बच्चों को दी सीख, किसी की तरह नहीं बल्कि उनसे बेहतर बनो
मशहूर अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड ने शुक्रवार को लोयोला स्कूल में बच्चों के साथ डेढ़-दो घंटे बिताए। उन्हें अपने बारे में बताया और सवालों के जवाब भी दिए।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मशहूर अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड ने शुक्रवार को लोयोला स्कूल में बच्चों के साथ डेढ़-दो घंटे बिताए। उन्हें अपने बारे में बताया और सवालों के जवाब भी दिए।
टाटा स्टील के बुलावे पर शुक्रवार को शहर पहुंचने के बाद लोयोला स्कूल प्रेक्षागृह में यह विशेष आयोजन किया गया था। दोपहर 3.30 बजे से शुरू हुए कार्यक्रम में रस्किन बाड ने बेहद सरल और सहज लहजे में बच्चों के साथ विचार साझा किए। उन्होंने बच्चों से कहा कि चार्ल्स डिकेन्स और रस्किन बाड बनने की जगह उनसे बेहतर बनने की कोशिश करो। ईमानदारी से मेहनत करनी चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अपने लेखकीय जीवन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बारह साल की उम्र में पहली कहानी लिखी थी, उसे अपनी शिक्षिका को दिखाया तो शिक्षिका ने कहानी फाड़ कर फेंक दी थी। मा चाहती थी कि वे सेना को ज्वाइन करे। उन्होंने अपनी दिल की सुनी और नतीजा आज सामने है।
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कभी टैंप डासर बनना चाहते थे रस्किन
सवाल-जवाब सत्र में एक बच्चे ने रस्किन एक बच्चे के सवाल से चौंक गए जब उसने पूछा कि वे टैप डांसर बनना चाहते थे। आज मौका मिले तो वे अपनी उस इच्छा को पूरा करना चाहेंगे? रस्किन ने पहले यह जानना चाहा कि उसे यह बात कैसे पता चली। फिर जवाब देते हुए कहा कि जवानी में दिनों में उन्हें टैप डासिंग का काफी शौक था। अब उम्र और वजन साथ नहीं देता। अब बच्चों के कहने पर भरतनाट्यम कर सकते है, इस पर बच्चों ने जमकर ठहाका लगाया।
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देश से प्यार ने वापस लौटाया
रस्किन ने कहा कि वे देश छोड़कर इंग्लैड चले गए थे। पर कुछ साल बाद भारत के प्रति प्यार और इसके अंदर की असीम संभावनाओं ने वापस लौटने को मजबूर किया। अपनी पसंद के बारे में कहा कि उन्हे ट्रैकिंग का शौक है। वे प्रकृति के करीब रहना पसंद करते हैं। खुश कैसे रहा जाए, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें खुश रहने की रेसिपी नहीं पता।
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बाल साहित्य ने दिलाई ज्यादा प्रसिद्धि
शुक्रवार को लौहनगरी के बच्चों के लिए एक यादगार मौका था। यादगार इसलिए क्योंकि प्रसिद्ध भारतीय अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड को न केवल करीब से देखने का मौका मिला बल्कि उनकी बातें सुनने, उनसे बात करने और सवाल पूछने का भी अवसर मिला। टाटा स्टील के बुलावे पर शुक्रवार की शाम को जुबिली पार्क के समीप स्थित सेंटर फोर एक्सीलेंस परिसर में खुले आसमान तले रस्किन बांड के साथ ए व्यू फ्रॉम द हिल्स कार्यक्रम में शहर के लोग उनसे रूबरू हुए। 15 साल की उम्र से लेखन शुरू करनेवाले रस्किन बांड ने बातचीत के क्रम में बताया कि 20 के थे जब उन्होंने युवाओं के हिसाब से रचनाएं लिखीं और 40 की उम्र पार होने के बाद से ज्यादा बाल साहित्य लिखने लगे। उन्हें बाल साहित्य ने काफी ज्यादा प्रसिद्धि दिलाई।
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जमशेदपुर युवा व सुंदर शहर
रस्किन बांड ने कहा कि वे पहली बार झारखंड आए हैं। जमशेदपुर व आसपास के प्राकृति सौंदर्य ने मुझे काफी आनंदित किया। उनके मन में यह जगह बस गई है और इसे अगली रचना में जरूर शामिल करेंगे। अपने लेखन के बारे में बताया कि वे बॉल पेन से लेटरपैड पर लिखते हैं।
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रांची में रहीं थीं रस्किन की दादी
रस्किन बांड ने इस क्षेत्र से अपने संबंध का खुलासा करते हुए कहा कि वैसे वे यहां कभी नहीं आए लेकिन उनकी दादी रांची में रहती थीं और वहां उनकी कब्र भी है।
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