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आयुर्वेद विशेषज्ञों से रूबरू करा रहे डाक टिकट, जानिए किन्हें मिली है स्टाम्प पर जगह

भारत की चिकित्सा विरासत की नींव रही आयुष पर जारी डाक टिकट में 12 आयुर्वेद विशेषज्ञों को जगह दी गई है। आइए जानिए इन विशेषज्ञों की खूबी।

By Edited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 11:44 AM (IST)
आयुर्वेद विशेषज्ञों से रूबरू करा रहे डाक टिकट, जानिए किन्हें मिली है स्टाम्प पर जगह

जमशेदपुर, अमित तिवारी।  देश के 12 आयुर्वेद विशेषज्ञों पर जारी डाक टिकट जमशेदपुर के डाकघर में पहुंच चुका है। इसकी खूब मांग हो रही है। यह शहर के आयुष चिकित्सकों को खूब भा रहा है। पहली बार ऐसी पहल से चिकित्सक खुश हैं।

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30 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह डाक टिकट जारी किया था। शहर के बिष्टुपुर स्थित प्रधान डाकघर के फिलाटेली विभाग में उनके नाम से सात हजार डाक टिकट आए हैं। इनकी मांग अच्छी है। डाक टिकट संग्रह करने वाले राजकुमार चौधरी कहते हैं कि भारत की चिकित्सा विरासत की नींव रही आयुष पर इससे पूर्व डाट टिकट जारी नहीं हुआ था। जिनके नाम से टिकट जारी हुआ है उनके माध्यम से आयुष चिकित्सा को समझा जा सकता है। आधुनिक युग के आयुष चिकित्सकों को इससे प्रेरणा मिलेगी।

इनके नाम पर जारी हुआ डाक टिकट

महर्षि महेश योगी : योग और ध्यान में मूल योगदान के लिए जाने जाते हैं, उन्हें पारलौकिक ध्यान तकनीक विकसित करने के लिए सदैव याद किया जाता है।

 बृहस्पति देव त्रिगुणा : एक कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक और विद्वान थे। वे नाड़ी निदान के अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई गणमान्य उनके मरीज थे।

शास्त्री शंकर दाजी पदे : आयुर्वेद में इनके उत्कृष्ट लेखन कौशल, विद्वत्ता, गहन सोच और तकनीकी दक्षता के लिए सम्मानित किया जाता है। आयुर्वेद की क्षमता व रहस्यों के प्रति जागरूक करने को स्कूल भी खोला।

मोहम्मद कबीरुद्दीन : प्रख्यात लेखकों में से एक और यूनानी चिकित्सा पद्धति के 20वीं सदी के एक महान शिक्षाविद हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का उर्दू भाषा में अनुवाद करने में अपने प्रयास समर्पित किए।

भास्कर विश्वनाथ गोखले : एक कुशल शिक्षक, दूरदर्शी और प्रख्यात आयुर्वेद चिकित्सक थे। उन्होंने आयुर्वेद में गुणवत्तायुक्त स्नातकोत्तर शिक्षा और अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया।

के. राघवन तिरुमुलपाड़ : प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक और संस्कृत के विद्वान थे, जिन्होंने आयुर्वेद छात्रों की पीढि़यों को प्रेरित किया। चिकित्साभ्यास में नैतिकता और बुद्धिमत्ता के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण के प्रतीक थे।  केजी सक्सेना : भारत सरकार के पहले ऐसे मानद सलाहकार (होम्योपैथी) थे जिन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के प्रथम मानद चिकित्सक होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

यादवजी त्रिकमजी आचार्य : आयुर्वेद के प्रख्यात और सफल चिकित्सक थे। आयुर्वेद ग्रंथों के प्रामणिक संस्करणों की कमी को स्वीकार करते हुए, उन्होंने आयुर्वेद ग्रंथमाला ट्रस्ट की स्थापना की।

स्वामी कुवलयानंद : योग के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वालों में अग्रणी स्वामी जी ने योग तकनीकों पर अपने शोध कार्य के माध्यम से इसे आधुनिक विश्व के लिए अधिक स्वीकार्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मो. अब्दुल अजीज लखनवी : 24 सिंतबर 1854 को लखनऊ में जन्में मो. अब्दुल अजीज लखनवी एक प्रसिद्ध चिकित्सक और उत्कृष्ट अध्यापक थे।

दिनशॉ मेहता : महात्मा गांधी के एक विश्वस्त सहयोगी और निजी चिकित्सक डॉ. दिनशॉ मेहता प्राकृतिक उपचार व सम्यक चिकित्सा पद्धति में विश्वास रखते थे।

टीवी सांबसिवम पिल्लई : वृहद एवं विद्वतापूर्ण रचना सिद्ध 'साइक्लोपोडिक चिकित्सा शब्दकोष' का लेखन किया। यह लगभग 87000 शब्दों के पांच से अधिक खंडों वाली रचना है।

लोगों को उत्साह

आयुष पर पहली बार डाट टिकट जारी होने से लोगों में उत्साह है। खासकर डाक टिकट संग्रहकत्र्ताओं में। जिनके नाम से डाक टिकट जारी हुआ है, उनका आयुष चिकित्सा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।'

गुड़िया कुमारी, वरिष्ठ डाकपाल, प्रधान डाकघर।


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