Jharkhand : बढ़ गए दाम पर कम नहीं हुए कद्रदान, जानिए क्यों खास है सरायकेला का लड्डू
पर्व- त्योहार का मौका हो या फिर घरों और मित्रों के बीच खुशी के क्षण सरायकेला का लड्डू बदस्तूर दिलों को जोड़ने का काम कर रहा है। इसका सफरनामा काफी रोचक है। आप भी जानिए।
सरायकेला, प्रमोद सिंह। जिस तरह छऊ की वजह से सरायकेला की वैश्विक पहचान है उसी तरह यहां का लड्डू भी कम प्रसिद्ध नहीं है। इलायची और अन्य निर्माण सामग्री की वजह से इसके दाम बढ़ गए हैं, बावजूद इसकी डिमांड पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। सरायकेला पहुंचने वाले लोग इसका स्वाद लेने से खुद को रोक नहीं पाते।
पर्व त्योहार मौका हो या फिर घरों और मित्रों के बीच खुशी के क्षण, सरायकेला का लड्डू बदस्तूर दिलों को जोड़ने का काम कर रहा है। कहा जाता है कि किसी कार्यवश यदि कोई सरायकेला आकर सरायकेला के विशेष लड्डू का स्वाद नहीं लेता तो उनका सफर अधूरा ही रहता है। बिना ब्रांडिंग के बड़े मार्केट वाले लड्डू का सफरनामा भी ऐतिहासिक रहा है। कभी इष्ट देवी मां पाऊड़ी के प्रसाद के लिए तैयार होता हुआ यह एक बड़े बाजार के रूप में विकसित हो गया है।
सरायकेला लड्डू के वर्तमान बाजार भाव
- साधारण- 5 रुपये से 7 रुपये प्रति पीस।
- विशेष- 10 से 12 रुपये प्रति पीस।
- साधारण- 180 से 200 रुपये प्रति किग्रा।
- विशेष- 230 से 250 रुपये प्रति किग्रा।
कीमत बढ़ने के ये हैं कारण
बीते वर्ष केरल में आई बाढ़ के बाद मसाले और इलायची की कीमत में लगातार इजाफा होता रहा है। बढ़ी महंगाई के कारण लड्डू की सामग्री इलायची वर्तमान में 44सौ से 46सौ प्रति किलोग्राम, चीनी 38 से 40 प्रति किलोग्राम, बेसन 70 से 75 रुपये प्रति किलोग्राम और सनफ्लावर तेल 120 से 125 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहे हैं। जिस कारण लड्डू की कीमत में बढ़ोतरी की गई बताई जा रही है।
सरायकेला लड्डू का सफरनामा
जानकार बताते हैं कि सरायकेला स्टेट की स्थापना और स्टेट की इष्ट देवी मां पाऊड़ी के सरायकेला आगमन से सरायकेला लड्डू अस्तित्व में आया था। जब मोदक परिवार की एक वृद्धा सिलबट्टे पर बेसन से सेव तैयार कर लड्डू बनाते हुए इष्ट देवी के लिए विशेष प्रसाद तैयार करती थी। बाद में प्रसाद के स्वाद ने इसके मशीनीकरण और बाजारीकरण के रास्ते बनाए। जिसके बाद पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले से बेसन के सेव तैयार करने के लिए विशेष मशीन मंगाए गए। वर्तमान में सरायकेला नगर क्षेत्र की तकरीबन 40फीसद आबादी लड्डू के रोजगार से जुड़ी हुई है। प्रति महीने सामान्य स्थिति में सरायकेला लड्डू की बिक्री लगभग 15 से 20 टन और विवाह प्रयोजन में इसकी बिक्री लगभग 30 से 40 टन बताई जाती है। इसे लेकर क्षेत्र अंतर्गत छोटे बड़े तकरीबन 40 दुकाने संचालित हैं।
नहीं सज सका झारखंड की थाली में
झारखंड सरकार द्वारा वर्ष 2018 में पहली बार सरायकेला लड्डू के ब्रांडिंग की मौखिक घोषणा की गई थी। जिसमें सरायकेला भ्रमण को आए तत्कालीन पर्यटन सचिव द्वारा सरायकेला लड्डू को झारखंड की थाली में सजाए जाने की घोषणा की गई थी। परंतु मौखिक घोषणा को कागजों या धरातल में भी आज तक कोई स्थान नहीं दिया जा सका है। जबकि बिना ब्रांडिंग के ही सरायकेला लड्डू अपने पूरे शबाब पर बताई जा रही है।
- ईलायची और निर्माण सामग्री की कीमत में इजाफे से महंगा हुआ सरायकेला का लड्डू
- सरायकेला स्टेट की स्थापना और इष्ट देवी मां पाऊड़ी के आगमन से अस्तित्व में आया था लड्डू