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पूर्वी सिंहभूम की छह स्टील कंपनियों पर बंदी का खतरा, जानिए क्या है वजह

इंडक्शन फर्नेस में हर तीन-चार घंटे पर बिजली कटने से कंपनी मालिक पर दोहरी मार पड़ती है। एक बार फर्नेस को गर्म होने में दो से ढाई घंटे लगते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 11:27 AM (IST)
पूर्वी सिंहभूम की छह स्टील कंपनियों पर बंदी का खतरा, जानिए क्या है वजह
पूर्वी सिंहभूम की छह स्टील कंपनियों पर बंदी का खतरा, जानिए क्या है वजह

जमशेदपुर(वीरेंद्र ओझा)। जिस तरह से कोल्हान की तीन स्पंज आयरन कंपनियां एक-एक कर बंद हो गईं, उसी तरह अब संकट के बादल धालभूमगढ़ की कंपनियों पर मंडरा रहे हैं। धालभूमगढ़ में इंडक्शन फर्नेस पर आधारित छह स्टील कंपनियां (मां तारा, गजानन फेरो, शंकर फेरो, सुखसागर मेटल, हिमाद्री स्टील व हरिओम स्मेल्टर) हैं। ये कंपनियां स्पंज आयरन की तुलना में काफी छोटी हैं, तो इनकी समस्या भी अलग है। धालभूमगढ़ की कंपनियों पर संकट के बादल मंडराने का बड़ा कारण बिजली है। 

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सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सचिव (उद्योग) महेश सोंथालिया बताते हैं कि झारखंड सरकार और बिजली विभाग की नीति से यहां की कंपनियां त्राहिमाम कर रही हैं। इन कंपनियों को दिन में 15-20 घंटे ही बिजली मिलती है, लेकिन बिजली विभाग 24 घंटे के हिसाब से पैसा लेती है। दिन में कम से कम तीन-चार बिजली कटती है, जिससे ना केवल उत्पादन ठप हो जाता है, बल्कि कंपनी मालिक पर दोहरी मार पड़ती है। इंडक्शन फर्नेस पूरी तरह बिजली पर ही निर्भर हैं, यह ना सरकार समझने को तैयार है, ना बिजली विभाग। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आदेश भी जारी कर दिया है कि कंपनियों का बिल मीटर रीडिंग के आधार पर लिया जाए, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है।

सरकार के मंत्री व सचिव से लेकर उद्योग या बिजली विभाग के अधिकारी इस मसले पर कोई बात ही नहीं करना चाहते। इसका खामियाजा यहां की कंपनियां भुगत रही हैं। पंजाब में सरकार बिजली बिल पर 1.25 रुपये प्रति यूनिट की छूट देती है, तो मिनिमम गारंटी 540 रुपये की बजाय 300 रुपये लेती है। आखिर यह सोचने वाली बात है कि हमें जितनी बिजली का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उसका पैसा क्यों दें। 

बार-बार बिजली कटने से पड़ती दोहरी मार

इंडक्शन फर्नेस में हर तीन-चार घंटे पर बिजली कटने से कंपनी मालिक पर दोहरी मार पड़ती है। एक बार फर्नेस को गर्म होने में दो से ढाई घंटे लगते हैं। लोहा जब तरल अवस्था में पहुंचता है और उसी समय बिजली कट गई तो वह दोबारा ठोस होने लगता है। इससे तैयार लोहे की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है, बिजली कटने के दौरान कर्मचारी-मजदूर भी बैठे रहते हैं। उत्पादन तीन से चार गुणा कम होता है। 

करीब 10 हजार लोग हो जाएंगे प्रभावित

धालभूमगढ़ की इंडक्शन फर्नेस कंपनियों में करीब 2500 लोग रोजगार पा रहे हैं, जिनसे करीब 10,000 लोग जुड़े हैं। यदि ये कंपनियां बंद हो गईं तो क्षेत्र की बड़ी आबादी प्रभावित होगी। इन कंपनियों को यदि सरकार से प्रोत्साहन मिले, तो पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी। अफसोस की बात है कि इसे सरकार के लोग नहीं समझ पा रहे हैं। 


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