टाटा वर्कर्स यूनियन कमेटी मेंबरों का दबाव काम आया, कोष खर्च पर नहीं बनी सहमति Jamshedpur News
टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व कमेटी मेंबरों के बढ़ते विरोध और किसी भी कानूनी पचड़े से बचने के लिए बुधवार को सीएसआर फंड पर बैकफुट पर आ गई।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व कमेटी मेंबरों के बढ़ते विरोध और किसी भी कानूनी पचड़े से बचने के लिए बुधवार को सीएसआर फंड पर बैकफुट पर आ गई। यूनियन नेतृत्व ने आपसी रजामंदी से मामले को ठंडे बस्ते में यह बोलते हुए डाल दिया है कि इस मामले में सभी कमेटी मेंबरों की राय ली जाएगी।
कोरोना वायरस में जरूरतमंदों को सामाजिक दायित्व के तहत यूनियन नेतृत्व अपने कोष से एक बड़ी राशि खर्च करने की तैयारी कर रही थी। लेकिन कमेटी मेंबरों के बढ़ते विरोध को देखते हुए यूनियन नेतृत्व ने इससे अपने हाथ खीच लिए हैं। बुधवार सुबह यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, डिप्टी प्रेसिडेंट अरङ्क्षवद पांडेय व महासचिव सतीश कुमार सिंह की बैठक हुई।
अरविंद पांडेय इस बात से सहमत थे कि यूनियन को अपने 36 करोड़ के कोष में से कुछ काम जरूरतमंदों के लिए करना चाहिए। लेकिन महामंत्री सतीश ने गलत परंपरा शुरू होने का हवाला देते हुए इससे एक बार फिर इंकार किया। उनका कहना था कि शताब्दी वर्ष में यूनियन द्वारा अपने सभी सदस्यों को चांदी का सिक्का दे रही है। सदस्यों का चंदा और कार्यालय में प्रतिनियुक्त कर्मचारियों का वेतन बराबर हो गया है। यूनियन की जमा पूंजी से ब्याज लगातार घटता हुआ दिख रहा है और माइकल जॉन सभागार से पिछले डेढ़ माह से बुङ्क्षकग बंद है और आगे कब तक बंद रहेगी, यह बताना भी संभव नहीं है।
वहीं, यूनियन के संविधान के तहत संस्था अपने सदस्यों के हित पर कोष की राशि खर्च कर सकती है। पूर्व में ऐसी परंपरा नहीं थी यदि यूनियन ने पहल की तो कानूनी पचड़े में फंस सकती है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि पिछली तीन बैठकों में पदाधिकारियों से आए सुझाव से ही यह निर्णय लिया गया है। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में कमेटी मीङ्क्षटग संभव नहीं है इसलिए स्थिति सामान्य होने पर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।