राजेंद्र ने सीेंची थी गोपेश्वर की बगिया, निखारी विरासत Jamshedpur News
राजेंद्र प्रसाद सिंह के यूनियन अध्यक्ष रहते टाटा मोटर्स में 3500 से ज्यादा अस्थायी कर्मियों का स्थायीकरणहुआ था।
जमशेदपुर (अरविंद श्रीवास्तव)। सरल स्वभाव, मृदुभाषी व व्यवहार कुशलता के परिचायक राजेंद्र प्रसाद सिंह ने मजदूर नेता गोपेश्वर की विरासत को बखूबी निखारने का काम की। 2008 में गोपेश्वर के निधन के बाद राजेंद्र सिंह यूनियन में सक्रिय हुए।
कंपनी व यूनियन कार्यालय में उनके आने का सिलसिला शुरू हुआ। प्रदेश इंटक का कमान संभालने से लेकर राष्ट्रीय इंटक के महासचिव पद पर रहते हुए उन्होंने जो काम किया, वह आज भी प्रासंगिक है। प्रदेश में उर्जा मंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक रहे लेकिन मजदूरों से मिलने व उनका काम करने का तरीका नहीं बदला। यहीं कारण था कि उनकी कार्यशैली की सराहना विपक्षी नेता भी करते थे।
3500 से ज्यादा का कराया परमानेंट
राजेंद्र प्रसाद सिंह के अध्यक्ष रहते 3500 से ज्यादा अस्थायी कर्मियों का स्थायी हुआ है। जानकारी देते हुए यूनियन के तत्कालीन महामंत्री चंद्रभान सिंह ने कहा कि उनकी जैसी व्यक्तित्व मिलना मुश्किल है। उनके साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिला।
राजेंद्र सिंह व चंद्रभान सिंह की जोड़ी यादगार बनी। जहां भी काम बिगड़ता, वहां राजेंद्र सिंह को याद किया जाता था। यहीं कारण था कि 2008 के बाद हरेक ग्रेड व बोनस के साथ स्थायी कर्मियों को परमानेंट का तोहफा मिला। होली के साथ परमानेंंट करने का सिलसिला शुरू हुआ। तथा प्रबंधन- यूनियन का औद्योगिक संबंध दिखने को मिला। सात साल के दौरान इतनी संख्या में आज तक परमानेंट नहीं हुआ है। 2007 में 550 को स्थायी हुआ था।
2008 में एचवी एक्सल व एचवी ट्रांसमिशन टाटा मोटर्स से अलग कंपनी थी। उस समय 700 को परमानेंट किया गया था। 2009 में बोनस व होली के मौके पर 600, 2010 के ग्रेड में 270 व बोनस के समय 250 का स्थायी हुआ। 2011 में बोनस समझौते के समय 250 व होली के मौके पर 150 को फिर तोहफा मिला। 2012 में होली व बोनस के मौके पर कुल 400 को स्थायी किया गया। 2013 में ग्रेड रिवीजन हुआ, उसमें 250 अस्थायी कर्मियों का स्थायी हुआ। फिर एक साल बाद 2014 में 240 को परमानेंट किया गया।
कमिंस में फीसद में करायी बोनस, बनवाया फार्मूला
गोपेश्वर के निधन के बाद राजेंद्र सिंह ने टाटा कमिंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष बने। वहां भी राजेंद्र सिंह ने मजदूर हित में कई काम कराया। पहली बार 2010 में बोनस फार्मूला बनवाने से लेकर फीसद में बोनस कराने का काम किया।वहीं जुलाई 2016 में 101 अस्थायी कर्मियों का परमानेंट हुआ। जमशेदपुर से पुणे प्लांट गए 54 कर्मियों की वापसी कराने का काम भी किया।