Jharkhand Politics : रघुवर का तंज, तबरेज की मौत पर आंसू बहानेवाले दुमका में मॉब लिचिंग पर मौन क्यों?
Jharkhand Politics. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में मॉब लिंचिंग मामले में भाजपा के विरोधी दलों को कठघरे में खड़ा किया है।
जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में मॉब लिंचिंग मामले में भाजपा के विरोधी दलों को कठघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वाम पार्टियों पर हमला बोलते हुए रघुवर ने सवाल पूछे हैं कि वर्ष 2019 में तबरेज अंसारी की मौत को मानवता पर धब्बा बताने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलामनबी आजाद, सीपीएम, सीपीआई एवं अनेक संगठन दुमका में 11 मई को बकरी चोरी के नाम पर सुभान अंसारी की हुई मॉब लिचिंग पर आखिर क्यों मौन हैं?
रघुवर दास ने जारी बयान में कहा कि जिस प्रकार 11 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह जिला दुमका में सरेआम काठीकुंड, शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में बकरी चोरी का आरोप लगाकर दो लोगों की निर्मम पिटाई की गई और उनमें से एक सुभान अंसारी की मौत हो गई। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस घटना को बीते चार दिन हो गए, लेकिन अब तक मॉब लिचिंग के शिकार सुभान अंसारी के लिए न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को आंसू बहाने का समय मिला और न ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा उनकी बहन प्रियंका गांधी को कुछ कहने या ट्वीट करने का मन हुआ। इनलोगों के ट्वीट और आंसू भी आखिर सेलेक्टिव क्यों होते हैं।
राज्यसभा में दिए गए बयान की दिलाई याद
दास ने कहा कि राहुल गांधी ने 17 जून 2019 को सरायकेला में तबरेज अंसारी पर हुए हमले पर मोटे-मोटे आंसू बहाए थे और 22 जून को तबरेज की मौत के बाद इसे मानवता पर धब्बा बताया था। आरोप लगाया था कि इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार की कथित चुप्पी हैरान करने वाली है। इतना ही नहीं, राज्यसभा में अपने भाषण में कांग्रेस नेता गुलामनबी आजाद ने सरायकेला की घटना के बाद पूरे झारखंड को मॉब लिचिंग का अड्डा बता दिया था। उन्होंने कहा कि सुभान अंसारी के मामले में अब तक गुलामनबी आजाद ने भी अपनी जुबान नहीं खोली है।
बताया दोहरा व्यवहार
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तबरेज के मामले में सीपीएम, सीपीआई एवं अनेक संगठनों ने अपनी पार्टियों के प्रतिनिधि सरायकेला भेज दिए थे। वर्तमान सरकार में कांग्रेसी मंत्री ने घर जाकर आर्थिक सहायता भी दी थी। इस तरह इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर देश को बदनाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। अब जब दुमका में सुभान अंसारी की मॉब लिचिंग में निर्मम हत्या की गई तो इन सभी की जबान पर ताला लटक गया है। किसी जांच या मदद की मांग नहीं की जा रही है, आखिर ऐसा क्यों? दास ने कहा कि ऐसा दोहरा व्यवहार सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उस समय भाजपा की सरकार थी और आज यहां झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस, राजद एवं बामपंथियों की अवसरवादी सरकार शासन में है।
एसआइटी से हो जांच
दास ने कहा कि भीड़ के हाथों किसी की भी मौत गैरकानूनी और निंदनीय होती है। चाहे वह तबरेज की मौत हो या सुभान अंसारी की हत्या हो। उन्होंने मांग की कि अंसारी के मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना चाहिए और उसकी पत्नी खैरून बीबी एवं पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद की जानी चाहिए। दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा कि वह और उनकी पार्टी तो दावा करती थी कि अभी सरकार में मॉब लिचिंग नहीं होगी तथा किसी की भी भूख से मौत नहीं मौत नहीं होगी, लेकिन अब इस तरह उनके गृह जनपद दुमका में हुई मॉब लिचिंग पर आखिर उनके पार्टी के नेताओं के होठ क्यों सिले हुए हैं।
भूख से मौत पर भी सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पूछा कि रामगढ़ के गोला में संग्रामपुर गांव में तीन अप्रैल को 17 वर्षीय दलित महिला उपासो देवी की भूख से हुई मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है। ऐसे मामलों को दबाने से काम नहीं चलेगा। सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। जनता को बताना होगा कि चुनाव में किए गए वादों का क्या हुआ? जब वह चीख-चीख कर कहा करते थे कि उनके राज्य में कभी मॉब लिचिंग नहीं होगी और भूख से किसी गरीब की मौत नहीं होगी।