यहां सेल्फी लेने से बढ़ सकती मुश्किलें, जानिए क्या है आदेश
जमशेदपुर के ग्रेजुएट कॉलेज परिसर में छात्राओं के सेल्फी लेने पर रोक लगा दी गई है। आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नामांकन रद कर दिया जाएगा।
जमशेदपुर, जेएनएन। यहां सेल्फी लेने से आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जी हां, संस्थान प्रबंधन ने कैंपस में सेल्फी लेने पर रोक लगा दी है। यह संस्थान है झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर का ग्रेजुएट कॉलेज।
कॉलेज प्रबंधन द्वारा इस संबंध में नोटिस चस्पा किया गया है। प्राचार्या डॉ. सत्यरूपा श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से चस्पा किए गए नोटिस के अनुसार यदि कॉलेज में सेल्फी लेती हुई छात्राएं पकड़ी गई तो उन्हें सीएलसी दे दिया जाएगा। हालांकि, इस आदेश का मकसद भी खास है। मकसद है संभावित दुर्घटनाओं का टालना। दरअसल, कॉलेज के प्रथम और द्वितीय तल्ले में मनाही के बावजूद छात्राएं पोज देकर सेल्फी लेती थी। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। जब मना करने पर छात्राओं ने आदेश नहीं माना तो मजबूरी में कॉलेज प्रबंधन को यह आदेश निकालना पड़ा।
वीमेंस कॉलेज में है नकाब पर पाबंदी
इससे पहले जमशेदपुर के वीमेंस कॉलेज में नकाब और मोबाइल इस्तेमाल पर पांबदी लगायी गई थी। हालांकि, यह आदेश अब तक प्रभावी नहीं हो पाया। अब यह देखना है कि ग्रेजुएट कॉलेज में यह आदेश कब तक प्रभावी रहेगा।
वर्कर्स कॉलेज में बिना आइकार्ड प्रवेश निषेध
जमशेदपुर के वर्कर्स कॉलेज में तीन जनवरी से बिना वैध आइकार्ड के छात्रों का प्रवेश निषेध कर दिया गया है। इस संबंध में नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। छात्र संगठनों के बीच हो रही आपसी तनातनी तथा स्कूल में अड्डाबाजी रोकने को यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
मिले थे फर्जी आइ कार्ड
प्राचार्य डॉ. बीएन प्रसाद ने बताया कि कॉलेज का शैक्षणिक वातावरण सही रहे इस कारण यह व्यवस्था की जा रही है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कॉलेज में आइकार्ड की जांच की जा रही है। इस दौरान 15 फर्जी आइकार्ड पकड़े गए थे। इसमें सारे कार्ड में बीए पार्ट वन लिखा हुआ है तथा सत्र 2015-17 लिखा हुआ है। प्राचार्य को शक होने पर आइकार्ड जांच करवायी गई तो ये आइकार्ड फर्जी पाये गए। प्राचार्य द्वारा इन दिनों लगातार आइकार्ड की जांच की जांच की जा रही है।
कॉलेज में अड्डेबाजी की मनाही प्राचार्य अड््डाबाजी करने वाले छात्र और छात्राओं को भी टोक रहे हैं। बहुत देर तक कॉलेज में बैठे रहने का कारण भी पूछ रहे हैं। प्राचार्य द्वारा लगातार कक्षाओं में बैठने की सलाह छात्र-छात्राओं को दी जा रही है। कक्षाओं में नहीं शामिल होने पर अभिभावकों से सीधे बातचीत की जा रही है।