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टैंक से लेकर रिवाल्वर के लिए चाहिए स्प्रिंग, जानिए किसे है तलाश

फील्ड गन फैक्ट्री कानपुर को वैसी कंपनियों की तलाश है जो उनके लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्प्रिंग की सप्लाई कर सके।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 20 Dec 2018 04:51 PM (IST)Updated: Thu, 20 Dec 2018 04:51 PM (IST)
टैंक से लेकर रिवाल्वर के लिए चाहिए स्प्रिंग, जानिए किसे है तलाश
टैंक से लेकर रिवाल्वर के लिए चाहिए स्प्रिंग, जानिए किसे है तलाश

जमशेदपुर, जेएनएन।  फील्ड गन फैक्ट्री कानपुर भारतीय सेना के लिए भीष्म, अर्जुन व धनुष टैंक के बैरल का निर्माण करती है। लेकिन इसके लिए जो टी-90 और टी-72 मॉडल के जिस स्प्रिंग की आवश्यकता होती है वह अब भी रसिया से आता है। आजादी के बाद से कई कंपनियों से स्प्रिंग का निर्माण किया लेकिन स्वदेशी स्प्रिंग फायरिंग प्रेशर नहीं झेल पाती और बीच में ही टूट जाती है। ऐसे में गन फैक्ट्री के परीक्षक राजपाल सिंह और इलेक्ट्रॉनिक फीटर एसके गौतम को वैसी कंपनियों की तलाश है जो उनके लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्प्रिंग की सप्लाई कर सके। 

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झारखंड के सरायकेला-जिले के आदित्यपुर में आयोजित वेंडर डेवलपमेंट मीट में आए राजपाल बताते हैं कि कानपुर में आयोजित डिफेंस एक्सपो में भी स्प्रिंग के लिए वेंडर की मांग उठी थी। क्योंकि विदेशी माल महंगा होने के साथ-साथ उसकी डिलीवरी में भी समय लगता है। इसके अलावे गन फैक्ट्री को कैम सिलेंडर रिवाल्वर, स्प्रिंग कैच बैरल रिवाल्वर, निर्भीक रिवाल्वर के लिए बॉडी व एक्सटेक्टर टी-72 की सप्लाई के लिए भी वेंडर की तलाश है। 

ऑर्डिनेंश फैक्ट्री बोर्ड जबलपुर 

इस फैक्ट्री ने ही स्वेदशी तोप धनुष का निर्माण किया है जिसकी मारक क्षमता 32 किलोमीटर है। इसमें साढ़े 12 हजार से ज्यादा उपकरण लगे हैं। इसके अलावे ऑडिनेंश फैक्ट्री द्वारा 120 एम मोर्टार, 81 मोर्टार, 12.7 प्रहरी, 51 एमएम मोर्टार, 40 एमएम की एल-70 गन और कवच का निर्माण करती है। इन आयुध के निर्माण में 90 प्रतिशत उपकरण स्वदेशी है जबकि दस प्रतिशत माल अब भी विदेशों से आयात होता है। फैक्ट्री को 260 सामान जैसे बैक्रेट्स, फांसनर, कम्प्लीट आइटम, नट-बोल्ट, गन को जोडऩे वाले उपकरणों के लिए स्वदेशी वेंडरों की आवश्यकता है। फैक्ट्री के जूनियर वक्र्स मैनेजर आलोक पटेल, पारस भारद्वाज, विनय श्रीवास्तव व सहायक वक्र्स मैनेजर नितिन चंद्र पांडेय बताते हैं कि अगर स्थानीय वेंडर क्वालिटी वाले माल की सप्लाई करें तो स्वदेशी माल आर्थिक दृष्टिकोण से सस्ता होगा। 

हैवी व्हीकल फैक्ट्री 

 चेन्नई के अवड़ी स्थित हैवी व्हीकल फैक्ट्री थल सेना के लिए भीष्म, अर्जुन जैसे टैंकों का निर्माण करती है। लेकिन इसके लिए उन्हें उच्च क्वालिटी वाले कास्टिंग की जरूरत पड़ती है। यहां के अधिकारी बताते हैं कि उनके पास स्वेदशी कंपनियां नहीं है जो उनकी जरूरत का माल सप्लाई कर सके। इसलिए उन्हें विदेशों पर निर्भर रहना मजबूरी बन गई है।

ऑर्डिनेंश फैक्ट्री मेंढ़क 

 तेलंगाना की ऑर्डिनेंश फैक्ट्री थल सेना, बार्डर सिक्योरिटी फोर्स व गृह मंत्रालय के लिए आर्मड व्हीकल बनाती है। इस फैक्ट्री को भी सभी तरह के गन और टैंक के लिए स्प्रींग की आवश्यकता होती है।

