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टीम स्पेशल ओलंपिक्स की, खिलाड़ी मूक-बधिर

इसे यूं समझिए एक साधारण खिलाड़ी को दिव्यांग टीम में जगह मिल जाए तो आप क्या कहेंगे। आप कहेंगे यह तो सरासर नाइंसाफी है। जी हां ऐसा ही कुछ नाइंसाफी स्पेशल ओलंपिक्स भारत झारखंड की टीम में हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 08:00 AM (IST)
टीम स्पेशल ओलंपिक्स की, खिलाड़ी मूक-बधिर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इसे यूं समझिए, एक साधारण खिलाड़ी को दिव्यांग टीम में जगह मिल जाए तो आप क्या कहेंगे। आप कहेंगे, यह तो सरासर नाइंसाफी है। जी हां, ऐसा ही कुछ नाइंसाफी स्पेशल ओलंपिक्स भारत, झारखंड की टीम में हो रहा है।

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आबूधाबी में आठ मार्च से आयोजित होने वाली 15वीं स्पेशल ओलंपिक्स व‌र्ल्ड गेम्स के लिए चयनित भारत की टीम में झारखंड के ऐसे दो खिलाड़ी को शामिल किया गया है, जो मानसिक रूप से दिव्यांग न होकर मूक-बधिर हैं। स्पेशल ओलंपिक्स ने मानसिक रूप से दिव्यांग को परिभाषित कर यह स्पष्ट किया है कि किसे स्पेशल खिलाड़ी माना जाए। लेकिन स्पेशल ओलंपिक्स झारखंड में सब चलता है। टीम में सात खिलाड़ियों में दो ऐसे हैं, जो मूक बधिर हैं। टीम के साथ दो कोच को नियुक्ति किया गया है।

स्पेशल ओलंपिक्स के अनुसार मूक-बधिर खिलाड़ी स्पेशल खिलाड़ियों की प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, क्योंकि वे दिमागी तौर पर स्पेशल खिलाड़ियों की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं।

विडंबना यह है कि स्पेशल ओलंपिक्स भारत झारखंड को इस मामले में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आ रही है। वे लोग मामले की जाच करने के बजाय खिलाड़ियों के समर्थन में ही ताल ठोककर खड़े हो गए हैं।

सतबीर ने मूक-बधिर खिलाड़ियों का किया बचाव स्पेशल ओलंपिक्स भारत झारखंड के एरिया डायरेक्टर सतबीर सिंह से जब इस मामले में पूछा गया, तो उनका कहना था कि जिसे शिकायत है, वह कोर्ट में जाए। वह कहते हैं, उसी खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया है, जिनके पास स्पेशल होने का प्रमाण पत्र है। सतबीर से जब यह पूछा गया कि- यदि कोई खिलाड़ी फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर टीम में जगह बना लेता है, तो क्या एसोसिएशन की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह मामले की जाच करे? इस पर अपना पल्ला झाड़ते हुए सतबीर सिंह कहते हैं कि स्पेशल खिलाड़ी कई तरह की जाच से गुजरने के बाद एक प्रतिभागी के रूप में मैदान पर उतरते हैं। उनकी दिमागी क्षमता को जाचने के लिए कई तरह की समितिया बनी हुई है, जो अपना काम कर रही है।

पहले भी हो चुका है विरोध

स्पेशल ओलंपिक्स भारत, झारखंड के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी मूक बधिर खिलाड़ी को स्पेशल खिलाड़ी की टीम शामिल कर दिया गया हो। इससे पहले टेल्को की एक मूक-बधिर खिलाड़ी को स्पेशल टीम में घुसा दिया गया था, जो पदक जीतने के साथ-साथ सरकार से भी लगभग आठ लाख रुपये की पुरस्कार राशि हासिल करने में सफल रही। मामला संज्ञान में आने के बाद शोर शराबा तो खूब हुआ, लेकिन तब भी स्पेशल ओलंपिक्स झारखंड के पदाधिकारी मौन ही रहे।

एनसीसी के कमांडेंट ने खिलाड़ियों का बढ़ाया हौसला

सोमवार को जेआरडी टाटा स्पो‌र्ट्स काप्लेक्स में 37वीं झारखंड बटालियन एनसीसी के कमाडेंट विक्रमजीत सिंह पनाग की मौजूदगी में इन खिलाड़ियों की न केवल हौसला अफजाई की गई, बल्कि टाटा स्टील की ओर से उन्हें किट भी प्रदान किया गया। मौके पर स्पेशल ओलंपिक्स भारत, झारखंड के एरिया डायरेक्टर बेली बोधनवाला, सहायक एरिया डायरेक्टर सतबीर सिंह, टाटा स्टील खेल विभाग के हेड आशीष कुमार, सीनियर मैनेजर बगीचा सिंह एवं जीविका संस्था के संचालक अवतार सिंह समेत स्पेशल ओलंपिक्स, झारखंड से जुड़े कई अन्य लोग मौजूद थे।

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टीम में आठ खिलाड़ी व दो कोच

व‌र्ल्ड समर गेम्स में झारखंड के आठ खिलाड़ी व दो कोच हिस्सा लेंगे। झारखंड की नेहा कुमारी पावरलिफ्टिंग में, मोनिका महतो व रोहित नाग बैडमिंटन में, शुभम कुमार व प्रियाशु कुमार साइकिलिंग में, आशिक अंसारी व एन साइ कृष्णा एथलेटिक्स में भारत की ओर से दावेदरी पेश करेंगे। वहीं झारखंड के मोहम्मद साजिद को फुटबॉल टीम का और लखन को साइकिलिंग का कोच बनाया गया है।


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