सिंहभूम चैंबर के एजीएम पर विपक्ष ने उठाए चार सवाल
सिंहभूम चैंबर में 23 सितंबर को वार्षिक आम सभा व 24 सितंबर को ई-वोटिंग द्वारा नई कार्यकारिणी का चुनाव होना है। लेकिन विपक्षी खेमे ने चैंबर अधिकारियों द्वारा जारी एजीएम की नोटिस पर ही चार सवाल खड़े किए हैं।
निर्मल, जमशेदपुर : सिंहभूम चैंबर में 23 सितंबर को वार्षिक आम सभा व 24 सितंबर को ई-वोटिंग द्वारा नई कार्यकारिणी का चुनाव होना है। लेकिन विपक्षी खेमे ने चैंबर अधिकारियों द्वारा जारी एजीएम की नोटिस पर ही चार सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष की ओर से सितंबर 2018 में हुए वार्षिक आम सभा में सत्ता पक्ष द्वारा कराए गए संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार देते हुए उसके खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चुनौती दी है। विपक्ष का दावा है कि चुनाव से पहले इस पर फैसला आ जाएगा। ऐसे में असंवैधानिक तरीके से वार्षिक आम सभा हुई तो वह एनसीएलटी व कंपनी एक्ट के नियम विरूद्ध होगा। विपक्ष के चार सवाल
पहला सवाल : कंपनी एक्ट के तहत निबंधन किसी भी कंपनी या संस्थान में ई-वोटिंग तभी संभव है जब उसके सदस्यों की संख्या 1000 से अधिक हो। लेकिन चैंबर अपनी वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट में अपने सदस्यों की संख्या 48 ही बताता है। दूसरा सवाल : कंपनी एक्ट के नियमों के तहत ई-वोटिंग की देखरेख के लिए स्क्रूटनाइजर की नियुक्ति होनी है। वे कंपनी से जुड़े हुए या उनके कर्मचारी नहीं होने चाहिए। लेकिन सिंहभूम चैंबर की ई-वोटिंग के लिए प्रतिनियुक्त स्क्रूटनाइजर सीए जगदीश खंडेलवाल जिनकी चैंबर में सदस्य संख्या 1075/एल और दूसरे स्कूटनाइजर सीए राजेश अग्रवाल की सदस्य संख्या 129/एल है। तीसरा सवाल : चैंबर नेतृत्व नोटिस की शर्तों का हवाला देते हुए बताते हैं कि कौन सा सदस्य चुनाव लड़ सकता है और कोई सा नहीं। लेकिन चैंबर नेतृत्व ने अपने संविधान में जो भी संशोधन किए, क्या वे रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (आरओसी) से उन्हें इसकी स्वीकृति मिल चुकी है? असंवैधानिक तरीके से एजीएम कराने और संविधान संशोधन के मामले में संदीप मुरारका द्वारा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में मामला विचाराधीन है। चौथा सवाल : कंपनी एक्ट के नियमों के तहत किसी भी कंपनी या संस्था को जब भी अपने संविधान में संशोधन करना है, उन्हें स्पेशल या ऑडिनरी एजीएम बुलाना है। लेकिन चैंबर नेतृत्व बताए कि क्या उन्होंने नियमों का अनुपालन किया। ----
चैंबर नेतृत्व द्वारा आम सभा की जो नोटिस जारी की गई है, वह पूरी तरह से गलत व असंवैधानिक है। अगर उक्त नियमों के तहत आम सभा व चुनाव हुए तो वह कंपनी एक्ट के नियमों के विरूद्ध होगा।
-संदीप मुरारका, सदस्य सह एनसीएलटी में शिकायतकर्ता चैंबर ने अपने संविधान में संशोधन के लिए आरओसी में आवेदन दिया है। नियमों के तहत अगर एक तय समय सीमा के अंदर उसे स्वीकृत या अस्वीकृत नहीं किया जाता है तो उसे स्वीकृत मान लिया जाता है। रही बात स्क्रूटनाइजर की तो कंपनी एक्ट में कर्मचारी बहाल नहीं हो सकते। इसमें कहीं नहीं लिखा है कि वे संस्थान के सदस्य न हो।
-मानव केडिया, निवर्तमान उपाध्यक्ष, चैंबर