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आंकड़ों की सुरक्षा और निजता पर एनआइटी में शॉर्ट टर्म कोर्स, ये रही पूरी जानकारी

NIT. एनआइटी जमशेदपुर ने क्रिप्टोलोजी पर एक अल्प अवधि का कोर्स आयोजित करने का निर्णय किया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 02:18 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 11:40 AM (IST)
आंकड़ों की सुरक्षा और निजता पर एनआइटी में शॉर्ट टर्म कोर्स, ये रही पूरी जानकारी
आंकड़ों की सुरक्षा और निजता पर एनआइटी में शॉर्ट टर्म कोर्स, ये रही पूरी जानकारी

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  आज के समय में डाटा पर निर्भरता बढ़ गई है। यह निर्भरता और भी बढ़ रही है। ऐसे में आंकड़ों की सुरक्षा पर समय-समय पर प्रश्नचिह्न लगते रहते हैं। एनआइटी जमशेदपुर ने क्रिप्टोलोजी पर एक अल्प अवधि का कोर्स आयोजित करने का निर्णय किया है। इसका नाम है इंट्रोडक्शन टू मॉडर्न क्रिप्टोलोजी वेब ब्राउजर।

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ईमेल प्रोग्राम, सेलफोन, बैंक कार्ड या वोटिंग सिस्टम हर जगह सुरक्षा पर सवाल उठते रहते हैं। इन डिवाइसेज की सुरक्षा और आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश भी की जाती है। इसी तरह की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस कोर्स को काफी उपयोगी माना जा रहा है। इसमें आइआइटी विशेषज्ञों द्वारा आंकड़ों को सुरक्षित रखने और सार्वजनिक होने से बचाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।  यह शॉर्ट टर्म पाठ्यक्रम आगामी एक जुलाई से शुरू होगा। एनआइटी के अनुसार इसमें कुछ एडवांस टॉपिक्स को भी शामिल किया गया है जैसे पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोलोजी,इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग, फंक्शनल इंक्रिप्शन, ब्लॉकचेन, क्रिप्टो करेंसी आदि।

पाठयक्रम के लिए योग्यता

इस शॉर्ट टर्म प्रोग्राम में फैकल्टी भी भाग ले सकेंगे। फैकल्टी के अलावा स्टेट व सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कोई भी यूजी, पीजी छात्र या रिसर्च स्कॉलर्स इसमें नामांकन करा सकेंगे। अबतक जयपुर, दिल्ली, ओडिशा के संस्थानों से इस पाठयक्रम के लिए दिलचस्पी दिखाई गई है।

इन विषयों पर दी जाएगी जानकारी

क्लासिकल क्रिप्टोग्राफी, ब्लॉक एंड स्ट्रीम सिफर, डाटा इंक्रिप्शन स्टैंडर्ड, एडवांस इंक्रिप्शन स्टैंडर्ड, प्रूवेबल सिक्यूरिटी व सिक्यूरिटी स्टैंडर्ड, ब्रॉडकास्ट इंक्रिप्शन, फंक्शनल इंक्रिप्शन, इलिप्टिक कर्व क्रिप्टोलोजी, मल्टी पार्टी कंप्यूटेशन, आइडी आधारित क्रिप्टोसिस्टम्स, कोड आधारित क्रिप्टोग्राफी आदि।

ये कहते को-ऑर्डिनेटर

दो लोगों के बीच होनेवाली बातचीत कोई तीसरा नहीं सुन सके, डिजिटल सिगनेचर सुरक्षित हो, इसके लिए कोडिंग की जाती है। यह कोडिंग ऐसी होनी चाहिए जिसे डिकोट करना आसान नहीं हो। इसके अलावा भी आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक्स गजट व डिवाइसेज पर बढ़ी निर्भरता के चलते यह शॉर्ट टर्म कोर्स काफी उपयोगी है। 

- डॉ. सुमित कुमार देबनाथ, कोर्स को-ऑर्डिनेटर 

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