ. कृष्ण कांत मिश्र ने लिखा है।
जमशेदपुर शहर की पृष्ठभूमि पर लिखे गए इस उपन्यास में आप एक औद्योगिक शहर में जन्मी अपने आस-पास पाए जाने वाले परिचित से दिखने वाले किरदारों की एक सशक्त कहानी पढ़ पायेंगे और सहज रूप से इससे जुड़ाव महसूस करेंगे। इसमें अनजाने में हो गई गोपी की हत्या के अपराध-बोध से मुक्ति की छटपटाहट सत्या को उनकी बस्ती में ले आती है, जहां वह उसकी पत्नी और बच्चों की परवरिश कर अपने गुनाह की सजा भुगतना चाहता है।
माहौल बदलने की जिद
बस्ती अशिक्षा, दरिद्रता और शराब की लत में इस कदर जकड़ी हुई है कि बच्चों की ढंग से परवरिश नहीं हो सकती है। तब सत्या यह निश्चित करता है कि वह बस्ती का माहौल बदल कर रख देगा। लेकिन क्या ऐसा करना संभव है और क्या ऐसा करने से सत्या को अपने अपराध-बोध से मुक्ति मिल जायेगी। इसे जानने के लिए आपको यह उपन्यास पढऩा होगा।
वाजपेयी पर सात किताबों की सीरीज
साकची रवींद्र भवन परिसर में शुक्रवार से प्रारंभ हुए पुस्तक मेला में किताब घर प्रकाशन की कई सारी पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मेरी 51 कविताएं, कुछ लेख कुछ भाषण, बिंदु-बिंदु विचार, विचार बिंदु, नई चुनौती, नया अवसर, शक्ति से शांति की किताबें उपलब्ध है। इन सातों किताबों का मूल्य 1340 रुपये रखा गया है। इसके अलावा किताब प्रकाशन की पुरस्कृत बच्चों की प्रेरक कहानियां भी बच्चों का आकर्षित करेगी। सिर्फ यहीं नहीं जल संसाधन का गहराता संकट नामक भी उपलब्ध है। इसी स्टॉल पर भगवान सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक भारतीय राजनीति में मोदी फैक्टर तथा अन्य प्रसंग भी पठनीय है।
वेलेंटाईन बाबा भी चर्चा में
राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर पहले ही दिन वेलेंटाईन बाबा चर्चा में आ गई है। इसे शशिकांत मिश्र ने लिखा है। यह युवा दिलों की धड़कन बढ़ाने वाली है। इसी स्टॉल पर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आधारित कविताएं एक पुस्तक में संग्रहित है। इस पुस्तक का नाम मां, माटी और मानुष रखा गया है। इसे सोमा बनर्जी ने ङ्क्षहदी में अनुवाद किया है।