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आदिवासियों ने किया सेंदरा, दस हिरण व तीन जंगली सूअर का शिकार

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में रविवार को आदिवासियों ने सेंदरा यानी शिकार पर्व मनाया। लॉकडाउन के दौरान पूरे राज्य में निषोधाज्ञा लागू रहने के बावजूद वन विभाग सेंदरा वीरों को शिकार करने से रोकने में नाकाम रहा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 02:07 AM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 06:22 AM (IST)
आदिवासियों ने किया सेंदरा, दस हिरण व तीन जंगली सूअर का शिकार

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में रविवार को आदिवासियों ने सेंदरा यानी शिकार पर्व मनाया। लॉकडाउन के दौरान पूरे राज्य में निषोधाज्ञा लागू रहने के बावजूद वन विभाग सेंदरा वीरों को शिकार करने से रोकने में नाकाम रहा। इस दौरान आदिवासियों ने दस हिरण के साथ तीन जंगली सूअर का शिकार किया। हालांकि वन विभाग ने किसी भी वन्य जीव के शिकार किए जाने की सूचना से इन्कार किया है।

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बताते चलें कि पूर्व में दलमा बुरू सेंदरा समिति और दलमा बुरू दिशुवा सेंदरा समिति ने कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन को ध्यान में रख सांकेतिक रूप से सेंदरा पर्व मनाने का निर्णय लिया था। इसके अलावा अन्य सारे आयोजनों को स्थगित कर दिया था। तय कार्यक्रम के अनुसार रविवार को दोनों समितियों ने पारंपरिक नियमों का पालन करते हुए पूजा-अर्चना भी की थी। दलमा बुरू सेंदरा समिति के प्रमुख सह दलमा राजा राकेश हेंब्रम और दलमा बुरू सेंदरा दिशुआ समिति के महासचिव फकीर सोरेन ने शिकारियों से इस वर्ष सेंदरा के लिए नहीं आने की अपील भी की थी। बावजूद इसके दलमा पहाड़ के तलहटी पर और आसपास के गांवों में शिकारी जुटे और शिकार करने के लिए जंगल में प्रवेश किया। दलमा राजा की अपील और लॉकडाउन के कारण ओडिशा और पश्चिम बंगाल समेत राज्य के दूर-दराज से शिकारी नहीं आए, लेकिन अपील और लॉकडाउन के नकारते हुए स्थानीय सेंदरा वीरों ने अपनी परंपरा के अनुसार शिकार पर्व मनाया और जंगल में शिकार किया। मौके पर सेंदरा वीरों द्वारा दस हिरण के अलावा तीन जंगली सूअर का शिकार करने की सूचना है। सभी शिकार बोड़ाम और नीमडीह के सीमावर्ती क्षेत्र में होने की सूचना है।

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न हुआ सिगराई, न लगा लो बीर दरबार

कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण इस वर्ष सेंदरा के मौके पर न सिगराई नाच हुआ न लो बीर दरबार लगा। सेंदरा के मौके पर सिगराई नाच और लोबीर दरबार लागने की परंपरा रही है। सेंदरा के दौरान गिपितीजटांडी यानी विश्राम स्थल पर सिगराई नाच का आयोजन किया जाता है। इसमें युवाओं को पारिवारिक जीवन जीने की कला से अवगत कराया जाता है। वीर सिगराई आदिवासी समाज का सामाजिक पाठशाला है, जहां सामाजिक जीवन के बारे में युवाओं को गीत-संगीत के माध्यम से जानकारी दी जाती है, ताकि वे अपने परिवार में आने वाले हर समस्या को खुद सुलझा सके। इसके साथ ही लो बीर दोरबार का आयोजन किया जाता है। जहां आदिवासी समाज की समस्याओं पर विचार किया जाता है। पारगना, माझी बाबा, नायके समेत समाज के बुद्धिजीवी आदि अनसुलझे मामलों का निष्पादन करते हैं।

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वन विभाग ने जब्त किए 12 जाल फांस

दलमा सेंदरा को देखते हुए वन विभाग ने दलमा क्षेत्र में गश्त किया। इसमें दलमा रेंज के अलावा जमशेदपुर वन प्रमंडल, सरायकेला वन प्रमंडल, सामाजिक वाणिकी आदि के वनकर्मी शामिल थे। दलमा के डीएफओ चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि गश्ती के दौरान 12 जाल फांस जब्त किया गया है। हालांकि सेंदरा वीरों ने किसी भी वन्य जीव का शिकार नहीं किया। शिकार के लिए जंगल पहुंचे लोगों को कोरोना संक्रमण की जानकारी देते हुए लॉकडाउन का अनुपालन करने की बात कहते हुए वापस भेज दिया गया। वन विभाग के अनुसार शिकार के लिए करीब पचास शिकारी जंगल में घुसे थे।


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