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यहां चांदी के शिवलिंग पर श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक

Mahashivratri 2019. लौहनगरी के निकट फदलोगोड़ा में टाटा-रांची राष्ट्रीय राजपथ 33 के किनारे वनदेवी काली मंदिर परिसर में स्थित है नागा बाबा शिवमंदिर। यहां चांदी का शिवलिंग है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 12:50 PM (IST)
यहां चांदी के शिवलिंग पर श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक
यहां चांदी के शिवलिंग पर श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक

जमशेदपुर (दिलीप कुमार)। आस्था का महापर्व महाशिवरात्रि पर सुबह से ही जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इसको लेकर शिवालयों में पहले से ही सारी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। मंदिरों को आकर्षक रूप से सजाने-संवारने के साथ पूजा की तैयारी पूरी कर ली गई है। शहर के निकट कई ऐसे प्राचीन और प्रसिद्ध शिवालय हैं जहां श्रद्धालुओं की परम आस्था है।

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यहां चांदी के शिवलिंग पर जलाभिषेक

लौहनगरी के निकट फदलोगोड़ा में टाटा-रांची राष्ट्रीय राजपथ 33 के किनारे वनदेवी काली मंदिर परिसर में स्थित है नागा बाबा शिवमंदिर। यहां सोमवार को श्रद्धालु महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर चांदी के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। नागा बाबा शिवमंदिर में 31 किलो चांदी से शिवलिंग और अरघा का निर्माण कराया गया है। 1995 में स्थापित नागा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। महाशिवरात्रि पर सोमवार को यहां भगवान भोलेनाथ का रूद्राभिषेक किया जाएगा। महंत इंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि पर दोपहर में श्रद्धालुओं के लिए भंडारा भी होगा।

गुफा मंदिर के शिवलिंग पर होगी पूजा

दलमा पहाड़ में करीब तीन हजार फीट की ऊंचाई पर गुफा में भगवान शिव का प्राकृतिक मंदिर है, जिन्हें श्रद्धा से लोग दलमा बाबा भी कहते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां झारखंड के कोने-कोने के अलावे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार समेत अन्य स्थानों से श्रद्धालु अपने आराध्यदेव के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं।

कहा जाता है कि यहां प्राचीन काल से भगवान शिव की पूजा-अर्चना बोड़ाम प्रखंड के बोंटा के पुजारी द्वारा किया जाता है। दलमा शिवलिंग के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार यहां माता की मंदिर से शिवलिंग तक गुफा हुआ करती थी। एक बार पूजा अर्चना के बाद लाया यानी पूजारी गुफा से बाहर निकला लेकिन अपना हथियार गुफा के अंदर ही भूल गया। पूजारी ने हथियार लाने के लिए अपनी बेटी को भेजा, लेकिन उनकी बेटी वापस नहीं लौटी। जिसके बाद से माता मंदिर से शिवलिंग तक जाने वाली गुफा बंद हो गई। शिवरात्रि के अवसर पर यहां पूजा अर्चना के लिए करीब पचास हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं।


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