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सूख गया झारखंड के राज्यपाल द्वारा लगाया गया पौधा

जमशेदपुर शहर से 70 किलोमीटर दूर चाकुलिया प्रखंड के केएनजे हाई स्कूल में लगाया गया पौधा सूख गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 12:04 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 12:04 PM (IST)
सूख गया झारखंड के राज्यपाल द्वारा लगाया गया पौधा
सूख गया झारखंड के राज्यपाल द्वारा लगाया गया पौधा

जेएनएन, जमशेदपुर : जमशेदपुर शहर से 70 किलोमीटर दूर चाकुलिया प्रखंड के केएनजे हाई स्कूल परिसर में गत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू एवं तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा द्वारा रोपे गए पौधे सूख चुके हैं। इससे कार्यक्रम की सार्थकता एवं पर्यावरण को लेकर गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। विदित हो कि वन सुरक्षा महासमिति की अध्यक्ष सह लेडी टार्जन जमुना टुडू की पहल पर वर्ष 2016 एवं 2017 में चाकुलिया के केएनजे हाई स्कूल परिसर में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया था। पहले वर्ष आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किया था। दूसरे वर्ष यानी 2017 के 5 एवं 6 जून को आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा व पुलिस महानिदेशक डीके पांडे समेत राज्य के कई उच्चाधिकारियों ने भाग लेकर पौधारोपण किया था। इस दौरान विद्यालय परिसर में तामझाम के साथ दर्जनों पौधे रोपे गए थे। कार्यक्रम का उद्देश्य पौधारोपण के साथ साथ लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना था। मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्य सचिव सभी कार्यक्रम में भाग लेने रांची से अलग अलग हेलीकॉप्टरों से चाकुलिया आए थे। जाहिर है समारोह के आयोजन पर मोटी राशि खर्च हुई थी। लेकिन इतने तामझाम से आयोजित कार्यक्रम का परिणाम आज यह है कि मात्र 5 पौधे ही जीवित बचे हैं। बाकी पौधों को या तो पशु चर गए या फिर वे सूख गए। इस संबंध में पूछने पर जमुना टुडू ने कहा कि विद्यालय में लगाए गए पौधों को बचाए रखने की जिम्मेवारी विद्यालय प्रबंधन की बनती है। उन्होंने ध्यान नहीं दिया, इसलिए पौधे सूख गए। इधर विद्यालय के प्रधानाध्यापक जय नारायण यादव ने कहा कि चारदीवारी नहीं होने के कारण विद्यालय परिसर पशुओं का चारागाह बना हुआ है। ऐसी स्थिति में पौधों की सुरक्षा कैसे संभव है। बहरहाल, पौधों को बचाने की जिम्मेवारी चाहे वन समिति, स्कूल प्रबंधन या वन विभाग जिसकी भी हो। लेकिन जिन पौधों को रोपने के लिए लगभग पूरी झारखंड सरकार रांची से चलकर चाकुलिया आई हो, उनका जीवित नहीं बचना लोगों के जेहन में कई तरह के सवाल तो खड़े करता ही है।

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