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डीएनए को डैमेज कर देगा प्रदूषण

तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण इंसान के डीएनए (डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड को डैमेज कर सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 11:03 AM (IST)
डीएनए को डैमेज कर देगा प्रदूषण

अमित तिवारी, जमशेदपुर :

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तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण इंसान के डीएनए (डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड) को डैमेज कर सकता है। शोध में डीएनए डैमेज होने की बात सामने आने पर शहर के डॉक्टर भी हैरान हैं। व‌र्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजी (डब्लूएफएन) ने एक शोध में इस बात की तस्दीक की है। कहा गया है कि बढ़ रहा वायु प्रदूषण मस्तिष्क (ब्रेन) को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। चूंकि जमशेदपुर शहर और उसके आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर कारखाने प्रदूषण फैला रहे हैं, ऐसे में यह शोध शहर के लोगों के लिए चिंताजनक है। शोध में कहा गया है कि वायु प्रदूषण हमारे शरीर में फेफड़ा व आहार नली के माध्यम से खून और ब्रेन तक पहुंच रहा है। इतना ही नहीं, हमारे शरीर में मौजूद 46 क्रोमोजोम (गुणसूत्र) को भी तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। क्रोमोजोम सभी प्राणियों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले तंतु रूपी पिंड होते हैं, जो कि सभी आनुवांशिक गुणों को निर्धारित व संचारित करते हैं। प्रत्येक प्रजाति में क्रोमोजोम की संख्या निर्धारित रहती है। चूंकि क्रोमोजोम में ही डीएनए होता है, इसलिए डीएनए भी डैमेज हो जाएगा। इससे इंसान की आयु कम हो जाएगी, लंगड़े-लूले बच्चे का जन्म होगा और सैकड़ों आनुवांशिक (जेनेटिक) बीमारियां तेजी से फैलेंगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार विश्व की 90 फीसद आबादी प्रदूषित वायु में ही सांस लेती है। वहीं प्रदूषण के कारण होने वाली न्यूरो संबंधित बीमारियों से हर साल 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

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प्रदूषण की वजह से शहर में तेजी से फैल रही बीमारियां

बढ़ रहा प्रदूषण लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। जमशेदपुर शहर में ब्रेन से संबंधित स्ट्रोक, पार्किसन व डिमेंशिया के मरीज तेजी से बढ़े हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में हर माह स्ट्रोक के 830, पार्किसन के 780 व डिमेंशिया के 1300 नए मरीज सामने आ रहें है। इसमें 20 से 30 फीसद वैसे मरीज शामिल होते है जिनकी बीमारी की मुख्य वजह प्रदूषण को बताया गया है। इसके साथ ही प्रदूषण का असर हार्ट, लीवर, चर्म रोग सहित अन्य बीमारियों पर पड़ता है।

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साकची व गोलमुरी की हवा ज्यादा प्रदूषित

साकची और गोलमुरी की हवा ज्यादा प्रदूषित है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े के मुताबिक यहां सामान्य से ढाई गुना ज्यादा धूलकण पाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिष्टुपुर और आदित्यपुर इलाके में भी धूलकण की मात्रा डेढ़ से दो गुना तक है। हवा में 10 माइक्रोन आकार के धूलकण आरएसपीएम (रेसपिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जबकि साकची-गोलमुरी में प्रदूषण का स्तर 254 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक है।

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प्रदूषण से निपटने के लिए डॉक्टरों ने उठाया बीड़ा

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने अपने स्तर से प्रयास तेज कर दिए हैं। व‌र्ल्ड ब्रेन दिवस के मौके पर एक बैठक की गई जिसमें शहरभर के अधिकांश चिकित्सक शामिल हुए। इसका नेतृत्व शहर के प्रसिद्ध न्यूरो फिजिशियन डॉ. एमएन सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग में पहले पायदान पर आते है इसलिए शुरुआत हमलोग को ही करनी होगी। हमारे पास जितने भी मरीज आते है उनके पर्ची पर दवा लिखने के साथ-साथ प्रदूषण न फैलने का भी जिक्र करें। इससे बदलाव जरूर आएगा। लोग सोचेंगे, समझे और पहल करेंगे। इसके साथ ही लोगों के बीच में जाकर जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किया जाएगा। ताकि इसका संदेश देशभर में जा सके।

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पर्ची पर दवा के साथ प्रदूषण कम करने का टिप्स भी देंगे डॉक्टर

- पेड़ अधिक से अधिक लगाइए।

- जंगल को कटने से बचाइए।

- इंडस्ट्रियल वेस्ट को सही ढंग से डिस्पोजल करना होगा।

- नदी का जल को प्रदूषण होने से बचाना होगा।

- कंपनी से निकलने वाले केमिकल को नदी में जाने से रोकना होगा।

- ग्रीन ईधन को बढ़ावा देना होगा।

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वायु प्रदूषण से सेहत को खतरा

- आंत में मौजूद करोड़ों बैक्टीरिया को नुकसान।

- ब्रेन को नुकसान।

- खून की नालियां कड़े होने से शरीर को डैमेज करना।

- ब्लड प्रेशर बढ़ जाना।

- हार्ट, लीवर, फेफड़ा को नुकसान।

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कोट ::

शोध में हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है। इसे लेकर सभी को जागरूक होने की जरूरत है। अगर इंसान का डीएनए डैमेज हो गया तो स्थिति विकट हो जाएगी। मां-बाप की जेनेटिक बीमारियों के साथ-साथ और भी कई तरह की गंभीर बीमारियां जन्म लेगी, जिसे रोक पाना असंभव होगा।

- डॉ. एमएन सिंह, न्यूरो फिजिशियन।

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क्या-क्या नुकसान

- कम हो जाएगी इंसान की आयु

- लंगड़े-लूले बच्चे का होगा जन्म

- तेजी से फैलेंगी सैकड़ों अनुवांशिक (जेनेटिक) बीमारियां


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