National Cancer Awareness Day: कैंसर से जीतने के लिए पढ़े झारखंड की आयरन लेडी रितु व नीलम की कहानी
National Cancer Awareness Day. बाराद्वारी की रहने वाली नीलम चंद्रा के हौसले के आगे कैंसर हार गया और वह अब दूसरों की जान बचाने की बीड़ा उठाई है। फिलहाल वह जबलपुर में है। नीलम कहती है कि जब ब्रेस्ट कैंसर होने की पुष्टि हुई तो वह घबरा गई।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। बाराद्वारी की रहने वाली नीलम चंद्रा के हौसले के आगे कैंसर हार गया और वह अब उन्होंने दूसरों की जान बचाने की बीड़ा उठाया है। फिलहाल वह जबलपुर में हैं। नीलम कहती हैं कि जब ब्रेस्ट कैंसर होने की पुष्टि हुई तो वह घबरा गई। हताश हो गई। लेकिन परिवार व दोस्तों का सहयोग देखकर डरी नहीं, लड़ने को ठान ली और अब परिणाम सबके सामने है।
इलाज के दौरान कई तरह की जांच पीड़ादायक थी। पांच सर्कल में कीमोथेरेपी दी गई, जिसके बाद सर्जरी हुई। 72 स्टीच लगाए गए। 15 दिनों के बाद यह प्रक्रिया फिर से दोहराई गई। फिर 12 सर्कल में कीमोथेरेपी व 31 रेडियेशन दिए गए। नीलम कैंसर को मात देने के बाद अब मरीजों में जीने की चाह जगा रही है। तीसरे चरण में शिनाख्त होने के बाद ब्रेस्ट कैंसर से लड़कर उन्होंने न सिर्फ खुद की जिंदगी सहेजी बल्कि बैटलिंग कैंसर विद पॉजिटिव एटीट्यूड किताब भी लिखा है। नीलम कहती हैं कि कैंसर के इलाज की सही जानकारी होनी चाहिए। कैंसर की सर्जरी कैंसर सर्जन से ही कराएं न कि जेनरल सर्जन से। इससे केस बिगड़ने की संभावना होती है। कैंसर ठीक होने के बाद भी नियमित जांच अवश्य कराएं। क्योंकि कई बार बीमारी दोबोरा होने का भी खतरा रहता है। मेरे साथ दिसंबर माह में ऐसा ही हुआ। सबकुछ कैंसर जैसे लक्षण ही थे। एक डाक्टर ने कैंसर बता भी दिया लेकिन फिर मैंने दूसरे डाक्टर से सलाह ली। तब पुष्ट हुआ कि कैंसर न होकर दूसरी बीमारी हुई है। इसलिए कभी भी संदेह होने पर दूसरे डाक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
इलाज के दौरान रितु जीती आयरन लेडी का खिताब
जुगसलाई निवासी रितु रुंगटा कैंसर से जंग लड़ कर न सिर्फ सेहतमंद हुई, बल्कि लड़ते हुए उन्होंने यूरोप में जाकर मिसेज आयरन लेडी का खिताब भी अपने नाम किया। दुनिया भर से इसमें प्रतिभागी शामिल हुए थे। झारखंड से इकलौती रितु रुंगटा ही शामिल थीं। ऊर्जा और आत्मविश्वास से लबरेज रितु बिजनेस के क्षेत्र में भी परचम लहरा रही हैं। उन्होंने चॉकलेट, बिस्कुट व कई खाद्य-पदार्थों की एजेंसी ले रखी है। रितू रुंगटा कहती है कि अगस्त 2017 में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। तब थोड़ा डर जरूर लगा, क्योंकि यह बीमारी ही वैसी है। लेकिन, उन्होंने तय कि-जो डर गया सो मर गया। उसी रास्ते पर आगे बढ़ी। डर का मुकाबला किया और आज बीमारी दूर हो गई।
हिम्मत से लड़ना चाहिए बीमारी से
रितु कहती है कि लोगों को हिम्मत के साथ बीमारी से लड़ना चाहिए। नर्वस होने से बीमारी ठीक होने के बजाए बढ़ जाती है। रितु का ब्रेस्ट कैंसर दूसरे अवस्था में था। एक साल तक मुंबई में इलाज हुआ। अब रितु रुंगटा कैंसर मरीजों को लड़ने की हिम्मत दे रही है।
कई तरह के होते कैंसर
पुरुषों में सबसे अधिक मुंह का कैंसर होता है। वहीं, महिलाओं में स्तन व सर्वाइकल कैंसर अधिक होता है। इसके अलावे फेफड़े और प्रोस्टेट का कैंसर भी होता है। 60 फीसद मामले मुंह, स्तन व सर्वाइकल कैंसर के होते हैं। हालांकि, समय पर इसकी पहचान होने से इलाज संभव है।
कैंसर के आम लक्षण
कैंसर के लक्षण में वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, स्तन में गांठ, पखाने में आने वाले खून, खांसी या मुंह से खून आना।
ये कहते विशेषज्ञ
कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता जरुरी है। बीमारी की पहचान जितनी जल्दी हो जाए, उसका इलाज उतना ही जल्दी संभव है और जान जाने की संभावना भी कम हो जाती है। कोल्हान में हर साल लगभग तीन हजार कैंसर के नए रोगी बढ़ रहे हैं।
- डा. अमित कुमार, कैंसर रोग विशेषज्ञ, ब्रह्मानंद अस्पताल