Move to Jagran APP

ड्यूटी का रोस्टर नहीं, रात-दिन करता पड़ता काम

चक्रधरपुर रेल मंडल के संकेत व दूरसंचार विभाग में 1400 के स्थान पर 7

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 09:18 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 09:18 PM (IST)
ड्यूटी का रोस्टर नहीं, रात-दिन करता पड़ता काम
ड्यूटी का रोस्टर नहीं, रात-दिन करता पड़ता काम

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल के संकेत व दूरसंचार विभाग में 1400 के स्थान पर 700 टेक्नीशियन काम कर रहे हैं। जाहिर है, वे काम के बोझ तले दबे रहते हैं। दो साल में काम के दौरान तीन टेक्नीशियन ट्रेनों की चपेट में आकर काल के गाल में समा गए। जबकि देशभर में कार्यरत इस विभाग के 29 रेलकर्मियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हो गई।

loksabha election banner

रेलवे के आंकड़े के अनुसार ये मौतें 14 अगस्त, 2016 से 15 अगस्त, 2018 के बीच हुई हैं। इस तरह देशभर में इस विभाग के हर साल 12 से ज्यादा रेलकर्मियों की मौत ट्रेन से कटकर हो रही है। इससे इस विभाग में काम करने वाले कर्मचारी दहशत में हैं।

चक्रधरपुर मंडल में टेक्नीशियनों का रोस्टर (काम के घंटे) तय नहीं हो पा रहा है। उन्हें आठ घंटे से अधिक काम करना पड़ता है। दिन-रात काम करने की वजह से उनकी नींद पूरी नहीं होती। कई बार वे आधी नींद में काम करते हैं। इससे भी वे ट्रेनों की चपेट में आ जा रहे हैं। साथ ही ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की भी आशंका रहती है।

क्या होता है इनका काम

संकेत एवं दूरसंचार उपकरणों का मुआयना और सिग्नल खराब होने पर टेक्नीशियन उसे ठीक करते हैं। उन्हें इस काम के लिए रात में भी बुला लिया जाता है। दिन में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी जब रात में काम करते हैं तो वे पूरी तरह से चैतन्य नहीं रहते हैं। यही वजह है कि वे अक्सर ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं।

--

यहां लगे रहते हैं उपकरण

ये उपकरण जंगलों, ऊंची पहाड़ियो, नदी के किनारे, रेलवे ब्रिज के किनारे भी लगे रहते हैं। इसके माध्यम से ट्रेनों की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाता है। जब ये खराब हो जाते हैं तो टेक्नीशियनों को मौके पर किसी भी वक्त पहुंचना पड़ता है। अगर इसे तुरंत ठीक नहीं किया जाए, तो ट्रेनों का परिचालन ठप हो जाता है। इन कर्मचारियों को इसके लिए किसी तरह का जोखिम भत्ता नहीं मिलता है।

---

किस डिवीजन में किसकी हुई मौत

चक्रधरपुर : ईश्वर महतो, मरीनल कांति गुप्ता व सुशांतो मंडल

कोटा : बदन सिंह, अशोक मल्होत्रा

राजकोट : प्रभुल भाई पुरोहित

भोपाल : एसएस मिश्रा

मुंबई : नितोन प्लाने

खगरिया : विजय सिंह

बिकानेर : मुबारक हुसैन

गुणटकल : एसजी जनारथन

अजमेर : निर्मल कुमार

जबलपुर : राम नरेश

खुर्दा रोड : सुरेश कुमार नायक

बीसीटी : गुलाब चंद्र राम

फिरोजपुर : मो. मकबुल शाह

जबलपुर : सूरज प्रताप सिंह

लखनऊ : रामाकांत, अन्नु कुमार

कोरापुट : बी भंट्टाचार्जी

भोपाल : संजय शर्मा

इलाहबाद : राकेश कुमार

अहमदाबाद : मणीलाल

मुंबई : विनोद कुमार

कोटा : श्रीराम

दिल्ली : मंजूर आलम, हरेंद्र सिंह

:::::::::::::::

संकेत एवं दूरसंचार विभाग के रेलकर्मियों का कोई ड्यूटी रोस्टर नहीं है। तकनीकी खराबी होने पर इन्हें बुला लिया जाता है। दिन-रात काम करने से वे तनाव और नींद में रहते हैं। इस वजह से उनकी जान पर हर वक्त खतरा बना रहता है।

- नवीन कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय रेलवे संकेत एवं दूरसंचार अनुरक्षक, संघ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.