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अंजली बोली- मत कराओ अभी मेरी शादी, पढ़ना चाहती हूं; इस बच्ची के साहस को सभी कर रहे सलाम

झारखंड के चाकुलिया के गांव की इस बेटी के साहस को सभी सलाम कर रहे हैं। माता-पिता को समझाकर वह अपनी शादी टलवाने में कामयाब रही।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 10:06 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 11:16 PM (IST)
अंजली बोली- मत कराओ अभी मेरी शादी, पढ़ना चाहती हूं; इस बच्ची के साहस को सभी कर रहे सलाम
अंजली बोली- मत कराओ अभी मेरी शादी, पढ़ना चाहती हूं; इस बच्ची के साहस को सभी कर रहे सलाम

चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्रा। ‘मां, पिताजी को समझाओ ना.. मेरी शादी रोक दें.. मुझे अभी विवाह नहीं करना है.. अभी तो मुझे पढ़ना है, जीवन में कुछ बनना है.. मां, मेरी तो अभी शादी लायक उम्र भी नहीं हुई है। फिर क्यों इतनी कम उम्र में मेरी शादी की जा रही है.. यह तो कानूनन भी गलत है’। कुछ इसी अंदाज में 14 वर्षीय अंजली हेंब्रम ने अपने माता-पिता को समझाया और अपना बाल विवाह रोकने में सफल हुई। 

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बता दें कि अंजलि पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत चाकुलिया प्रखंड के खेजुरिया मध्य विद्यालय में आठवीं कक्षा की छात्रा है। बीते पांच जुलाई को उसके माता-पिता ने उसकी शादी तय करने का निर्णय लिया था। धालभूमगढ़ प्रखंड के एक गांव से लड़के वाले उसे देखने भी आ गए। उन्हें लड़की पसंद आ गई। चंद दिनों बाद अंजलि के पिता व परिजन लड़के वालों के यहां गए। शादी की बातचीत पक्की हो गई और लगभग सब कुछ तय हो गया। शादी तय हो जाने की वजह से इस बीच अंजली का स्कूल आना-जाना बंद हो गया। सहपाठियों व शिक्षकों का इस ओर ध्‍यान गया क्‍योंकि अंजलि पढ़ने में भी काफी तेज थी।

स्कूल से लगातार गैरहाजिरी पर घर पहुंचे प्रधानाध्यापक

अपनी कक्षा में अव्वल रहने वाली अंजलि जब लगातार कई दिनों तक विद्यालय नहीं आई तो प्रधानाध्यापक शिवशंकर पोलाई एवं बाल संसद की प्रधानमंत्री रूंपा बारिक एक दिन उसके घर पहुंचे। उन्होंने जब अंजली की मां से उसके विद्यालय नहीं जाने के बाबत पूछा तो पता चला कि उसकी शादी तय कर दी गई है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि अंजलि शादी का विरोध कर रही है। प्रधानाध्यापक एवं सहपाठी के घर आने से अंजलि का आत्मविश्वास और बढ़ गया।

पहले मां को समझाया

उसने फिर हौसला दिखाया और हर हाल में शादी नहीं करने की ठान ली। पिता के सामने ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं थी। इसलिए उसने मां को समझाया। लगातार कई दिनों तक समझाने के बाद मां छीता हेंब्रम को समझ में आ गया और उन्होंने पिता गुरभा हेंब्रम को भी मना लिया। इस तरह अपनी सूझबूझ से अंजलि ने अपना बाल विवाह रुकवा लिया।

 विद्यालय में बाल पत्रकार है अंजलि

इस बाबत पूछने पर अंजलि ने बताया कि वह दो वर्षों से अपने विद्यालय में बाल पत्रकार के रूप में कार्यरत है। इस दौरान उसे पता चल चुका है कि शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। बाल विवाह से होने वाली परेशानियों को वह जान गई है। इसलिए उसने बाल विवाह का पुरजोर विरोध किया। वह भविष्य में पुलिस या सेना में जाकर देश सेवा करना चाहती है।


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