केबुल कंपनी के 1300 कर्मचारियों का पीएफ लटका
पिछले 18 साल से बंद पड़ी शहर की इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड़ यानी केबुल कंपनी के 1300 कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) का पैसा वर्षो से लटका हुआ है।
जमशेदपुर,जासं। पिछले 18 साल से बंद पड़ी शहर की इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड़ यानी केबुल कंपनी के 1300 कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) का पैसा वर्षो से लटका हुआ है। कर्मचारियों को यह पता नहीं लग पा रहा कि उनके पीएफ का पैसा कब मिलेगा? कंपनी में गठित पीएफ ट्रस्ट ने अगस्त 2014 में पीएफ सेंट्रल मुख्यालय, मुंबई को 23 करोड़ रुपये जमा करा दिए, पर जबतक कंपनी प्रबंधन अपनी देनदारी के 14 करोड़ रुपये जमा नहीं करेगा, कर्मियों को पीएफ की राशि नहीं मिलेगी।
अधिग्रहण सबसे बड़ा पेच
कंपनी को फिर से जिंदा करने का मामला बायफर और आयफर के बाद अब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास लंबित है। जो भी कंपनी इसका अधिग्रहण करेगी, उसे पुनर्वास पैकेज के तहत देनदारी का भुगतान करना होगा। जब तक ऐसा नहीं होगा, कर्मचारियों के पीएफ का मामला फंसा रहेगा।
आरआर केबल ने किया घालमेल
इंकैब पीएफ ट्रस्टी के सदस्य रहे राम विनोद सिंह कहते हैं कि इस मामले में आरआर केबल ने बड़ा घालमेल किया है। कंपनी बंद होने के बाद प्रबंधन को पीएफ मद में सालाना एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज देना पड़ता है, क्योंकि कंपनी न तो पूरी तरह से बंद है और न ही कर्मचारियों को काम से हटाया गया है। वहीं, पीएफ पर सरकार 8.5 प्रतिशत की दर से सालाना चक्रवृद्धि ब्याज देती है, जबकि ट्रस्ट में आठ फीसद मिलता है। छूट के प्रावधान के तहत ब्याज में आए अंतर का पैसा भी प्रबंधन को देना है। मई 2009 में कंपनी टेकओवर करने के बाद आरआर केबल ने वेतन से पीएफ का पैसा तो काटा, पर पैसा न तो ट्रस्ट को और न ही सरकार को जमा किया। उल्टे कोलकाता हाईकोर्ट में केस कर स्टे ले लिया। इस मद के 14 करोड़ रुपये प्रबंधन के पास है। प्रबंधन चाहता था कि ट्रस्ट भंग कर कंपनी पूरा पैसा रख ले। लेकिन पीएफ ट्रस्टी तैयार नहीं हुए। बावजूद पीएफ ट्रस्ट ने दिसंबर 2012 तक पीएफ मद में जमा पैसे पर सरकारी प्रावधानों के तहत पीएफ धारकों को ऋण दिए।
कंपनी में था पीएफ ट्रस्ट
पीएफ नियमों के तहत केंद्र सरकार की अनुमति से कोई भी कंपनी ट्रस्ट बना कर कर्मचारियों के पीएफ का पैसा अपने पास जमा ले सकती है। इंकैब इं़डस्ट्रीज लिमिटेड ऐसी ही कंपनी थी। इस कंपनी को पीएफ प्रावधानों के तहत कुछ छूट मिले थे तो कुछ जवाबदेही भी थी। कंपनी बंद होने के बाद प्रबंधन इस छूट से बाहर हो गया। इस मामले में पीएफ मुख्यालय द्वारा लगातार प्रबंधन को जवाब मांगा गया, लेकिन प्रबंधन हमेशा टाल-मटोल करता रहा। इस कारण मामला फंसता चला गया।
23 करोड़ रुपये जमा किए थे
इंकैब ट्रस्ट द्वारा 23 करोड़ रुपये पीएफ मुख्यालय में जमा किए गए थे। जब तक जमशेदपुर कार्यालय को पैसा नहीं मिल जाता कर्मचारियों के पीएफ का पैसा नहीं मिलेगा। राशि ट्रांसफर के लिए कोलकाता पीएफ कार्यालय से बातचीत चल रही है।
- अशोक कुमार, आयुक्त, कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय, जमशेदपुर।