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जहां एक गाड़ी भी नहीं चलती, वहां बना दी चार करोड़ की सड़क

नहर के ऊपर बनी यह सड़क विभाग की कार्यशैली को उजागर करता है। हुआ यूं कि विभाग ने एक ही सड़क के लिए दो अलग-अलग योजनाओं में राशि आवंटित कर दी।

By Edited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 06:03 PM (IST)
जहां एक गाड़ी भी नहीं चलती, वहां बना दी चार करोड़ की सड़क
जहां एक गाड़ी भी नहीं चलती, वहां बना दी चार करोड़ की सड़क

पंकज मिश्रा, चाकुलिया। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया में पथ निर्माण विभाग ने स्वर्णरेखा नहर किनारे चार करोड़ रुपये की लागत से एक ऐसी सड़क का निर्माण कराया है जिसपर वाहन चलते ही नहीं हैं। वाहन इसलिए नहीं चल सकते कि सड़क के बीच रेलवे ट्रैक है। इसे पार करने की व्यवस्था नहीं है। यदि कोई वाहन चालक गलती से इस सड़क पर चला जाता है तो उसे दो किलोमीटर जाकर वापस लौटना पड़ेगा। ताज्जुब की बात यह है कि चाकुलिया के रेलवे क्रॉसिंग से नगर पंचायत कार्यालय होते हुए एयरपोर्ट तक जाने वाली महत्वपूर्ण सड़क कई वर्षों से जर्जर है। लोग निर्माण की मांग कर रहे हैं। लेकिन जिस रोड पर साइकिल भी नहीं चलते वहां चार करोड़ खर्च कर सड़क बना दी गई। सड़क की गुणवत्ता भी कठघरे में है, क्योंकि बिना वाहन चले पहली बारिश में सड़क की परतें उखड़ने लगी हैं।

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क्यों और कैसे बनी यह सड़क
नहर के ऊपर बनी यह सड़क विभाग की कार्यशैली को उजागर करता है। हुआ यूं कि विभाग ने एक ही सड़क के लिए दो अलग-अलग योजनाओं में राशि आवंटित कर दी। बाद में जब विभाग को गलती का एहसास हुआ तो आनन-फानन में उक्त राशि का प्रयोग नहर किनारे ऐसी सड़क बनाने के लिए कर दी जिसकी उपयोगिता ही नहीं है। दरअसल, चाकुलिया के बिरसा चौक से दिघी गांव के बड़ामारा मोड़ तक सड़क का अंश केरुकोचा-शीशाखून तथा चाकुलिया मटिहाना दोनों ही सड़कों में पड़ता है। प्राक्कलन बनाते समय इस बात को नजरअंदाज किया गया, जिससे एक ही सड़क का दो प्राक्कलन बन गया। चूंकि चाकुलिया मटिहाना सड़क का निर्माण पहले पूरा हुआ, लिहाजा बाद में बनी केरूकोचा-शीशाखून सड़क में करीब तीन किलोमीटर सड़क की राशि शेष बच गई। शेष बची चार करोड़ की राशि से नहर के ऊपर सड़क बना दी गई।

सड़क को लेकर उठ रहे सवाल
बड़ामारा से गोविंदपुर तक नहर किनारे बनाई गई इस सड़क को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पहला, जब रेलवे क्रॉसिंग या ओवरब्रिज की व्यवस्था नहीं थी तो सड़क निर्माण को मंजूरी कैसे दी गई? तकनीकी रूप से सड़क एक छोर से दूसरे छोर तक पूरी नहीं होती तो उसे मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए। दूसरा, अमूमन नहर किनारे भारी वाहनों के चलने की अनुमति नहीं दी जाती। ऐसे में पथ निर्माण विभाग ने कैसे इतनी बड़ी राशि खर्च कर दी? केरुकोचा-शीशाखून सड़क का प्राक्कलन बनाते समय इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया कि सड़क का कुछ अंश पहले से ही दूसरी योजना में स्वीकृत है?

चाकुलिया को बाईपास मार्ग देने के लिए इस सड़क का निर्माण कराया गया। इसके चालू होने से चाकुलिया मेन रोड पर बोझ कम होगा। रेलवे ट्रैक पर लेवल क्रॉसिंग व ओवरब्रिज के लिए सांसद प्रयासरत हैं। रेलवे को पत्र लिखा गया है। अनुमति नहीं मिली है।
- संजय कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग।


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