शहरनामा : जमशेदपुर में इस मैडम का है आतंक, देखते ही मच जा रहा हड़कंप
Jamshedpur News जमशेदपुर में इस मैडम को का तेवर देख जमशेदपुर में हड़कंप मच जा रहा है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक में खौफ है। डर का आलम यह है कि मैडम का गुस्सा देख लोग थर-थर कांपने लग रहे हैं....
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : आजकल मैडम का तेवर सातवें आसमान पर रहता है। कब कौन अधिकारी इनके गुस्से का कोपभाजन बन जाए किसी को पता नहीं चलता। अचानक ही किसी कार्यालय में पहुंच जाती हैं। इसके बाद तो अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक की शामत आ जाती है।
ताजा मामला दुर्गा पूजा विसर्जन के एक दिन बाद का है। बाबूओं से लेकर कर्मचारियों तक पूजा की खुमारी में डूबे थे। आराम से कार्यालय पहुंचे। लेकिन यह क्या, सामने मैडम का चंडी का रूप देख सभी की घिग्घी बंध गई। देर से आने वालों के एक दिन का वेतन काट दिया गया। लगे हाथों शिक्षा विभाग पहुंच गई। कार्यालय में फैली गंदगी देख मैडम भड़क गई। शिक्षा विभाग की मैडम यह तेवर सह नहीं पाई और थर-थर कांपने लगी। उनकी तबीयत खराब हो गई। यह देख मैडम भी घबरा गई और महिला अधिकारी को अस्पताल पहुंचाया।
ससुराल पर साहब की नजरें इनायत
आजकल आदित्यपुर में चर्चा ए आम है कि चुनावी सीजन में साहब की अपने ससुराल पर कुछ ज्यादा ही नजरें इनायत है। फरवरी में आदित्यपुर नगर निगम का चुनाव है। पिछले चार साल से वार्ड नंबर 18 विकास की बाट जोह रहा था। बस्ती वाले ससुराल वालों को ताना देते रहते थे। कहा करते थे, कैसा दामाद है जिसे अपने ससुराल का ख्याल नहीं है।
साहब को भी इस बात की भनक थी कि उनकी शिकायत हो रही है। लेकिन सत्ता की बिसात पर घोड़े की चाल कब चलनी है, इन्हें बखूबी पता है। फरवरी में आदित्यपुर नगर निगम का चुनाव है। चुनावी वर्ष में लोहा गरम है, तो साहब ने भी ससुराल वाले क्षेत्र में 50 लाख की बंपर सौगात देकर खुशी का बड़ा पैकेज दे दिया। ससुराल वाले फूले नहीं समा रहे। इसे ही तो कहते हैं, सारी खुदाई एक तरफ...।
एक आंख में सूरमा, दूसरे में काजल
आजकल जिला प्रशासन को जब प्यास लगती है, तब कुआं खोदता है। दुर्गापूजा मेला शुरू होने से पहले मैडम का फरमान जारी होता है कि इस बार शहर में मौत का कुआं नहीं लगेगा। लेकिन बर्मामाइंस सहित अन्य इलाकों में मौत के कुएं का खेल धड़ल्ले से चलता दिखा। मैडम के नाक के नीचे नियमों की धज्जियां उड़ती रही। लोग कह रहे हैं, भाई मैडम की भी अपनी मजबूरी है।
चर्चा में रहने के लिए कुछ तो करेंगी ही। किसी ने कहा, फरमान जारी करना था तो एक महीने पहले करती। सारा ताम झाम लगने के बाद इसका क्या फायदा। उधर, धार्मिक जुलूस को लेकर भी प्रशासन दबाव में रहा। नियमों का पैबंद तार-तार होते दिखा। कोई रैश ड्राइविंग करते दिखा तो कोई ट्रक पर फुल साउंड में लाउडस्पीकर बजाता। अब लोग कह रहे हैं, एक आंख में सूरमा, दूसरे में काजल...।
जेएससीए का सर्वेसर्वा बनने की हसरत
कभी अमित की आभा से झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन दैदीप्यमान हुआ करता था। लेकिन असमय सूरज अस्त होने के साथ ही सत्ता की लालसा रखने वालों की लोलुपता सामने आने लगी। ऐसे ही एक शख्स हैं, जो खुद को अजेय साबित करने में जुटे हैं। उपाध्यक्ष का पद चला गया, लेकिन सत्ता का मोह छूटे नहीं छूट रहा। भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में टीवी वाले को इंटरव्यू देते दिखे।
एंकर उन्हें जेएससीए का उपाध्यक्ष बता रहा था। जेएससीए का सर्वेसर्वा बनने की हसरत पाले साहब मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। लेकिन यह क्या, जिन साहब की कभी क्रिकेट संस्था में दबदबा हुआ करता था, वक्त पलटने के साथ लोग उन्हीं से पीछा छुड़ाने लगे। हद तो तब हो गई, जब मैच के बाद पुरस्कार समारोह के दौरान उन्हें मंच तक पर जगह नहीं मिली। साहब तिलमिलाकर रह गए। बस वक्त का इंतजार कर रहे हैं।