घर लौट रहे मजदूरों की हालत दयनीय
खुद और परिवार के लोगों की भूख मिटाने गए और भुखमरी की वजह से लौट रहे हैं। ये वही लोग हैं जिनकी बदौलत शहरों में आलीशान बिल्डिंगें खड़ी हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक महंगी गाड़ियों पर फर्राटा भरते हैं। फैक्ट्री चलाने वालों व ठेकेदारों की शाम रंगीन होती हैं। लॉकडाउन के बाद अधिकतर मालिक अपने मजदूरों की ओर देखे तक नहीं। ज्यादातर ठेकेदार आधा-तिहाई ही वेतन दिए।
जासं, जमशेदपुर : खुद और परिवार के लोगों की भूख मिटाने गए और भुखमरी की वजह से लौट रहे हैं। ये वही लोग हैं जिनकी बदौलत शहरों में आलीशान बिल्डिंगें खड़ी हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक महंगी गाड़ियों पर फर्राटा भरते हैं। फैक्ट्री चलाने वालों व ठेकेदारों की शाम रंगीन होती हैं। लॉकडाउन के बाद अधिकतर मालिक अपने मजदूरों की ओर देखे तक नहीं। ज्यादातर ठेकेदार आधा-तिहाई ही वेतन दिए। कुछ तो एक धेला भी देना मुनासिब नहीं समझे। ऐसे मालिकों पर घर लौट रहे मजदूरों की बददुआ पड़ेगी। खाने-पीने में दिक्कत हुई तो मजदूरों को अपना गांव-घर याद आया और वे हजारों किलोमीटर की यात्रा पर पैदल ही निकल पड़े। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र से घर लौट रहे अधिकतर मजदूरों की हालत दयनीय नजर आई।
टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर प्रतिदिन प्रवासी मजदूरों का आना अनवरत जारी है। अधिकांश प्रवासी मजदूर बिहार के ही रहने वाले हैं। लोगो ने बताया कि जब राशन खत्म हो गया तो परदेश में कोई पूछने वाला नहीं रहा। प्रवासी मजदूर ऐसे भी हैं जिन्हें साधन नहीं मिला तो पैदल या साइकिल से ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं। सोमवार की दोपहर कड़कड़ाती धूप में वास्तु विहार के पास मजदूरों का एक झुंड पानी देखकर रूक गया। इस झुंड में 18 लोग थे। पूछने पर मजदूरों ने बताया कि वह केरल गए थे कमाने खाने के लिए, लेकिन लॉकडाउन ने सारा सपना तोड़ दिया। न घर के रहे न घाट की कहावत उनके साथ चरितार्थ हो गई। प्रवासी मजदूरों ने बताया कि हमलोग केरल के तिरूवंतपुरम से आठ दिन पूर्व कोई साधन नहीं देखा तो पैदल ही निकल गए। रास्ते में ट्रक-ट्रेलर जो भी गाड़ी मिली लिफ्ट लेते हुए आज जमशेदपुर पहुंच गए। जमशेदपुर से पहले ही उन्हें उतार दिया गया। अब हम सब पैदल ही गया जा रहे हैं। इसी बीच वास्तु विहार सोसायटी के बलविंदर सिंह, मनीष सिंह व प्रदीप आदि लोग सभी मजदूरों को बुलाकर पानी की बोतल, बिस्कुट व ओआरएस, चना गुड़ का वितरण किया। इसी बीच एक बस महाराष्ट्र से आकर रूकी। लोगों ने बताया कि हम सब मुंबई से किराये की बस कर पश्चिम बंगाल के वर्दवान रहे हैं।
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तमिलनाडु से जा रहे छपरा के मसरख
एक खुले ट्रेलर पर गर्म लोहे पर पसीना से तरबतर मजदूरों का एक झुंड से रोकवाकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि तमिलनाडु से आ रहे हैं और छपरा जिले के मसरख गांव में रहते हैं। भूखे-प्यासे पैदल व लिफ्ट मांग-मांग कर अपने घर लौट रहे हैं। इसी बीच मजदूरों का एक झुंड ने बताया कि हमलोग आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम से अपने घर बिहार के गोपालगंज जा रहे हैं।
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अब जीवन में नहीं जाएंगे प्रदेश
सोमवार को दैनिक जागरण टीम ने पैदल जा रहे मजदूरों से बातचीत की। डिमना चौक पर महाराष्ट्र के मुंबई से किराये की बस से तीन दिनों में जमशेदपुर पहुंचे छह मजदूर। सभी मजदूरों को बहरागोड़ा के जगन्नाथपुर जाना था। पूछने पर कृष्णा व राजेश ने बताया कि अब बाहर कमाने के लिए कभी नहीं जाएंगे। अरुण ने बताया कि प्रति व्यक्ति 5200 रुपये किराया देकर जमशेदपुर आए।