झारखंड के इस जू में उदासी की है खास वजह : नहीं रही डोना,राघव व शांति के मिलन से हुआ था जन्म
झारखंड के जमशेदपुर में स्थित टाटा जू में उस वक्त उदासी पसर गई जब सात वर्षीय बाघिन डोना की मौत हो गई। डोना करीब एक सप्ताह से बीमार चल रही थी और इलाज चल रहा है।
जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील जूूलोजिकल पार्क में सात साल तक लाखों दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रही सात वर्षीय डोना बाघिन ने दम तोड़ दिया। डोना की मौत होते ही जू के कर्मचारियों व पदाधिकारियों के बीच मातम छा गया। बताया जाता है कि डोना पिछले सात-आठ दिनों से बीमार थी। उसका इलाज जू के डाक्टर एम पालित के देखरेख में किया जा रहा था।
डोना की मौत के बाद शनिवार को जू प्रबंधन ने जमशेदपुर के जिला वन्य संरक्षण पदाधिकारी (डीएफओ) डा. अभिषेक कुमार को सूचना दी। डा. अभिषेक कुमार के निर्देश पर प्रशिक्षु आइएफएस अवनीश चौधरी, टाटा जू के निदेशक विपुल चक्रवर्ती टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क पहुंचे। इसके बाद जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद पांच चिकित्सकों की टीम ने बाघिन डोना का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों में जू के पशु चिकित्सक डा. एम पालित, डा. सुरेंद्र प्रसाद, डा. वीके सिंह, डा. आरके सिंह व डा. डीएन चौरसिया शामिल थी। डीएफओ ने बताया कि बाघिन का हिस्टो पैथोलोजी जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधन संस्थान (आइवीआरआई) बरेली भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद यह जानकारी मिल पाएगी कि डोना की मौत किस कारण हुई। डीएफओ ने बताया कि प्रारंभिक जांच में मौत का कारण लिसाओं (उतकों का क्षरण) बताया गया है।
राघव व शांति के मिलन से हुआ था डोना का जन्य
डोना का जन्म 16 अप्रैल 2012 को टाटा जू में ही बाघ-बाघिन राघव व शांति से हुआ था। उसके जन्म को लेकर जू के चिकित्सव व कर्मचारियों में काफी उत्सुकता थी। शांति की काफी देखभाल की जाती थी। डोना के जन्म पर जू के कर्मचारियों में खुशी की लहर तो थी ही, जन्म के समय से ही डोना के प्रति पर्यटकों का खास आकर्षण बना रहा। टाटा जू में डोना बाघिन सबकी दुलारी थी। वह पर्यटकों के साथ ही जू प्रबंधकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी रही। डोना उस समय और चर्चा में आई जब 2017 में उसने तीन शावकों को जन्म दिया। शनिवार को जू के कर्मचारियों में मायूसी छाई रही।