कभी खुद करता था बाल मजदूरी, अब बचा रहा दूसरों का बचपन Jamshedpur News
प्रेरणास्रोत 14 वर्ष की उम्र में चाइल्ड लाइन ने बालश्रम से कराया था आजाद को-ऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक कर रहा रोहित पढ़ाई के साथ कर रहा सेवा
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। कभी खुद बाल श्रम के सहारे जीने वाला रोहित कर्मकार अब बचपन बचाने में जुटा है। पिछले दो वर्षों के अभियान में वह छह बाल श्रमिकों की जिंदगी सहेज सका है। अब सकी जिंदगी का मिशन बन गया है- बचपन बचाओ। हर बच्चे का बचपन सुरक्षित रहे। पढऩे के साथ उन्हें खेलने का भी मौका मिले इसके लिए रोहित लगातार प्रयासरत है।
रोहित की कहानी बेहद दिलचस्प है। वह आर्थिक तंगी के कारण कभी बाल मजदूरी करता था। पढ़ाई के साथ-साथ वह फ्लैट में जाकर लोगों की गाड़ी धोया करता था। 14 वर्ष की उम्र में चाइल्ड लाइन सदस्यों ने उसे बाल श्रम की गुलामी से आजाद कराया।
इसके बाद रोहित ने दयानंद आर्य वैदिक विद्यालय से 8वीं और जमशेदपुर के चर्चित लोयला स्कूल से 10वीं तक पढ़ाई पूरी की। अब वह को-ऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक कर रहा। पहले वर्ष का स्टूडेंट है। साथ ही, वह खुद भी चाइल्ड लाइन से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में काम करता है। वह जमशेदपुर शहर की 23 बस्तियों में जाकर बाल मित्रों से बात करता है। उनसे जानकारी लेता है कि कौन बच्चा नियमित स्कूल नहीं जा रहा या स्कूल के बाद कहीं काम कर रहा। जानकारी लेकर वह उनके माता-पिता से मिलकर स्कूल भेजने और खेलने देने का आग्रह करता है।
शहर की 23 बस्तियों में हैं बाल मित्र
रोहित बताते हैं कि निर्मलनगर, जाहेरा बस्ती, पंचवटी नगर, बिरसा बस्ती, रूपनगर, सारजोमहातू, बाबा तिलका मांझी, न्यू कपाली, रामनगर, श्याम नगर सहित 23 बस्तियां में उनके बाल मित्र मंडल हैं। इन बच्चों के साथ वह काम करते हैं और उनकी हर सप्ताह बैठक होती है। इसमें कौन बच्चा नियमित स्कूल नहीं आ रहा है, कौन बच्चा गलत संगत में है, बाल मित्रों से जानकारी ली जाती है। संगठन के लोग भी इस काम में उसकी मदद करते हैं।
घर-घर शौचालय बनवा रहा है रोहित
अपने संगठन की मदद से रोहित स्वच्छ भारत अभियान के तहत आर्थिक रूप से पिछड़ी बस्तियों के घरों में शौचालय भी बनवा रहा है। अब तक रोहित ने 79 घरों में शौचालय और 450 से ज्यादा परिवारों का राशन कार्ड बनवा चुका है।