राइफल फैक्ट्री इच्छापुर 

जम्मू एंड काश्मीर में चलने वाले पिलेट गन का निर्माण इसी राइफल फैक्ट्री में हुआ था। वक्र्स मैनेजर आशीष शुक्ला और जूनियर वक्र्स मैनेजर एसके घोष बताते हैं कि उनके यहां टियर गैस गन, 9 एमएम का ऑटो पिस्टल सहित कई तरह के रिवाल्वर बनाते हैं। इसके लिए उन्हें भी स्प्रींग, आइसी, मशीन, इस्टोनेशन प्रोडक्ट और बट घाटक की आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए उन्हें वेंडर की तलाश है।

गन एंड शेल फैक्ट्री काशीपुर 

इस फैक्ट्री से भारतीय सेना के लिए 51एमएम मोर्टार व 54 एमएम शोल्डर फायर मार्क 2 का निर्माण करती है। इसके लिए फैक्ट्री को दोनो मोर्टार के लिए बॉक्स, 84 एमएम वाली टीपीटी कास्टिंग, फ्यूज बी-15, 30 एमएम एचइआइ शील्ड की सप्लाई के लिए वेंडर की तलाश है। 

इंजन फैक्ट्री आवड़ी 

चेन्नई की यह फैक्ट्री भारतीय सेना को सप्लाई होने वाले सभी भारी वाहनों का इंजन बनाती है। इसके अलावे यहां से टी-72, भीष्म जैसे टैंकों का भी इंजन का निर्माण करती है। इसके लिए इस फैक्ट्री को स्प्रे टिप असेंबली नॉजल की जरूरत है। 

ऑर्डिनेंश फैक्ट्री दमदम 

पश्चिम बंगाल की इस फैक्ट्री मिसाइल के पीछे लगने वाले बीटीवी 250, बीटीयू 111, एरियर बम, फ्यूज और राइफल के मैग्जीन का निर्माण किया जाता है। इसके लिए चार्ज मैन अनिकेत कुमार का कहना है कि इसके लिए उन्हें कास्टिंग प्रोडक्ट वैन असेंबली, पीआईबीडी फ्यूज, एजीएस 17 फ्यूज, आर्मिंग फ्रोर्क, शल्टर हाउसिंग, क्लोजिंग डिस्क की जरूरत है।

व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर 

इस फैक्ट्री से माइंस, नक्सल और आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए बुलेट प्रूफ गाडिय़ों का निर्माण किया जाता है। इसके लिए फैक्ट्री को सभी तरह के फोर्जिंग, फेब्रिकेशन, कास्टिंग, सीट मेटल, मशीनिंग, पीबीसी प्लास्टिक क्षेत्र व इलेक्ट्रिक सामानों की जरूरत है। जूनियर वक्र्स मैनेजर केके सिंह, मिश्री लाल व एमएल अहिरवार बताते हैं कि दिसंबर माह तक मंत्रालय द्वारा देश भर में 150 वेंडरों का निबंधन हुआ है लेकिन यहां बेहतर माहौल है और उन्हें बेहतर क्वालिटी का माल देने वाले और वेंडरों की आवश्यकता है। 

50 डिग्री में भी नहीं लगने देगा ठंड  

ऑर्डिनेंश इक्यूपमेंट एंड क्लोनिंग फैक्ट्री शाहजहांपुर द्वारा भारतीय सेना के लिए स्लीपिंग बैग, जूते व पैराशूट का निर्माण किया जाता है। यहां एक ऐसे मटेरियल से जैकेट का निर्माण किया गया है जिससे पांच काम किए जा सकते हैं। जूनियर वक्र्स मैनेजर हरप्रीत सिंह, एनजीओ विश्वजीत सिंह व सत्यप्रकाश गुप्ता के अनुसार इस जैकेट से टेंट, स्टेचर, बिछावन और बरसाती के रूप में इस्तेमाल में लाया जा सकता है। 

एचएएल को चाहिए सामान

हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड चेतक व चीता हैलीकॉप्टर के मेंटनेंस का काम करती है। इसके लिए इन्हें वीएमसी, सीएनसी, ऑटोमेटिक लेथ, जिंक बोङ्क्षरग वेंडर की जरूरत है। वहीं, हीट ट्रीटमेंट व फोर्जिंग कास्टिंग के लिए जिनके पास एनएडी कैप की मान्यता है वे हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल को माल सप्लाई कर सकते है। अभी ये सभी सामान विदेशों से आयात किए जाते हैं। 

मिसाइल पार्क बना आकर्षण का केंद्र

सरकारी कंपनियों द्वारा लगाए गए स्टॉल में मिसाइल पार्क भी बनाया गया है जो यहां आने वाले अतिथियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां पी-51 युद्वपोत, धनुष मिसाइल, केएच 2017 लड़ाकू विमान, लडाकू विमान लक्ष्य का मॉडल रखा गया है। यहां आकर सेल्फी लेने वालों की भीड़ सी लगी हुई है।


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