Weekly News Roundup Jamshedpur : बिहारियों को ही सजा क्यों, पढ़िए नौकरशाही की दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup. यूं तो टाटानगर रेल थाना के अधिकारी नियम व कानून की बात किया करते हैं जब रक्षक ही मानवता को शर्मसार करने लगे तो माथा पीटने के सिवा कोई चारा नहीं बचता।
जमशेदपुर, गुरदीप राज। Weekly News Roundup Jamshedpur दक्षिण -पूर्व रेलवे के जीएम (जनरल मैनेजर) साहब, बिहारियों ने क्या खता की कि होली पर बिहार जाने वालों के लिए एक भी स्पेशल ट्रेन नहीं मिली। आप तो खुद सैलून में बैठकर सफर करते हैं, कभी जनरल कोच में भी चढ़कर देखते, तब आपको पता चलता कि जिंदगी क्या चीज होती है।
लेकिन एसके मोहंती साहब, आपको इन सबसे क्या लेना-देना। आम जनता मरे तो मरे। आपका क्या जाता है। लौहनगरी के लोगों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों। ट्रेन खचाखच भरी रहती है। बच्चे पापा-पापा चिल्लाते हैं। बस एक रेलवे की गलती ने बिहार जाने वाली पूरे परिवार को त्योहार के मौके पर रुला कर रख दिया। बिहार जाने वाले वैसे लोग भी शामिल हैं जो रोज कमाते खाते है। होली के नजदीक आते ही पूरा परिवार बिहार जाने के लिए परेशानियों को झेलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसा बिहारियों के हर पर्व में होता है।
मानवता शर्मसार कर रहा जीआरपी थाना
यूं तो टाटानगर रेल थाना के अधिकारी नियम व कानून की बात किया करते हैं, जब रक्षक ही मानवता को शर्मसार करने लगे तो माथा पीटने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है। आदित्यपुर यार्ड के समीप 20 फरवरी को राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। रेल पुलिस शव को टाटानगर थाना लाई और रेल थाना परिसर में बने एक गृह में अमानवीय तरीके से जमीन पर ही फेंक दिया। इस कमरे में न तो शव को रखने के लिए फ्रिज है और न ही बर्फ की व्यवस्था। स्टेशन परिसर में चूहों का आतंक है। हाल यह था कि स्टेशन आने जाने वाले यात्री बदबू से परेशान थे। सिस्टम पर सवाल उठा रेल पुलिस को लानत-मलानत भेज रहे थे। लेकिन उन्हें क्या पता, पुलिस भी लाचार है। जब स्टेशन पर शवों को शीतगृह में रखने की व्यवस्था ही नहीं, तो वह क्या करें।
बिना सूचना जनआहार को तोड़ा
टाटानगर स्टेशन के दफ्तरों में लापरवाही का यह आलम है कि स्टेशन के जनआहार व बेस किचन को आइआरसीटीसी ने तोड़वा दिया। लेकिन स्टेशन के किसी भी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी और न किसी अधिकारी ने जनआहार को बिना अनुमति से तोड़े जाने का कारण ही पूछना मुनासिब समझा। करीब 15 दिनों तक तोड़फोड़ होती रही। जब मामला बिगड़ने लगा और पूछताछ शुरू हुई तो नौकरी बचाने के लिए इंजीनिय¨रग विभाग ने दौड़ लगा दी और आनन फानन में काम को बंद करवाया गया। इतना ही नहीं दस्तावेजों को मजबूत व अपने पक्ष में करने के लिए इंजीनिय¨रग विभाग ने टाटानगर आरपीएफ को एक लिखित शिकायत आइआरसीटीसी के अधिकारियों के खिलाफ दी और कहा कि बिना किसी सूचना व अनुमति के स्टेशन बिल्डिंग को तोड़ दिया गया है। हालांकि जब आइआरसीटीसी के बड़े अधिकारियों को थाना से तलब किया गया तो वे भागते हुए टाटानगर स्टेशन पहुंचे।
मैं चाहे जो करूं, मेरी मर्जी
चाइल्ड लाइन एडवाइजरी बोर्ड की मीटिंग पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त कार्यालय में प्रत्येक माह होती है। इस मीटिंग में आरपीएफ थाना प्रभारी एमके साहू, जीआरपी थाना प्रभारी सुरजा सुंडी, स्टेशन निदेशक एचके बलमुचू की उपस्थिति अनिवार्य होती है। क्योंकि इस बोर्ड के यह सभी सदस्य हैं। बावजूद इसके नियम की धज्जियां उड़ाते हुए ये बड़े साहब मीटिंग में कभी नहीं आते। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त रविशंकर शुक्ला करते हैं। इस मीटिंग में आने के लिए टाटानगर आरपीएफ थाना प्रभारी एमके साहू व जीआरपी थाना प्रभारी सुरजा सुंडी को वाट्सएप पर मैसेज भेज कर व कॉल कर सूचित चाइल्ड लाइन के अधिकारी करते हैं। लेकिन साहब की अकड़ ऐसी कि न तो फोन उठाते हैं और न ही वाट्सअप मैसेज का कोई जवाब ही देते हैं। यूं समझिए, उपायुक्त का आदेश भी ठेंगे पर रखते हैं। उन्हें यह पता है कि एडवाइजरी बोर्ड से कोई उन्हें नहीं हटा सकता है।