टाटा कमांड एरिया के 6887 घरों में मिले डेंगू के लार्वा, 175 बंद क्वार्टरों में भी पनपे मच्छर
अप्रैल से जून तक जुस्को की ओर से किए गए सर्वे में सामने आए डराने वाले आंकड़े।
निर्मल प्रसाद, जमशेदपुर : अगर आप कंपनी कमांड एरिया (टाटा स्टील के क्वार्टर क्षेत्र) में रहते हैं तो सावधान। इन इलाकों में डेंगू के मच्छर आफत बन आपके परिवार को डंक मार सकते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि, पिछले तीन महीने (अप्रैल से जून तक) में खुद जुस्को की टीम द्वारा किए गए सर्वे में टाटा स्टील के 175 क्वार्टर में डेंगू मच्छरों के लार्वा मिले हैं। ये ऐसे क्वार्टर हैं जो लंबे समय से बंद हैं। हालांकि सर्वे के बाद जुस्को की टीम ने दवा डाल कर लार्वा नष्ट कर दिए हैं। इससे भी अधिक डराने वाली बात यह है कि पूरे कंपनी कमांड एरिया (क्वार्टर समेत) में जुस्को की टीम को 6887 घरों मं डेंगू मच्छरों के लार्वा मिले हैं। दरअसल, जुस्को की टीम ने गत अप्रैल से 30 जून 2019 तक कंपनी कमांड क्षेत्र को छह जोन में बांटकर घर-घर जांच की थी। यहां से टीम के सदस्यों को 6887 घरों से डेंगू के लारवा मिले। बताते चलें कि टीम ने कंपनी के कुल 1253 बंद क्वार्टरों की टंकी की जांच की थी।
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लार्वा खत्म करने को टास्क फोर्स
जुस्को ने लार्वा नष्ट करने के लिए 120 सदस्यों की एक टास्क फोर्स गठित की है। यह टीम डेंगू के लारवा को खत्म करने की मुहिम में शामिल है। इसके अलावे जुस्को की टीम अब तक 82 जगहों पर जागरूकता अभियान भी चला चुकी है। जुस्को के डेंगू विशेषज्ञ डॉ. आलोक बताते हैं कि जहां भी डेंगू के मरीज मिलते हैं वहां जुस्को की टीम द्वारा निश्शुल्क फॉगिंग मशीन से छिडकाव किया जाता है।
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जुस्को की अपील : घर के आसपास रखें सफाई
जुस्को की टीम डेंगू मच्छरों के लार्वा खत्म करने के अभियान में जुटी है। टीम ने लोगों से अपील की है कि वे भी इस अभियान से जुड़ें। टीम के मुताबिक लोगों की थोड़ी सी सतर्कता बरत कर अगर मात्र दस मिनट खर्च कर घर के आपपास अगर हम खाली डिब्बे, बर्तन को पलट दें। इसका पानी गिरा दें तो इस जानलेवा बीमारी से अपने परिवार को बचा सकते हैं।
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अभियान से बच्चों को जोड़ा जा रहा
जुस्को की टीम इस अभियान से बच्चों को जोड़ रही है। इसके लिए जुस्को ने 156 स्कूलों में सितंबर माह तक जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया है ताकि बच्चे से डेंगू के प्रति अपने परिवार को सुरक्षित रख सके और परिवारवालों को अभियान के महत्व को समझा सके। तीन माह में जुस्को की टीम ने 82 स्कूलों को इस अभियान से जोड़ चुकी है।
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डेंगू जानलेवा, प्लेटलेट्स की हो जाती कमी
डेंगू और चिकनगुनिया ऐसी बीमारियां हैं जो मच्छरों के काटने से होते हैं। डेंगू के मच्छर एंथ्रो पोफिलिक होते हैं जिन्हें मानव शरीर का खून ही पसंद है। इसलिए मच्छर मनुष्य के आसपास ही मंडराते रहते हैं। डेंगू एक जानलेवा बीमारी है। इससे प्रभावित वाले व्यक्तियों के शरीर के प्लेटलेट्स कम होते हैं। अगर समय पर उनका इलाज नहीं हुआ तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
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दो वर्ष पहले बंद क्वार्टरों में पनपे लार्वा से मचा था कोहराम
दो वर्ष पूर्व डेंगू से शहर में सबसे ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। इसका मुख्य कारण बंद पड़े कंपनी क्वार्टरों की खुली टंकियों में मच्छरों का पनपना था। इसके कारण 2000 से ज्यादा मरीज डेंगू के मच्छर के प्रकोप से प्रभावित हुए थे। इसलिए पिछले दो वर्षो ने जमशेदपुर यूटिलिटिज एंड सर्विसेज कंपनी लिमिटेड (जुस्को) डेंगू के खिलाफ सघन अभियान चलाए हुए है। डेंगू की कैसे करें पहचान
