नाइट क्राइम का बेताज बादशाह था सोनू, जानें-हिस्ट्रीशीटर की कहानी
पूर्वी सिंहभूम के मुख्यालय जमशेदपुर के स्टेशन रोड पर स्टार टाकीज के करीब मारा गया हिस्ट्रीशीटर सोनू मिश्रा नाइट क्राइम का बेताज बादशाह था।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वी सिंहभूम के मुख्यालय जमशेदपुर के स्टेशन रोड पर स्टार टाकीज के करीब मारा गया हिस्ट्रीशीटर सोनू मिश्रा नाइट क्राइम का बेताज बादशाह था। उस पर दर्ज मुकदमों में ज्यादातर रात में लूट-पाट और छिनैती के हैं। नवंबर 2015 में शहर में रात में लूटपाट की लगातार कई घटनाओं की जांच के बाद पुलिस ने सोनू मिश्रा को जेल भेजा था।
परमजीत सिंह गिरोह के सदस्य जुगसलाई के छपरैया मोहल्ला निवासी सोनू ने लूटपाट और छिनैती की घटना को अंजाम देने के लिए खुद अपना एक छोटा सा गिरोह बना लिया था। छिनैती और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देकर सोनू मिश्रा पुलिस की नाक में दम किए हुए था। उम्मीद है कि सोनू के कत्ल के बाद अब घटनाओं में कमी आएगी।
2013 में बढ़ गई थी लूटपाट की घटनाएं
पुलिस सूत्रों के अनुसार नवंबर और दिसंबर 2013 में शहर में लूटपाट की घटनाओं में अचानक इजाफा हो गया। इस पर तत्कालीन एसएसपी अमोल वेणूकांत होमकर ने रात में लूटपाट करने वाले गैंग को पकडऩे के लिए कई थानों की पुलिस की एक टीम बनाई। इसके बाद पुलिस ने लूटपाट की योजना बनाते हुए सोनू गैंग के सदस्यों को उस समय धरदबोचा जब वो गोलमुरी के केबलटाउन स्थित दुर्गापूजा मैदान में बैठक कर घटना को अंजाम देने की प्लानिंग कर रहा था। तब उसके साथ परसुडीह का सुरेंद्र सिंह, शंकरपुर का बीरबल दास, बिरसानगर का चरणजीत सिंह आदि गिरफ्तार हुए थे।
रची थी शराब कारोबारी की हत्या की साजिश
2014 में सोनू ने मारपीट के एक मामले के बाद बागबेड़ा के रंजीत, उसके भाई संजीत और एक नेता बम चटर्जी की हत्या करने की योजना बनाई थी। इसके लिए वो इन सभी की रेकी कर रहा था। लेकिन पुलिस ने उसे साकची के रेडक्रास भवन के पास सोनू और उसके एक साथी तब गिरफ्तार कर लिया जब वो लोग रंजीत, संजीत आदि की हत्या करते हुए दबोच लिया था। इसके बाद सोनू मिश्रा 14 नवंबर 2015 को मानगो बस स्टैंड से गिरफ्तार हुआ था।
घर का भेदी लंका ढाहे
सोनू मिश्रा के मारे जाने के बाद भले ही शहर में तरह-तरह चर्चा हो रही है या फिर कानाफूसी हो रही है, पर यह सत्य है कि जिस तरीके से उसकी हत्या की गई। वह सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। चाहे वह जिस परिस्थिति में हो, इस पूरे प्रकरण में घर का भेदी लंका ढ़ाहे वाली कहावत सौ फीसदी चरितार्थ हुई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सोनू मिश्रा के गिरोह में ही विभीषण पैदा हो गया, जिसका फायदा विरोधियों को मिला। चाहे वह किसी आपराधिक गिरोह हो। विभीषण ने विरोधियों का साथ मजबूरी या फिर दबाव में दिया। किस तरीके से दिया। यह खुलकर सामने नहीं आया है। सोनू मिश्रा कोर्ट आने वाला है, इसके बाद वापस लौटने वाला है। कब कोर्ट से निकला, इसकी जानकारी आखिर शूटरों को किससे लगी। सोनू मिश्रा अचानक ही खडग़पुर से शहर पहुंचा था।
यह भी पढ़ें: गैंग्स ऑफ जमशेदपुर : वर्चस्व की जंग में जेल में बिछी थी दो लाशें