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वाहन संचालकों की आर्थिक स्थिति खराब, इस बार बुकिंग नहीं

शहर की कुछ कंपनियों में बोनस बरस रहा है तो कोरोना काल में बहुतों की नौकरी चली गई है। ज्यादातर लोगों का का व्यवसाय चौपट हो गया है। कई लोगों के सपने पर पानी फिर गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:15 AM (IST)
वाहन संचालकों की आर्थिक स्थिति खराब, इस बार बुकिंग नहीं
वाहन संचालकों की आर्थिक स्थिति खराब, इस बार बुकिंग नहीं

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर की कुछ कंपनियों में बोनस बरस रहा है तो कोरोना काल में बहुतों की नौकरी चली गई है। ज्यादातर लोगों का का व्यवसाय चौपट हो गया है। कई लोगों के सपने पर पानी फिर गए हैं। सबसे अधिक मध्यवर्गीय परिवार प्रभावित हुआ है। खासकर वाहन चलाने व चलवाने वालों की आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब है। इस बार की दुर्गापूजा में बुकिंग नहीं होगी। इससे वाहन संचालकों की आस पर पानी फिर गया है।

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बस संचालन में लगे लोगों को होती थी अच्छी कमाई

बस : काशीडीह निवासी अशोक पाल ने बताया कि दुर्गा पूजा में दिन व रात भर बसों का परिचालन होता था। यात्री भी बस में बैठकर पूरा शहर घूम-घूमकर दुर्गा पूजा का आनंद लेते थे। कई लोग तो संयुक्त रूप से बसों को रिजर्व कर लेते थे और पूरा शहर रातभर घूमते थे। मध्यमवर्ग के अधिकतर लोग बस की सवारी करते थे। लेकिन इस बार मध्यमवर्गीय परिवार पर ही कोरोना का गाज गिरा है। इस कोरोना काल में नौकरी छूट गई और कइयों का तो व्यवसाय ही ठप हो गया।

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आटो वालों की आर्थिक स्थिति खराब

आटो : साकची निवासी श्याम किकर झा ने बताया कि शहर में करीब 14 हजार आटो का परिचालन होता है। दुर्गा पूजा से एक माह पहले ही आटो में सवारी बढ़ जाती थी। दुर्गा पूजा की खरीदारी को लेकर बाजार के चक्कर लगने शुरू हो जाते थे। इसके साथ ही पूजा को तीन दिन आटो वाले दिन रात आटो चलाते थे और अच्छी खासी कमाई पूजा के दौरान कर लेते थे। आटो चालक ग्राहक के अनुसार ही आटो चलाते थे। इसमें घंटे के हिसाब से, पंडाल के हिसाब से या शहर के पूरा पंडाल घूमने के हिसाब से आटो को बुक किए जाते थे। इस बार मध्यमवर्गीय परिवार आर्थिक रुप से परेशान है। जो जिस रोजगार मे था नुकसान में चल रहा है। कंपनी कर्मचारियों को तो बोनस मिल गया। उनके पास अपना संसाधन भी है। आटो से चलने वाले मध्यम वर्ग के अधिक यात्री है। इस बार मध्यम वर्गीय परिवार के पास रुपये ही नहीं है। कइयों का तो नौकरी तक चली गई है।

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कार चलाने वाले भी परेशान

कार : बारीडीह निवासी रोहित डानियल ने बताया कि दुर्गा पूजा में एक माह पहले से ही कारों की बुकिग दिन व रात में घूमने के लिए अलग -अलग किए जाते थे। विभिन्न कारों को मॉडल के हिसाब से किराया तय होता था। घंटे व पूजा पंडाल के हिसाब से ही किराया तय करते थे। दिन में अलग व रात में अलग पूजा घुमाने के लिए कार की बुकिग लोग करते थे। दिन में किराया कम होता था और रात में किराया ज्यादा लगता था कार से घूमने के लिए। लेकिन इस वर्ष पूजा का स्वरुप ही बदल गया है। इस कारण पूरा धंधा ही चौपट हो गया है।


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