-डेंगू के मच्छर आम मच्छरों की तुलना में छोटे होते हैं।
-यह मच्छर काले रंग के होते हैं और इसके शरीर पर सफेद धब्बे होते हैं।
-ये मुख्यत: दिन में काटते हैं।
-इसके उड़ने, छिपने व काटने की गति तीव्र होती है।
-एक डेंगू वायरस का मच्छर एक बार में कई लोगों को संक्रमित कर सकता है।
-यह अपने पैदा होने के स्थान से केवल 100 से 300 मीटर की परिधि में उड़ता व रहता है।
-इसके उड़ने की गुनगुनाहट अन्य मच्छरों की तुलना में काफी कम होने से इसके होने का आभास नहीं होता है।
-इसका अंडा एक साल तक बिना पानी के भी रह सकता है।
-अगर किसी डेंगू के मच्छर में वायरस आ जाए तो वह जितने अंडे देगा वह भी संक्रमित मच्छर होंगे। इसलिए जरूरी है सावधानी
-डेंगू के मच्छर किसी नदी, तालाब, पानी के गढड़ों, कच्ची नालियां या नालों में नहीं पाए जाते हैं।
-डेंगू के मच्छर एक चम्मच साफ पानी में भी दस अंडे दे सकता है।
-डेंगू के मच्छर एक ही जगह नहीं बल्कि घूम-घूमकर अंडे देता है।
-डेंगू के मच्छर मानव निर्मित सामान जैसे कंटेनर, कूलर, टायर, सीमेंट की टंकी, ओवर हेड टैंक, बाल्टी, ड्रम, खाली बोतल, किसी भी उल्टे रखे सामान, जिस पर पानी जमा हो सकता है उसमें अंडे दे सकता है।
-डेंगू के मच्छर मात्र आठ से दस दिनों में लार्वा बनने के बाद मच्छर बन जाते हैं।
-अगर पानी में डेंगू के अंडे हैं तो उसे पलटने पर भी वे मरते नहीं। एक साल बाद भी अगर पानी के संपर्क में आए तो फिर से जीवित हो सकते हैं। इन्हें मानव आंख नहीं देख सकता इसलिए अगर किसी बड़े या बर्तन में डेंगू के लारवा दिखे तो उसमें थोड़ा सा किरासन तेल डाल दें। डेंगू के लक्षण
-अचानक तेज सिर दर्द या बुखार होना।
-मांसपेशियां या जोड़ों में दर्द।
-आंखों के पीछे दर्द होगा, आंखों को इधर-उधर घूमाने से यह बढ़ता है।
-जी मचलना व उल्टी होना।
-गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूड़ों में खून आना या त्वचा में चकते उभरना।
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तीन माह में इतने घरों की हुई जांच
जोन घरों की जांच लारवा मिले जागरूकता अभियान चलाया
रामदास भट्टा 19,712 1071 20
सोनारी 22,463 1322 10
नार्दन टाउन 10,491 654 08
काशीडीह 17,267 1116 13
बर्मामाइंस 17,982 1174 16
बारीडीह 21,561 1550 14
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कुल 1,09,476 6887 81 अब तक मिले डेंगू के छह मरीज
जुस्को का दावा है कि डेंगू जागरूकता अभियान के तहत एक भी मरीज कंपनी कमांड क्षेत्र में नहीं मिला है। हालांकि पूरे क्षेत्र में अब तक छह डेंगू से प्रभावित मरीज मिले हैं लेकिन जुस्को पब्लिक हेल्थ विभाग का दावा है कि सभी मरीज दूसरे राज्यों से बीमार होकर शहर आए और कुछ इलाज कराकर लौट गए। कहां से मिले मरीज
अनिता देवी : कुंभ मेले से बीमार होकर आई सोनारी
संपत राव मिचेला : बैंगलुरू से बीमार होकर बीएच एरिया, कदमा
वेद प्रकाश : बोकारो से न्यू बारीडीह आए
सुबोध कुमार भगत : यूसिल कॉलोनी, पोटका
शालिनी : बैंगलुरू से सिंडिकेट कॉलोनी, उलियान
सरस्वती देवी : दूसरे राज्य से बीमार होकर सोनारी इंद्रिरा मार्ग आई
आकाश भारद्वाज : श्याम निवास प्लांट, घोडाबांधा, टेल्को
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मच्छर जनित डेंगू की बीमारी से हम अपने परिवार को मात्र दस मिनट देकर सुरक्षित रख सकते हैं। जुस्को इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान भी चला रही है। अगर हम सभी इस अभियान से जुड़ जाएं तो कोई भी व्यक्ति या परिवार डेंगू से प्रभावित नहीं होगा।
-सुकन्या दास, प्रवक्ता, जुस्को