साइकिल से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चला रहे प्रोफेसर
असिस्टेंट प्रोफेसर संजीव कुमार बिरुली फिटनेस और पर्यावरण के प्रति काफी सजग हैं। वे साइकिल से यात्रा कर लोगों को फिटनेस व प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाने के लिए जागरूक करते हैं।
जमशेदपुर [पीतांबर सोय]। पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर संजीव कुमार बिरुली फिटनेस और पर्यावरण के प्रति काफी सजग हैं। वे साइकिल से यात्रा कर लोगों को फिटनेस व प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाने के लिए जागरूक करते हैं।
प्रोफेसर संजीव को साइकिलिंग से खास लगाव है। शौक इतना कि अपने कॉलेज के जमाने की पुरानी साइकिल आज भी इस्तेमाल करते हैं। संजीव नेतरहाट आवसीय विद्यालय के छात्र रहे हैं। साइकिल 1990 में खरीदी थी। बीएचयू जैसे विशाल यूनिवर्सिटी में कॉलेज जाने का संजीव के पास यही एक मात्र सस्ता साधन था।
15-20 किमी करते हैं साइकिल से यात्रा : संजीव कुमार ने बताया कि जब वह बनासर हिन्दू विश्वविद्यालय में से एमए व एलएलएम कर जमशेदपुर लौट आए तब भी अपने इस साइकिल का साथ नहीं छोड़ा। संजीव बीएचयू से इस साइकिल को खोलवा कर घर ले आए और जमशेदपुर में साइकिल में गेयर लगवाया। जिससे साइकिल हल्की हो गई। प्रोफेसर संजीव कुमार बिरुली 46 के उम्र में भी काफी युवा एवं ऊर्जावान हैं। वह प्राय: 15-20 किमी तक की दूरी साइकिल से ही यात्र करते हैं। संजीव कुमार का कहना है कि आजकल लोगों के पास समय नहीं होता ऐसी भागदौड़ की जिंदगी में लोग अपनी फिटनेस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे पाते हैं। ऐसे में साइकिल चलाना ही उनके लिए सबसे उपयुक्त है।संजीव कुमार वर्तमान में जमशेदपुर कॉ-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, पत्नी सरायकेला-खरसांवा के नीमडीह में हैं अंचलाधिकारी
कई समस्याओं का समाधान है साइकिल
प्रोफेसर संजीव कहते हैं प्रदूषण से पर्यावरण को बचाने का उपदेश देने से पहले खुद से इसकी शुरुआत करनी चाहिए। कल को पेट्रोल-डीजल महंगे होते जाएंगे। तब ऐसे ही साधनों की ओर आना पड़ेगा। वैसे भी वर्तमान में जिस गति से लोगों की दिनचर्या और खानपान बदल रही है। उसमें कसरत के लिए समय किसी के पास नहीं है। वैसे में साइकिल हमारे अनेकों समस्याओं का समाधान करती है।
प्रदूषण की रोकथाम का दिया संदेश
संजीव कुमार ने पूर्वी सिंहभूम के मानगो से सरायकेला-खरसावां जिले के कांड्रा-चांडिल होते हुए वापस मानगो तक पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम एवं फिटनेस का संदेश देते हुए 64 किमी तक की यात्र की है। यात्र के दौरान वे हमेशा लोगों को अधिक प्रदूषण फैलाने वाले यातायात के साधनों को त्यागने एवं पब्लिक ट्रांसपोर्ट व साइकिल से यात्र करने की अपील करते हैं। प्रोफेसर संजीव को जब गांव जाने का अवसर मिलता है तो साइकिल से सफर करना नहीं चूकते। पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर में संजीव का पैतृक गांव है। जिसकी दूरी जमशेदपुर से करीब 80 किमी पड़ता है।
साइकिल से जाने पर पहले हंसते थे लोग
संजीव काफी मिलनसार व्यक्तिव के हैं। परिचितों से मिलते हैं और जल्द ही नए दोस्त भी बना लेते हैं। उनके साथ सेल्फी वे जरूर लेते हैं और अपना संदेश देना नहीं भूलते। प्रोफेसर संजीव कुमार वर्तमान में जमशेदपुर में रहते हैं। पत्नी सरायकेला-खरसावां के नीमडीह में अंचलाधिकारी हैं। प्रोफेसर संजीव कुमार बिरुली जब शुरू में साइकिल से जमशेदपुर कॉ-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज में पढ़ाने जाते थे, तो सबलोग संजीव पर पैसे बचाने को लेकर तंज कसते थे। लेकिन संजीव का एक ही जवाब था, स्वास्थ्य बचा रहे हैं। जिसके बाद धीरे-धीरे सबने संजीव पर तंज कसना बंद कर दिया।