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जब आयोजक ही भिड़ पड़े रेफरी से

पूर्वी सिंहभूम कबड्डी एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरुमुख सिंह मुखे माइक लेकर मैदान में कूद पड़े और रेफरी के पास पहुंच माइक को ऐसे रेफरी के ठुड्डी पर रख दिया मानो पिस्तौल सटा रहे हो।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 01:54 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 05:49 PM (IST)
जब आयोजक ही भिड़ पड़े रेफरी से
जब आयोजक ही भिड़ पड़े रेफरी से

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। साकची गुरुद्वारा मैदान। शाम के पांच बजे। पूर्वी सिंहभूम व लोहरदगा के बीच मैच। लड़कियां मैदान पर पसीना बहा रही थी और बाहर बैठे साथी दोनों टीमों का हौसला बढ़ा रहे थे। तभी रेफरी ने एक निर्णय मेजबान पूर्वी सिंहभूम के खिलाफ क्या दिया, बेचारे रेफरी की शामत ही आ गई। पूर्वी सिंहभूम कबड्डी एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरुमुख सिंह मुखे माइक लेकर मैदान में कूद पड़े और रेफरी के पास पहुंच माइक को ऐसे रेफरी के ठुड्डी पर रख दिया, मानो पिस्तौल सटा रहे हो।

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रेफरी भी साहसी निकला। बिना टस से मस हुए गुरु मुख का सामना किया और अपने निर्णय को सही ठहराया। लेकिन गुरुमुख इस बात को मानने को तैयार नहीं थे कि रेफरी ने सही निर्णय दिया। गुस्से से आग बबूला हो रहे गुरुमुख ने चिल्लाते हुए रेफरी को मैदान से बाहर जाने का आदेश दिया। रेफरी हक्का-बक्का रह गया। वहीं विरोधी टीम की लड़कियों का डर से बुरा हाल था। डरी-सहमी बच्चियां मैदान के एक कोने में दुबकी रही। उधर, बीच बचाव करने आए लोगों को भी उनके गुस्से का कोपभाजन बनना पड़ा। मुख्य रेफरी ने भी मामले को शांत करने का प्रयास किया। लेकिन साहब मानने को तैयार नहीं थे। लेकिन कुछ देर बाद वे शांत हुए फिर आगे मैच शुरू हो सका। 

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