उड़ता आदित्यपुर : उठ रहे सवाल, आखिर ड्रग्स माफिया की गर्दन कब दबोचेगी पुलिस Jamshedpur News
Udta Adityapur. ड्रग्स तस्कर मादक पदार्थ के जरिए युवा पीढ़ी को अपना शिकार बना रहे हैं। बीते पांच साल से विभिन्न इलाके में सौदागर ने अपनी मजबूत पैठ बना ली है।
जमशेदपुर, जासं। हर बार की तरह एक बार फिर नशेड़ी ही पुलिस के गिरफ्त में आए। नशे का सौदागर तक अभी तक पुलिस के लंबे हाथ पहुंच नहीं पाए हैं। ऐसे में सवाल उठना तो लाजिमी है। इसका जवाब तो सरायकेला-खरसांवा पुलिस को ही देना होगा। आदित्यपुर थाना क्षेत्र का इलाका नशे के सौदागरों के लिए हमेशा से महफूज रहा है। आखिर हो भी क्यों नहीं।
ड्रग्स तस्कर मादक पदार्थ के जरिए युवा पीढ़ी को अपना शिकार बना रहे हैं। बीते पांच साल से विभिन्न इलाके में सौदागर ने अपनी मजबूत पैठ बना ली है। तभी तो ड्रग्स माफिया पकड़े नहीं जा रहे हैं और पुलिस की चंगुल से दूर हैं। पुलिस तस्करों के नेटवर्क तोडऩे में कामयाब नहीं हो पा रही है। शायद इसकी वजह सौदागर से मिलने वाली अतिरिक्त मासिक रकम है। यदि ऐसा नहीं हैं तो पुलिसिया शह के बगैर धंधा कैसे संचालित हो रहा है, यह भी जांच का विषय है। आखिर तस्करों का नेटवर्क आखिर टूट क्यूं नहीं रहा है। सांसद से मंत्री और डीजीपी से लेकर डीआइजी तक नशे का धंधा बंद करने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन पुलिस सिर्फ नशेडिय़ों को पकड़ अपने कर्तव्य का इतिश्री मान ले रही है।
बात उठी है तो दूर तलक जाएगी
कुछ तो वजह है, लंबे अर्से से इलाके में धंधा यूं ही नहीं चल रहा है। मादक पदार्थों के साथ जितने भी आरोपितों को गिरफ्तार होती है, वे सप्लायर या फिर खुद इन मादक पदार्थों का सेवन करने वाले नशेड़ी होते हैं। जो सप्लायर हाथ लगते भी है, वे छोटे सप्लायर हैं। पुलिस इनसे पूछताछ कर यह जानना का प्रयास नहीं करती हैं कि माल किसने उपलब्ध कराई, कहां से लाया गया, कैसे इसकी आपूर्ति इलाके में होती हैं, कौन-कौन धंधे में शामिल हैं, कितने में माल आता हैं और और कितने बिकता हैं? फिलहाल आदित्यपुर में ड्रग्स का कारोबार का काला सच किसी से छिपा नही है। नशे का कारोबार तेजी से बढ़ा है। धंधे से जुड़े लोग युवाओं के रंगों में जहर घोलने में लगे हुए हैं। इलाका ड्रग्स को लेकर सुर्खियों में है।
नहीं चलता पड़ोसी राज्यों की पुलिस के साथ ऑपरेशन
पड़ोसी राज्यों की पुलिस से समन्वय की कमी का ड्रग्स सौदागर फायदा उठाते हैं। सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं होता। एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ जिम्मेदारी से दूर भागते हैं। आदित्यपुर में सक्रिय ड्रग्स के सौदागर को बंगाल और ओडि़शा से नशे की खेप की आपूर्ति होती हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस ने कभी संबंधित राज्यों की पुलिस से शायद ही संपर्क किये जाने जानने का प्रयास किया होगा कि सप्लायर कौन हैं? और वह कैसे इसके आदान-प्रदान कैसे होते हैं?
जनता को उठानी होगी आवाज : उपमहापौर
आदित्यपुर नगर निगम इन दिनों ब्राउन शुगर का हब बन गया है। बेहद सुनियोजित तरीके से इस धंधे की जड़ें अपनी पैठ जमा चुकी हैं। इस अवैध धंधे पर लगाम लगाकर युवा वर्ग को नशे का शिकार होने से बचाया जा सकता है। दैनिक जागरण से बातचीत में आदित्यपुर नगर निगम के उप महापौर अमित सिंह ने कहा कि पुलिस व स्थानीय निवासियों के सहयोग से इस अवैध कारोबार को समाप्त किया जा सकता है। जब पंजाब जैसे राज्य को पुलिस और स्थानीय लोगो के प्रयास से नशामुक्त किया जा सकता है तो आदित्यपुर में यह पहल क्यों नही हो सकती है। इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए मैंने भी कई बार आवाज उठाई है। पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण कुछ दिनों तक कारोबार थमने के बाद फिर से शुरू हो जाता है।
दैनिक जागरण का किया शुक्रिया
उपमहापौर ने कहा कि मैं दैनिक जागरण को तहे दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं कि इस मामले को फिर से जीवंत किया है। बीते दिनों ब्राउन शुगर के जो 34 पुडिय़ा और आठ युवक पकड़े गए हैं, वह दैनिक जागरण की देन है। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया है जिसके कारण स्थानीय प्रशासन ने दबाव में आकर अपनी कार्रवाई तेज की है। लेकिन पुलिस को मुख्य कारोबारियों को भी सलाखों के पीछे डालना होगा, तभी नशे के इस कारोबार पर रोक लग पाएगी।