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Gangs of Jamshedpur : कभी सीरियल क्राइम तो कभी साइको किलर्स से थर्राता रहा जमशेदपुर Jamshedpur News

Gangs of Jamshedpur. सीरियल क्राइम के कारण जमशेदपुर शहर में एसएसपी का पद सृजित किया गया था। डीजीपी को शहर आना पड़ा था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 11:00 AM (IST)
Gangs of Jamshedpur : कभी सीरियल क्राइम तो कभी साइको किलर्स से थर्राता रहा जमशेदपुर Jamshedpur News

जमशेदपुर, अन्वेश अंबष्ठ। Gangs of Jamshedpur लौहनगरी में एक से बढ़कर एक गैंग तैयार हुए। वारदातों को अंजाम दे पूरे शहर में दहशत कायम की। अखिलेश सिंह और परमजीत सिंह गिरोह के बीच वर्चस्व को लेकर चल रहे गैंगवार के बीच 2009 में पंकज दुबे का गिरोह पनपा जिसने एक के बाद एक सीरियल क्राइम किए।

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डाक्टरों, बिल्डर ओर व्यवसायी को निशाना बनाया। इस गिरोह ने न सिर्फ व्यापारियों व आमजनों में दहशत बनाई, बल्कि जिला प्रशासन से लेकर शीर्षस्थ सरकारी अमले तक की पेशानी पर बल पड़ गए। इस गिरोह पर लगाम लगाने के लिए जमशेदपुर में एसएसपी, ग्रामीण एसपी और सिटी एसपी के पद सृजित किए गए। इसके पहले एसपी और ग्रामीण एसपी के ही पद थे। 

किसी को भी वेबजह मार देता था अंजन शुक्‍ला

पंकज दुबे गिरोह के बाद गोविंदपुर निवासी अंजन शुक्ला जो जिला पुलिस का सिपाही था। उसने 2013 में गिरोह तैयार किया। किसी को भी बिना वजह से मार देता था। गिराह को पुलिस ने साइको किलर्स का नाम दिया था। अंजन शुक्ला, मंगल तिवारी, मनीष पांडेय और कन्हैया झा को 27 जुलाई 2014 में पकड़ा गया। हथियार बरामद किए गए। नौ आपराधिक मामलों को गिरोह ने अंजाम देकर दहशत फैला दी थी। कई माह तक गिरोह के सदस्य जेल में रहे। जमानत पर रिहा होने के बाद से अंजन शुक्ला फरार है। एसएसपी अमोल वी होमकर थे। इनके कार्यकाल में बिहार के सिवान जिला के आकोपुर का वांटेड अपराधी माया भगत उर्फ लुल्हा, मिंटू गुप्ता, छोटू प्रसाद के गिरोह ने दो हत्या और आधा दर्जन फायरिंग की घटना को अंजाम दिया। गिरोह के सरगना माया भगत उर्फ लुल्हा को पुलिस ने 2014 अप्रैल में उलीडीह में मुठभेड़ में मार गिराया था। इन तीनों गिरोह ने ऐसी वारदातों को अंजाम दिया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी।   

डॉक्टर प्रभात कुमार और व्यवसायी इंदरपाल सिंह की कर दी गई थी हत्या

2009 नवंबर से 2010 फरवरी के बीच अखिलेश सिंह की तरह शहर में अपना गैंग खड़ा करने के लिए बागबेड़ा कॉलोनी निवासी पंकज दुबे ने दहशत फैला कर शहर में अपना दबदबा कायम करने के लिए टाटा मुख्य अस्पताल के डॉक्टर पीके मिश्रा और अनुपम प्रसाद को गोली मार घायल कर दिया था। सीएच एरिया के पेट्रोल पंप और बिल्डर रोहित सिंह के कार्यालय पर फायरिंग की। टीएमएच के डॉक्टर प्रभात कुमार के घर में घुसकर 17 दिसंबर 2009 गोली माकर हत्या कर दी थी। मानगो के सिख व्यवसायी इंद्रपाल सिंह की एक जनवरी 2010 में मानगो में हत्या कर दी थी। इसके पीछे पंकज दुबे का मकसद था कि अखिलेश सिंह गिरोह की तरह उसे रंगदारी मिलने लगेगी। गिरोह का वर्चस्व कायम हो जाएगा।

