12 घंटे की शिफ्ट का विरोध शुरू, कमेटी मेंबरों ने सौंपा ज्ञापन
टाटा स्टील प्रबंधन ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए अपने सिटर प्लांट व न्यू बार मिल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 12 घंटे की शिफ्ट ड्यूटी शुरू की है। इसके नतीजे सफल आने पर इसे पूरे प्लांट में प्रभावी करने की योजना थी। लेकिन सिटर प्लांट में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया है।
जासं, जमशेदपुर : टाटा स्टील प्रबंधन ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए अपने सिटर प्लांट व न्यू बार मिल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 12 घंटे की शिफ्ट ड्यूटी शुरू की है। इसके नतीजे सफल आने पर इसे पूरे प्लांट में प्रभावी करने की योजना थी। लेकिन सिटर प्लांट में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया है। सोमवार को विभाग के 10 कमेटी मेंबरों ने एक ज्ञापन टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, डिप्टी प्रेसिडेंट अरविद पांडेय व महासचिव सतीश कुमार सिंह को सौंपा।
ज्ञापन में 12 घंटे की शिफ्ट ड्यूटी को हटाकर पॉड सिस्टम को ही प्रभावी रखने की मांग की। इस मामले में अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने भी कंपनी प्रबंधन से बात करने का आश्वासन दिया है। हस्ताक्षर करने वालों में मनोरंजन तिवारी, मनजीत सिंह, अशोक कुमार मुखिया, अशोक कुमार गुप्ता, बीके श्रीवास्तव, सतीश कुमार सिन्हा, संतोष पांडेय, अविनाश सिंह, पल्लव शर्मा व अजय कुमार शामिल हैं। सिटर प्लांट में 650 स्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं। 12 घंटे की शिफ्ट हटाने के लिए बताए गए हैं पांच कारण
-पॉड सिस्टम के तहत पहले ही कुल मैनपावर को तीन के बजाए चार भागों में बांट दिया गया है, ऐसे में कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ गया है।
-कंपनी में इन दिनों रैपिड एंटीजन टेस्ट हो रहा है, ऐसे में कई कर्मचारी पॉजिटिव निकलने के बाद क्वारंटाइन हो रहे हैं। बचे हुए कर्मचारियों पर काम का दबाव ज्यादा है।
- कई कर्मचारी सर्दी, खांसी और बुखार के कारण आइसोलेशन में है।
-कई कर्मचारी नियमित रूप से ब्लड प्रेशर व डायबिटिज की दवा लेते हैं। ऐसे में उन्हें भी परेशानी हो रही है।
-जिन कर्मचारियों की लगातार ड्यूटी है वे एक दिन की छुट्टी के बावजूद अपनी थकान नहीं मिटा पा रहे हैं।