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जमशेदपुर में 38 साल से कैद है हिटलर के जमाने की पिस्टल

जमशेदपुर के कारोबारी सरदार अजायब सिंह ने भी हिटलर के जमाने की चार पिस्टल खरीदी थी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 01:19 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 02:22 PM (IST)
जमशेदपुर में 38 साल से कैद है हिटलर के जमाने की पिस्टल

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर। शहर की एक दुकान में एडोल्फ हिटलर के जमाने की एक दुर्लभ पिस्टल 38 वर्ष से कैद है। जर्मन शासक हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के समय अपने खास सैनिकों के लिए बड़ी संख्या में यह माउजर पिस्टल बनवाई थी, जिसे वह खुद भी इस्तेमाल करता था। युद्ध समाप्त होने के बाद यह पिस्टल भारत समेत दुनिया के बाजार में आई। जमशेदपुर के कारोबारी सरदार अजायब सिंह ने भी हिटलर के जमाने की चार पिस्टल खरीदी थी। उस वक्त देश में हथियारों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आदेश जारी कर दिया कि कोई भी व्यक्ति तीन से ज्यादा हथियार नहीं रख सकता है। अजायब सिंह के पास चार हथियार थे। उन्होंने 1980 में शहर के बिष्टुपुर स्थित हथियार की दुकान में इस माउजर पिस्टल को जमा कर दिया। इसके बाद वह पंजाब शिफ्ट हो गए। तब से इसे लेने कोई नहीं आया।

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ऐसी है यह माउजर पिस्टल
एटी डॉ एंड कंपनी नामक इस दुकान के मालिक कमलजीत सिंह बताते हैं कि 30 बोर की यह माउजर पिस्टल जर्मनी में ही बनी थी। इसमें लकड़ी का हत्था अलग से है, ताकि दूर तक मार कर सके। इसकी मारक क्षमता करीब 500 मीटर है। चूंकि अजायब सिंह यहां से पंजाब शिफ्ट कर गए, इसलिए यह यहीं रह गई। यह आज भी नई जैसी दिखती है।

यहां जमा हैं 200 दुर्लभ हथियार
इस दुकान में 200 दुर्लभ हथियार जमा हैं। इनमें कई ऐसे हैं जिनका अब निर्माण नहीं होता है। यहां 50 से 60 साल पुराने करीब 50 हथियार हैं, जबकि 30-40 वर्ष पुराने लगभग 125 पिस्टल, रिवाल्वर, बंदूक, राइफल व माउजर आदि जमा हैं। अब इनके मालिक का कोई अता-पता नहीं है। नियमित रूप से इन हथियारों की साफ-सफाई की जाती है, ताकि जब भी इनके मालिक लेने आएं तो हथियार उसी स्थिति में मिले, जैसा छोड़ गए थे। यहां आ‌र्म्स रखने के एवज में 200 रुपये हर माह किराया लिया जाता है। लेकिन किसी के नहीं आने के कारण यह किराया नहीं मिलता है। लेकिन किसी के नहीं आने के कारण यह किराया उन्हें नहीं मिलता है लेकिन इन हथियारों का रखरखाव अब भी वे बेहतर तरीके से कर रहे हैं कारण यह कि कभी कोई इन मालिकों का वारिस पुरखों की निशानी समझ लेने वापस आ जाए।

जमा हैं सरायकेला राज परिवार के दो रिवाल्वर
यहां सरायकेला राज परिवार के शतभानु सिंहदेव के दो रिवाल्वर 1972 से जमा हैं, जो इंग्लैंड में निर्मित हैं।

पुलिस इंस्पेक्टर के यहां 1958 से जमा है पिस्टल
ओडिशा निवासी पुलिस इंस्पेक्टर जीएम महापात्र की पिस्टल भी 1958 से जमा है, जो बेल्जियम मेक है।


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