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इस तरह बस्ती की आवाज बन गई यह युवती, जानिए बदलाव के लिए संघर्ष की खास कहानी

youth icon. इस युवती ने पुलिस पर भरोसा छोड़ खुद शराब भट्ठी तोड़ी, रात में डंडा लेकर पहरा दिया और बस्ती को शराब के चंगुल से मुक्त कराकर लोगों की आवाज बन गई।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:07 PM (IST)
इस तरह बस्ती की आवाज बन गई यह युवती, जानिए बदलाव के लिए संघर्ष की खास कहानी
इस तरह बस्ती की आवाज बन गई यह युवती, जानिए बदलाव के लिए संघर्ष की खास कहानी

जमशेदपुर [ वीरेंद्र ओझा]। इस युवती ने पुलिस पर भरोसा छोड़ खुद शराब भट्ठी तोड़ी, रात में डंडा लेकर पहरा दिया और बस्ती को शराब के चंगुल से मुक्त कराकर लोगों की आवाज बन गई। नाम है चंदन जायसवाल। इस युवती की बदलाव के लिए संघर्ष की कहानी आपको कुछ खास करने के लिए प्रेरित कर देगी।

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झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के जुगसलाई क्षेत्र में एमई स्कूल रोड के पास हरिजन बस्ती में शराब की छह दुकानें थीं। महिलाएं और पुरुष मिलकर इन दुकानों को चलाते थे। इस कारण बस्ती और आसपास के इलाके का माहौल खराब हो चुका था। जहां-तहां लोग शराब के नशे में गिरे रहते थे। युवक शराब की लत में चोरी-छिनतई व मारपीट करते रहते थे। बस्ती और लोगों की दुर्दशा चंदन जायसवाल से नहीं देखी गई। उन्होंने इस बुराई से बस्ती को आजादी दिलाने का संकल्प लिया। मन में दुविधा थी कि प्रारंभ कैसे करें। महिलाएं इस डर से बोलती नहीं थीं कि उनके घरों के पुरुष ही इस धंधे से जुड़े थे।

पहले घर-घर जाकर की महिलाओं से बात

चंदन बताती हैं कि वर्ष 2016 के जून व जुलाई की बात है। उन्होंने पहले घर-घर जाकर महिलाओं से बात की। समझाया कि शराब बंद होने से क्या फायदा होगा। कुछ महिलाएं तैयार हुईं तो बस्ती में एक बैठक बुलाई। उसमें उन महिलाओं को भी बुलाया जो शराब बेचती थीं। उनसे आग्रह किया कि अपनी दुकानें बंद कर दें। हामी भरने के बाद भी दुकानें बंद नहीं हुईं। फिर चंदन जिला उपायुक्त से मिलीं। पुलिस ने छापेमारी की, पर धंधा बदस्तूर जारी रहा। बावजूद चंदन हताश नहीं हुईं। उनके साथ 50 महिलाएं अब जुड़ चुकी थीं। उन्होंने भी सूरत बदलने की ठान ली थी। पुलिस से उम्मीद छोड़कर महिलाओं ने बस्ती में नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला। फिर शराब दुकानों पर धावा बोलना शुरू कर दिया।

शाम छह से रात 10 बजे तक पहरेदारी

शाम छह से रात 10 बजे तक दस दस महिलाएं दुकानों की ओर जाने वाले रास्ते पर लाठी लेकर पहरेदारी करने लगीं। जो शराब पीने जाते, उन्हें रोकना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इसका असर दिखने लगा। करीब डेढ़ साल बाद बस्ती की सूरत बदल गई है। अब शराब दुकानें बंद हो चुकी हैं। दुकान चलाने वाली महिलाएं दूसरे के घरों में बर्तन-चौका कर रही हैं। बस्ती में अब कोई शराब पीकर गिरा हुआ नहीं मिलता। बच्चे-किशोर भी अपराध से दूर हो रहे हैं। बच्चों को चंदन पेंटिंग और डांस सिखाती हैं।

संकट के बावजूद जारी रही पढ़ाई

चार बहनों व तीन भाइयों के साथ निम्न वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी चंदन के पिता की मौत वर्ष 2003 में हो चुकी है। भाई व बहन पढ़ाई करते हैं। चंदन बच्चों को पेंटिंग सिखाकर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कालेज से एकाउंट्स आनर्स से ग्रेजुएशन व पीजी कर चुकी हैं। उन्होंने इग्नू से पीजी डिप्लोमा इन रूरल डेवलपमेंट, जमशेदपुर वीमेंस कालेज से ह्यूमन राइट्स में एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स भी किया है। यही नहीं रोहतक (हरियाणा) से बीएड भी कर चुकी हैं। चंदन फिलहाल करनडीह स्थित लालबहादुर शास्त्री मेमोरियल कालेज में प्लस टू के छात्रों को कॉमर्स पढ़ा रही हैं। राजस्थान सेवासदन के पास अपने घर पर फाइन आर्ट का स्कूल चलाती हैं। दो सौ बच्चे पेंटिंग सीख रहे हैं। चंदन ने फाइन आर्ट्स में प्राचीन कला केंद्र से पांच वर्षीय और बंगीय परिषद से सात वर्षीय कोर्स भी किया है। 26 जून 1981 को जन्मी चंदन अभी शादी नहीं करना चाहतीं। उनकी मंशा कुछ और करने की है। 


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