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कलानगरी के रूप में यूं ही नहीं है सरायकेला की पहचान, शशधर पद्म पुरस्‍कार पाने वाले सातवें शख्सियत

Art and culture. प्राकृतिक सुंदरता समेटे सरायकेला-खरसावां जिले की पहचान छऊ नृत्य के लिए ही है। यहां छऊ नृत्य सीखने दूसरे देशों से भी कलाप्रेमी आते हैं ।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 03:56 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2020 09:26 AM (IST)
कलानगरी के रूप में यूं ही नहीं है सरायकेला की पहचान, शशधर पद्म पुरस्‍कार पाने वाले सातवें शख्सियत
कलानगरी के रूप में यूं ही नहीं है सरायकेला की पहचान, शशधर पद्म पुरस्‍कार पाने वाले सातवें शख्सियत

जमशेदपुर, जेएनएन।  Seraikela of jharkhand identified due to Chhau dance झारखंड के कोल्‍हान प्रमंडल  का सरायकेला कलानगरी के रूप में प्रसिद्ध है। है तो यह कस्‍बाई शहर, लेकिन छऊ नृत्‍य की वजह से इसकी धमक सात समंदर पार तक है। थोड़े अंतराल के बाद छऊ के गुरु शशधर आचार्य को देश का प्रतिष्‍ठित पद्मश्री सम्‍मान दिए जाने की घोषणा के बाद यह शहर एक बार फ‍िर चर्चा में है। शशधर सरायकेला-खरसावां जिले के छऊ से जुड़े ऐसे सातवें कलाकार हैं जिन्‍हें पद्मश्री पुरस्‍कार मिलेगा।

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दरअसल, प्राकृतिक  सुंदरता समेटे सरायकेला-खरसावां जिले की पहचान छऊ नृत्य के लिए ही  है। यहां छऊ नृत्य सीखने दूसरे देशों से भी कलाप्रेमी  आते हैं और यहां के कलाकारों को दूसरे देशों से प्रदर्शन का बुलावा आता ही रहता है। प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने भी छऊ नृत्य सीखा था। उन्होंने गुरु कुलचरण महापात्रा से छऊ नृत्य का प्रशिक्षण लिया था। अबतक जिन्‍हें पद्मश्री पुरस्‍कार मिल चुका है उनमें शुभेंदु नारायण सिंहदेव, केदारनाथ साहू, श्यामाचरण पति, मंगलाचरण पति, मकरध्वज दारोघा और पंडित गोपाल प्रसाद दूबे शामिल हैं। सातवां नाम जुड़ा है शशधर आचार्य का।

राजघराने से जुड़े थे शुभेंदु नारायण

सरायकेला राजघराने से आनेवाले  शुभेंदु नारायण सिंहदेव को सबसे पहले छऊ कला को संरक्षण व संवर्धन के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला था। शुभेंदु नारायण सिंहदेव सरायकेला राजघराने से आते थे। शुभेंदु नारायण  छऊ के बेहतरीन कलाकार थे। उन्होंने छऊ कला को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किया। उनके नेतृत्व में छऊ कलाकारों की टीम ने आजादी के पूर्व ही  विदेशों का दौरा किया था।  छऊ नृत्य के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुभेंदु नारायण सिंहदेव और उनकी टीम की सराहना की थी। 

राजभवन में हर वर्ष छऊ महोत्सव

सरायकेला राजघराना आज भी छऊ को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। सरायकेला राजघराने की बहू  और सरायकेला नगर पंचायत की पूर्व अध्‍यक्ष रानी अरुणिमा सिंहदेव छऊ की ड्रेस डिजाइनर हैं। उन्होंने सरायकेला छऊ के लिए ड्रेस डिजाइन किए हैं। अरुणिमा के पति राजा आदित्य सिंहदेव छऊ की विरासत को संजोन के प्रयास में निरंतर जुटे हैं। राजभवन में छऊ से जुड़ी बेहतर लाइब्रेरी है। यहां छऊ से जुड़ी ऐतिहासिक तस्वीरें हैं। राजभवन में हर वर्ष छऊ महोत्सव का आयोजन भी होता है।अब तो सरायकेला में सरकारी स्तर पर भी छऊ महोत्सव का आयोजन होता है। राज्‍य सरकार ने महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दे दिया है। महोत्सव के दौरान छऊ के दलों के बीच प्रतियोगिताएं होती हैं और दलों को पुरस्कृत किया जाता है। सरकार की कोशिश छऊ कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करना है। 

शशधर ने भी बढ़ाया छऊ का दायरा

पद्म पुरस्‍कार के लिए अभी-अभी चुने गए शशधर “आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा “ के निर्देशक हैं। उन्‍हें  पीएचडी चेंबर दिल्ली के  पीएचडी ऑफ आर्ट्स पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।  यह पुरस्कार 7 मई 2018  को भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा के द्वारा दिल्ली में  गया था। गुरु शशधर आचार्य सरायकेला छऊ का विदेशों में प्रदर्शन कर  काफी सम्मान भी बटोरे हैं। वर्तमान में नई दिल्ली में संस्था की एक शाखा संचालित कर रहे हैं, जिसमें कलाकारों को सरायकेला छऊ की शिक्षा दे रहे हैं।


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