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कोल्हान में अकीदद से अदा की गई बकरीद की नमाज

कोल्हान के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में बुधवार को अकीकद से बकरीद की नमाज अदा की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 11:57 AM (IST)
कोल्हान में अकीदद से अदा की गई बकरीद की नमाज
कोल्हान में अकीदद से अदा की गई बकरीद की नमाज

जेएनएन, जमशेदपुर : कोल्हान के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में बुधवार को अकीकद के साथ बकरीद की नमाज अदा की गई। नमाज अदा करने के बाद देश-दुनियां की सलामती के लिए की गई दुआ। साथ ही एक-दूसरे के गले मिलकर बकरीद की शुभकामनाएं दी गई। जमशेदपुर की मस्जिदों में तय समय पर नमाज के लिए लोग पहुंचने लगे थे। इस दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस भी मुस्तैद रही। चाईबासा के साथ ही सरायकेला, सीनी एवं आसपास के मुस्लिम बहुल गांव मुड़िया, कमलपुर, नारायणपुर व सालडीह में बुधवार को ईद-अल-अजहा हर्षोल्लास से मनाया गया। सरायकेला-खरसावां जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न मसजिदों में बकरीद की नमाज अदा की गई। मुख्यालय के राजबांध ईदगाह में बकरीद की नमाज अदा करने मुसलिम भाइयों की भीड़ लगी रही। नमाज के बाद सभी ने एक-दूसरे से गले मिल कर बधाई दी। अपने पूर्वजों द्वारा अल्लाह की इबादत के लिए उनके द्वारा दी गई कुर्बानी को याद किया गया। इस मौके पर शहर के राजबांध ईदगाह में नमाज अता करवाते इमाम शकील अहमद ने कहा कि बकरीद मुसलमानों के त्याग व बलिदान का प्रतीक है। इसी दिन इब्राहिम अली सलाम ने अल्लाह की रजामंदी के लिए अपने बेटे तक को कुर्बान कर दिया था। अल्लाह को यह अदा इतनी पसंद आई कि उसके बाद आने वाले तमाम नबी पैगंबर व उनके मानने वालों को उनकी याद में भी उसी तारीख को प्रत्येक वर्ष पर्व मनाने का हुक्म सुनाया था। बकरीद की नमाज अता करने को लेकर शहर के सभी ईदगाहों में सुबह से ही नमाज पढ़ने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। मुकर्रर वक्त पर लोग ईदगाह व मस्जिदों में जाकर दो रिकात ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की और बकरे की कुर्बानियां दी। जानकारी हो कि ईद-उल-अजहा जिसे मुख्तसर में बकरीद कहा जाता है मुसलमानों के लिए कुर्बानियों का त्योहार है। इस मौके पर अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक मुसलमान बकरे की कुर्बानी देकर रिश्तेदार व गरीबों के बीच गोस्त की तकसीम की जाती है। बुधवार को सुबह मुस्लिम समुदाय के हर तबके के बूढ़े-बुजुर्ग व बच्चों के साथ लोग हैसियत के मुताबिक अच्छे-अच्छे कपड़े पहन कर ईदगाह व मस्जिद पहुंचे और मुकर्रर वक्त पर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की। सरायकेला में जमा मस्जिद व राजबांध स्थित ईदगाह में बकरीद की नमाज अदा की। सीनी व कमलपुर में बकरीद की नमाज मस्जिद में अदा की गई। मुड़िया व सालडीह में भी ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई। ऐसी मान्यता है कि जिनके पास सात तोला सोना व 52 भरी चांदी साल भर से अधिक हो या फिर उसके बराबर दूसरी चल अचल संपत्ति हो, उनके लिये कुर्बानी देना अनिवार्य है। इस मौके पर सुबह से ही बच्चे, युवा व बूढ़े कुरता व पायजामा, टोपी पहन, इत्र लगाए ईदगाह पहुंच नमाज अदा करने में लग गए।

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