हांफ रही जिले की पुलिस, ये है हाल Jamshedpur News
एक स्थान से भीड़ हटाने पहुंचे नहीं कि कॉल आ जाता कि दूसरे स्थान पर भीड़ एकत्र हो गई है। वहां भी वापसी में देख लें। पुलिसकिर्मयों की यही दिनचर्या हो गई है।
जमशेदपुर, अन्वेश। विधि-व्यवस्था हो या सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मामले, पुलिस के बिना कोई काम नहीं चलता। जनता कर्फ्यू के बाद 21 दिनों का लॉकडाउन हो गया। जिला पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ गई है। 24 घंटे की ड्यूटी लग गई है।
थाना का काम करें, सड़कों से भीड़ हटाएं या कोरोना वायरस के संक्रमण से खुद को बचाएं, ड्यूटी तो करनी है। कर भी रहे हैं। एक स्थान से भीड़ हटाने पहुंचे नहीं कि कॉल आ जाता कि दूसरे स्थान पर भीड़ एकत्र हो गई है। वहां भी वापसी में देख लें। पुलिसकिर्मयों की यही दिनचर्या हो गई है। मास्क लगाए चौक-चौराहे पर ड्यूटी बजा रहे हैं। लोग मान नहीं रहे हैं। गली-मोहल्ले होते सड़क पर आ ही जा रहे हैं। पुलिसकर्मी सख्ती बरतते लाठियां भांजने को मजबूर हैं, जो लाठी खा रहे वे ताने मार रहे, बावजूद पुलिस वाले संयम नहीं खो रहे। हांफते हुए कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।
अभी चोर-उच्चके भी राहत में
चोर-उचक्के भी इस समय राहत में हैं। उन्हें छापेमारी का भय सता रहा और न ही गिरफ्तारी का। पुलिस भी तलाश नहीं कर रही। उधर, कोर्ट में उपस्थित नहीं होना पड़ रहा। जेल में बंद साथियों से दूरी बढ़ी है। परेशान करने वाली पुलिस इस समय सामाजिक व्यवस्था में व्यस्त है। देखने की फुर्सत नहीं कि कितने के विरुद्ध वारंट है। कुर्की जब्ती के मामले लंबित हैं। कोरोना को लेकर बरती जा रही सतर्कता के कारण अदालत में जरूरी मामलों की ही सुनवाई हो रही है। हर दिन अदालत से जारी होने वाले वारंट भी निर्गत नहीं हो रहे। बंदियों की पेशी सशरीर नहीं हो रही। सो, इनसे मुलाकात के लिए अदालत भी जाना नहीं पड़ रहा। तारीख नहीं पड़ने से वकीलों को फीस भी नहीं देनी पड़ रही। यानी सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा। लेकिन, वर्दीधारी को देखकर पसीने जरूर छूटने लगते। चौकस रहते हैं कि कहीं धरा न जाएं।
वाहन चे¨कग में मस्त ट्रैफिक पुलिस
ट्रैफिक पुलिस मनमौजी है। दुर्घटना रोकने को लेकर नहीं, वाहन चे¨कग के लिए होड़ मची है। जहां चाहते वहीं चे¨कग शुरू कर देते हैं। सड़क के कोने में खड़े हो जाते हैं। गुजरने वाले वाहनों को देखते ही टूट पड़ते हैं। चाहे बाइक और कार सवार भागने की कोशिश में दुर्घटनाग्रस्त ही क्यों न हो जाए। किसी ना किसी बहाने पकड़ लेना है। जो पकड़ा गया, उसे साइड में खड़ा करा देते हैं। लंबी कतारें लग गई तो चे¨कग बंद। शुरू हो जाता है हिसाब-किताब। फरियाने का काम। चौक-चौराहे पर इनकी हरकत आम है। सड़क पर जाम नहीं लगे। नो इंट्री में भारी वाहनों का प्रवेश नहीं हो इसे देखने की जहमत नहीं उठाते। कभी लो¨डग ट्रेलर घुस आते तो कभी ट्रक सरपट दौड़ भागते हैं। इसमें लोगों की जान भी चली जाती है। बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट पर एक डाक्टर की मौत और मरीन ड्राइव में दुर्घटना ताजा उदाहरण है।
कोहराम के बीच काट रहे चांदी
लॉकडाउन के कारण सरकारी शराब की दुकानें बंद हैं। बावजूद सरकारी दुकानदार और बीयरबार वाले शराब की बिक्री करते देखे जा रहे। इनकी दुकानों से कुछ दूरी पर शराब पीने वालों की लग रही जमघट सबकुछ बयां कर देती है। अवैध रूप से शराब बेचने वाले भी पीछे कहां रहने वाले हैं। गली-मोहल्लों में शराब की आपूर्ति की जा रही है। शराब की खेप आ रही और बेची जा रही है। अंग्रेजी शराब दोगुनी कीमत में बिक्री होने के कारण महुआ शराब की बिक्री में तेजी आ गई है। ग्रामीण इलाके के हाइवे में होटल-ढाबों पर शराब उपलब्ध कराई जा रही है। पीने की व्यवस्था है। लोगों की भीड़ लग रही है। आलम ये है कि 24 घंटे शराब की बिक्री ऑन डिमांड की जा रही है। होम डिलेवरी का भी इंतजाम है। कारोबारियों ने परसुडीह, जुगसलाई, बर्मामाइंस, एमजीएम, उलीडीह, बिरसानगर, गो¨वदपुर के ग्रामीण इलाके को ठिकाना बना लिया है।