म्यूचुअल फंड से अब मिनटों में निकाले पैसे, जानिए सेबी ने क्या-क्या किए नियमों में और बदलाव
Share Market Big update अब से कुछ दिनों पहले तक म्युचुअल फंड से पैसा निकालने के लिए आपको इंतजार करना पड़ता है। सेबी ने निवेशकों की इसी परेशानी को देखते हुए नियमों में कई बदलाव किए हैं। आइए जानते हैं क्या-क्या बदलाव हुए हैं...
जमशेदपुर : म्यूचुअल फंड के निवेशकों को सेबी ने राहत प्रदान करते हुए आदेश जारी किया है कि अब निवेशक कुछ ही समय में अपना पैसा निकाल सकते हैं। जानकारी हो कि सेबी ने 2017 में जारी अपने सर्कुलर को संशोधित कर म्यूचुअल फंड हाउसों को ओवरनाइट फंड में तत्काल पहुंच की सुविधा देने की अनुमति दी है। इससे अब निवेशक जल्द से जल्द पैसा निकाल सकते हैं।
90 फीसद तक निकाल सकते हैं पैसा
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को राहत देते हुए इंस्टेट एक्सेस की सुविधा प्रदान की है। इसके तहत रिडेंप्शन रिक्वेस्ट से कुछ ही घंटों या मिनटों में अपने फंड से पैसा निकाल सकते हैं। निवेशक अपनी यूनिट के मूल्य का 90 प्रतिशत तक राशि निकाल सकते हैं। जो तत्काल एक्सेस सुविधा के लिए 50000 रुपये की सीमा के अधीन है। सेबी ने म्यूजुअल फंड हाउसों को ओवरनाइट फंड में तत्काल पहुंच की सुविधा देने की अनुमति दी है। नया नियम तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इंस्टेंट सुविधा उन निवेशकों को मिलेगी जो रिडेंप्शन रिक्वेस्ट के कुछ घंटों या मिनटों के भीतर अपने फंड तक पहुंच सकते हैं।
अब जल्द मिल सकेगा पैसा
पहले होता यह था कि आमतौर पर लिक्विड फंड सहित डेट फंड से पैसा निकालने में एक से दो वर्किंग दिन लग जाता था। जिससे म्यूचुअल फंड हाउस के बैंक खाते में रकम जमा करती है, लेकिन सेबी के नए आदेश के बाद अब नई सुविधा दी गई है। जिसमें उन्हें जल्द से जल्द पैसा मिल जाएगा।
क्लेम न करने पर फंड को दूसरी जगह करेंंगे इंवेस्ट
एक दिसंबर 2021 से सेबी ने ऐसी रकम जिस पर क्लेम नहीं किया गया हो, उस धन और लाभांश को म्यूचुअल फंड की ओवरनाइट स्कीम, तरल और मुद्रा बाजार योजनाओं में निवेश की अनुमति देगा। पहले इस तरह के पैसे को कॉल मनी, लिक्विड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जा सकता था। एएमसी ऐसी योजनाओं में एक्जिट लोड नहीं ले सकती।
सेबी ने डीमैट अकाउंट को लेकर भी किए बदलाव
नया ट्रेडिंग और डीमैन अकाउंट खुलवाने वालों के लिए बाजार नियामक सेबी ने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। इसके तहत अकाउंट खोलने से पहले एक नॉमिनेशन फार्म भरना होगा। जिसके जरिए निवेशक किसी को नॉमिनी बना सकता है। अगर वे ऐसा नहीं चाहते हैं तो इसके बदले उन्हें एक डिक्लेरेशन फार्म भरना होगा। यह नियम एक अक्टूबर से लागू होगा।