Move to Jagran APP

शहरनामा : चुक्का में हाथी कैसे समाया, कभी प्याली में तूफान देखा है Jamshedpur news

यह रहस्य का विषय है कि उस बच्ची के पास कैसा चुक्का है जिसमें लाख रुपये साल भर में जमा हो जाते हैं। आपको यह किसी परीकथा जैसी लगती होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 12:16 PM (IST)
शहरनामा : चुक्का में हाथी कैसे समाया, कभी प्याली में तूफान देखा है Jamshedpur news
शहरनामा : चुक्का में हाथी कैसे समाया, कभी प्याली में तूफान देखा है Jamshedpur news

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। अभी तक हम इसे बुझव्वल के रूप में इस्तेमाल करते थे, लेकिन यह कुछ हाकिम-हुक्मरानों की नजर में सच है। यही नहीं ऐसे मानिंद दूसरों को उस बालमन से प्रेरणा लेने की नसीहत देते नहीं थकते, जो चुक्का में हाथी समाने की काबिलियत रखती है।

loksabha election banner

यह रहस्य का विषय है कि उस बच्ची के पास कैसा चुक्का है जिसमें लाख रुपये साल भर में जमा हो जाते हैं। आपको यह किसी परीकथा जैसी लगती होगी। मुझे भी लगती है, लेकिन गहराई में सोचने पर लगता है कि उसके पास जरूर कोई अलादीन होगा, जो फूंक मारकर चुक्के का साइज बढ़ा देता होगा। पैसे भी एक का दस, बीस, पचास कर देता होगा। तभी तो एक चुक्का के पैसे से हर साल एक-एक घर बन जाता है। जाहिर सी बात है कि ऐसा अलादीन हर बच्चे के पास नहीं हो सकता, इसलिए प्रेरणा लेने की बात सपने में भी नहीं सोचना चाहिए। हां, इस पर शोध अवश्य करना चाहिए। चुक्का की फोरेंसिक जांच से इसका खुलासा हो सकता है।

घर-आंगन से फुर्सत

नारी को शक्ति देने की परंपरा आंधी की तरह चल पड़ी है। बात अच्छी है, लेकिन इसका खतरनाक साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। शक्ति मिलते ही नारी घर-आंगन से दूर रहने लत लग जाती है। इसी का परिणाम है कि करीब दो माह से इन नारियों के पास कोई काम नहीं है, लेकिन आफिस आवर में ये घर से बाहर रह रही हैं। घर-परिवार को समय देने की जगह ये कभी सड़क किनारे, तो कभी पार्क या किसी दफ्तर के सामने बैठी रहती हैं। इन्हें शक्ति देने वाला भी अब भी इनके सामने बेबस नजर आ रहा है। कैसी विडंबना है कि शक्ति दाता अब उसी के सामने अनुनय-विनय कर रहा है। उधर, पति, बच्चे, सास, ननद को भी लत लग चुकी है कि आफिस आवर में उनकी शक्ति उनसे दूर रहेगी।

कभी प्याली में तूफान देखा है

महासमर की दुंदुभी बजते ही कुकुरमुत्ते नींद से जाग गए हैं। इसमें एकाध ऐसे कुकुरमुत्ते या पौधे यहां भी उग गए हैं, जो पड़ोस में बरगद होने का दावा करते हैं। इनमें से एक बरगद सूखने चला है, जबकि दूसरे का भविष्य अधर में है। दोनों बरगद के बीज यहां के पहाड़ों, उबड़-खाबड़, बंजर-परती जमीन पर भी छींट दिए गए हैं। यहां तो एक बरगद का बीज लगभग सूख चुका है, जबकि दूसरा सूखते-सूखते फिर से कुलबुलाने लगा है। पिछले दिनों इस पौधों पर इतने फल एकबारगी लाद दिए गए कि सांस लेना भी दूभर हो गया। इसी बीच महासमर के सेनापतियों का नाम पुकारा जाने लगा तो प्याली में तूफान आ गया। आका अपनी बात पर डटे रहे, लेकिन चुपके से कहकर निकल गए, यह फाइनल नहीं ट्रायल था। दूसरे ने कहा बरगद के पौधे पर भले ही सेब उगा लो, केला उगा लो, पर संतरा नहीं लगना चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.