Move to Jagran APP

गर्भवतियों को नहीं दिए पैसे, कागज में बता दिया भुगतान

केंद्र सरकार की इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना में तीन करोड़ 70 हजार रुपये का घोटाला सामने आया है। भुगतान किए बगैर भुगतान दिखा दिया गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 11:23 AM (IST)
गर्भवतियों को नहीं दिए पैसे, कागज में बता दिया भुगतान
गर्भवतियों को नहीं दिए पैसे, कागज में बता दिया भुगतान

जमशेदपुर [विकास श्रीवास्तव]। घपले-घोटाले की कड़ी में एक और मामला जुड़ा है। गर्भवती और प्रसूता के लिए संचालित केंद्र सरकार की इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना में तीन करोड़ 70 हजार रुपये का घोटाला सामने आया है। अचरज की बात यह कि जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को राशि का भुगतान नहीं किया गया लेकिन कागज में यह दर्शाया गया कि भुगतान कर दिया गया है। इतना ही नहीं, लाभुकों को लाभ दिए जाने के संबंध में उपयोगिता प्रमाणपत्र भी समर्पित कर दिया गया।

loksabha election banner

घोटाला उजागर होने पर राज्य समाज कल्याण विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी ने उपायुक्त को पत्र लिखकर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा, लेकिन जिला प्रशासन ने मामले पर संज्ञान नहीं लिया। मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद में पहुंचने पर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव डॉ. अमिताभ कौशल ने इस गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए उपायुक्त से त्वरित रिपोर्ट सौंपने को कहा है ताकि मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

क्या है आइजीएमएसवाइ 

केंद्र सरकार ने 2010 में इस योजना को शुरू किया था। इसके तहत असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को उनके गर्भधारण के दो महीने बाद से लेकर प्रसव के छह महीने बाद तक की अवधि में दो किस्तों में छह हजार (शुरू में यह राशि चार हजार थी) रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान है। योजना का उद्देश्य सुरक्षित प्रसव व सुरक्षित मातृत्व में सहयोग करना है।

दो बार जिला प्रशासन से किया जा चुका जवाब-तलब

मामला उजागर होने के बाद महिला-बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी राम प्रवेश प्रसाद ने विगत 27 सितंबर को पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से किसी वरीय पदाधिकारी की अध्यक्षता में जांच करा 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। 15 दिन की जगह तीन महीने से भी अधिक समय बीत चुका है। अब तक कुछ हुआ नहीं है।

खाते में राशि नहीं भेजी, सौंप दिया उपयोगिता प्रमाणपत्र

मामला इस योजना के तहत 2016-17 तक निकासी की गई राशि से जुड़ा है। इस अवधि के दौरान निकासी तो की गई लेकिन निकासी की राशि को लाभुकों के खाते में हस्तांतरण नहीं किया गया। मामला उजागर होने के बाद सरकारी स्तर पर पूछताछ शुरू की गई लेकिन ठोस नतीजे सामने नहीं आया।

मुख्यमंत्री जनसंवाद में मामला पहुंचने पर मचा हड़कंप

दरअसल, योजना के तहत कंप्यूटर ऑपरेटरों की भी नियुक्ति की गई थी। उनसे काम कराया गया लेकिन पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया। यह मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद में पहुंचा। उसके बाद समाज कल्याण विभाग की ओर से वित्तीय अनयिमितता बरते जाने की बात सामने आई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.