शाम होते ही शुरू को जाती थी फायरिंग

रगना पंकज दुबे की सोच थी कि पहले क्राइम कर दहशत फैलाओ। इसके बाद रंगदारी की वसूली करो। शाम होते ही शहर में जहां-तहां फायरिंग कर दी जाती थी। दहशत के कारण शहर में दो पहिया वाहन पर दो की सवारी पर रोक लग गई थी। चेकिंग के लिए जैप जवानों को उतारा गया था। गिरोह की लगातार बढ़ती गतिविधि के कारण प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी नियाज अहमद को जमशेदपुर आना पड़ा था। एसएसपी नवीन कुमार सिंह थे। 25 जनवरी 2010 को पंकज दुबे और उसके गिरोह के सारे सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पंकज दुबे को डॉक्टर प्रभात कुमार की हत्या में उम्रकैद की सजा तीन अक्टूबर 2018 को सुनाई गई। केवल बिष्टुपुर थाना क्षेत्र में गिरोह ने छह मामलों को अंजाम दिया था।

बेवजह टाटा मोटर्स, टाटा स्टील के अधिकारी व पूर्व सैनिक की हत्या

 

 साइको किलर्स गैंग का सरगना अंजन शुक्ला को कार वालों से नफरत थी। इसके पीछे उसका कारण उसने बताया कि उसकी कार में धक्का मार दिया था। विरोध किया तो लोग मदद के बजाय उसकी पिटाई करने लगे। वह वर्दी में था। पत्नी भी साथ थी। तब लगा कि बेकार है वर्दी पहनना। बाद में विभागीय कार्रवाई में निलंबित भी हो गया। इसके बाद उसे हर कार वालों से चिढ़ हो गई। इस गिरोह ने टाटा मोटर्स के अधिकारी ब्रजेश सहाय की नीलडीह कॉलोनी आवास के सामने 22 फरवरी 2014 को गोली मार हत्या उस वक्त कर दी गई थी जब सहाय प्लांट से वापस कार से घर लौट रहे थे। 10 मार्च 2014 को टाटा स्टील के अधिकारी रत्नेश राज को गोविंदपुर घोड़ाबांधा में गोली मार दी गई थी। वे कार से वहां पहुंचे थे। इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई थी। इसी तरह 15 जून 2014 को टाटा मोटर्स अस्पताल के पास इनोवा पर आए दो इंजीनियर शरण दीप सिंह और गु्रप्रीत सिंह को बेवजह गोली मार दी थी।

 गदरा में कर दी गई थी पूर्व सैनिक की हत्‍या

दिसंबर 2013 को परसुडीह के गदरा में पूर्व सैनिक ललित कुमार की हत्या अंजन शुक्ला ने साथियों के साथ मिलकर दी थी। 23 नवंबर 2013 को बिष्टुपुर यूनाइटेड क्लब के पास कार सवार टाटा स्टील के अधिकारी विपुल कुमार को गोली मार दी थी। संयोग से वे बच गए। तत्कालीन कोल्हान के डीआइजी मो. नेहाल ने गिरोह के बारे में कहा था कि यह एबनॉर्मल किलर बेहेवियर का मामला है। पुलिस के लिए हर केस एक अनुसंधान का विषय हो गय था। अपराधियों की सोच थी कि बड़े लोग ही चमचमाती कार में चलते हैं। इस कारण इन पर फायरिंग कर देते थे।

सिवान के लुल्हा गिरोह ने मानगो में युवक और युवती की कर दी थी हत्या

बिहार के सिवान जिले के ओकारपुर थाना क्षेत्र का वांटेड अपराधी माया भगत उर्फ लुल्हा अपने गिरोह के साथ गोविंदपुर में किराये के मकान में रहता था। इस गिरोह ने जादुगोड़ा में नववर्ष पर छेडख़ानी को लेकर हुए विवाद में मानगो के उलीडीह थाना क्षेत्र शंकोसाई रोड नंबर एक की नवविवाहिता शंकुतला उर्फ बेबी और उसके पड़ोसी बैजू प्रसाद की विवाद के बाद एक जनवरी 2014 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में सोनू रजक घायल हो गया था। रात में गिराह के सदस्य लोगों को निशाना बनाते थे। लुल्हा कफ सिरप के नशे का आदी था। सिरफिरा था। शहर में रहकर वह गैंग तैयार कर रहा था।


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